जयपुर. भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष सतीश पूनिया ने प्रदेश प्रभारी अरुण सिंह (Rajasthan In-Charge Arun Singh) के सामने 7 नेताओं को भाजपा की सदस्यता ग्रहण करवाई. जिसे भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया की 2 उपचुनावों में मिली करारी हार के बाद एक मैसेज के तौर पर देखा जा रहा है.
हालांकि इन 7 नेताओं में से शाहपुरा रॉयल फैमिली की रत्ना कुमारी और देवी सिंह शेखावत (Devi Singh Shekhawat) पहले से ही भाजपा के नजदीकी रहे हैं. वहीं पूर्व आईपीएस अधिकारी कैलाश चंद मीणा (Former IPS officer Kailash Chand Meena) और गुर्जर आरक्षण संघर्ष समिति के महासचिव एडवोकेट शैलेंद्र सिंह किसी पार्टी से संबंध नहीं रखते. भारतीय जनता पार्टी का दावा है कि इंद्रमोहन सिंह और महेंद्र पाल चौधरी कांग्रेस से जुड़े रहे हैं, लेकिन कांग्रेस का कहना है कि ये दोनों नेता वर्तमान में कांग्रेस पार्टी के संगठन में किसी पद पर नहीं हैं. भाजपा के दावों को कांग्रेस पार्टी ने सिरे से खारिज किया है.
माहौल बना रहे पूनिया
राजस्थान कांग्रेस पार्टी के सचिन जसवंत गुर्जर ने कहा कि सतीश पूनिया हार की मायूसी और संगठन में फैले निराशा के वातावरण को बदलने के लिए ऐसे नेताओं को पार्टी में शामिल करवा रहे हैं जो या तो उनके लिए पहले से काम कर रहे हैं या फिर पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे सिंधिया से जिनकी दूरियां हैं. जसवंत गुर्जर ने इसे केंद्रीय नेतृत्व को गुमराह करने का ड्रामा बताया.
विपक्ष के तौर पर विफल भाजपा
राजस्थान कांग्रेस के कार्यालय प्रभारी सचिव ललित तूनवाल (Rajasthan Congress Office In-charge Secretary Lalit Toonwal) ने कहा कि पिछले 3 साल में भारतीय जनता पार्टी विपक्ष की भूमिका निभाने में विफल रही है. सतीश पूनिया भाजपा के विफल अध्यक्ष साबित हुए हैं. एक के बाद एक चुनाव हारे हैं और हाल ही में जो दो उपचुनाव में भारतीय जनता पार्टी तीसरे और चौथे स्थान पर रहते हुए जमानत तक नहीं बचा सकी. ऐसे हालात में सतीश पूनिया भारी दबाव में हैं और डैमेज कंट्रोल करने के लिए अपनी गिर चुकी साख को बचाने के लिए भारतीय जनता पार्टी के ही पुराने लोगों को दोबारा सदस्यता ग्रहण करवा कर एक माहौल बना रहे हैं.
भाजपा सदस्यता अभियान और वसुंधरा राजे
तूनवाल ने कहा कि हकीकत ये है कि ये भाजपा की अंदरूनी लड़ाइयां हैं. सतीश पूनिया कभी वसुंधरा राजे से दूरियां दिखा रहे नेताओं को पार्टी में शामिल करवाते हैं और अगर उन नेताओं का वसुंधरा राजे से फिर जुड़ाव होता है तो उन्हें पार्टी से अलग करने का प्रयास करने में लग जाते हैं.
कांग्रेस का इशारा रोहिताश शर्मा और घनश्याम तिवाड़ी की ओर
कांग्रेस पार्टी (Congress Party) की ओर से जो इशारा किया जा रहा है वह सीधे तौर पर घनश्याम तिवाड़ी (Ghanshyam Tiwari) और रोहिताश शर्मा (Rohitash Sharma) जैसे नेताओं के चलते दिया जा रहा है. दरअसल घनश्याम तिवारी नाराजगी के चलते कांग्रेस में जुड़ गए थे, उनकी वसुंधरा राजे (Vasundhara Raje) से दूरियां जगजाहिर थी. इसी के चलते उन्हें भाजपा में फिर शामिल कर लिया गया. यही हाल रोहिताश शर्मा का रहा जिन्हें सतीश पूनिया ने पहले पार्टी में शामिल करवाया और जब फिर से रोहिताश शर्मा की नज़दीकियां वसुंधरा राजे से बढ़ने लगीं तो उन्हें पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया.
इसी तरीके से बीते दिनों कुलदीप धनकड़ (Kuldeep Dhankar) की भी भारतीय जनता पार्टी में वापसी हुई जो भाजपा के प्रदेश सचिव रह चुके हैं. ऐसे में कांग्रेस पार्टी सीधे तौर पर यह कह रही है कि भाजपा अपने ही लोगों को वापस लेकर माहौल बनाने का प्रयास कर ही रही है लेकिन उसमें भी यह देखा जा रहा है कि पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे से उस नेता का संबंध अच्छा तो नहीं है.