जयपुर: कभी पटवार, कभी आरएएस भर्ती तो कभी लाइब्रेरियन , जेईएन सिविल डिप्लोमा और पशु चिकित्सक जैसे कम पदों की भर्तियों की तो गिनती ही नहीं. यह सभी भर्तियां साल 2012 से 2020 के बीच में सरकार और कोर्ट के बीच घूमती रहीं.
किसी भर्ती में पेपर लीक हुआ तो किसी की विज्ञप्ति निकालते वक्त तकनीकी खामियां रहीं. रोजगार के लिए बेरोजगार कभी कोर्ट तो कभी सरकार के दर पर चक्कर काटते रहे. इस बीच आंदोलन भी हुए. सरकारी बाबू बनने की जगह बेरोजगार हवालात में सरकारी मेहमान बन गए. लेकिन गहलोत सरकार ने पिछले दिनों भर्ती प्रक्रियाओं के सुदृढ़ीकरण को लेकर कमेटी बनाई.
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इस कमेटी ने बैक टू बैक बैठक ली. मैराथन बैठक में इस बात पर ज्यादा फोकस हुआ कि किस तरह से पेपर लीक को रोका जाए. आखिर जब भर्ती प्रक्रिया के लिए विज्ञप्ति निकली जाए, तब तकनीकी खामियों का पहले ही अध्ययन कर लिया जाए ताकि कोर्ट की कानूनी पेचीदगियों में भर्ती नहीं फंसे. इन सभी बिंदुओं के साथ कमेटी ने अपनी रिपोर्ट तैयार कर ली है.
कमेटी अब फाइनल स्टेज पर पहुंच गई है. लगभग ड्राफ्ट तैयार हो गया है. अगली एक मीटिंग और हो सकती है. जिसमें फाइनल ड्राफ्ट पर डिस्कशन के बाद 15 जुलाई तक मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को कमेटी रिपोर्ट सौंप देगी.
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पंचायती राज भर्ती-2013 8 साल से लंबित है. पटवारी भर्ती-2016 में प्री परीक्षा परिणाम आरक्षण के चलते मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा. 2018 तक भर्ती होने में समय लगा. पुलिस एसआई भर्ती 2016 में आरक्षण और दूसरी विसंगतियों के चलते भर्ती पूरी नही हो पाई. कुछ दिन पहले ही नियुक्ति आदेश जारी हुए हैं.
फार्मासिस्ट भर्ती 2018 में नियमों की स्थिति स्पष्ट नहीं होने की वजह से 5 बार परीक्षा तारीख रद्द हुई. पुस्तकालय अध्यक्ष भर्ती 2018 में एक बार पेपर लीक के चलते परीक्षा रद्द की गई. दूसरी बार भर्ती की नियुक्ति प्रकिया पेपर लीक के मामले में कोर्ट में लंबित है.
एनटीटी भर्ती-2018 में फर्जी डिग्रियों के कारण भर्ती विवादित रही. प्रयोगशाला भर्ती-2018, चिकित्सा विभाग में फर्जी अनुभवों के कारण भर्ती लंबित रही. लंबे आंदोलन के बाद भर्ती की प्रक्रिया दोबारा शरू हुई लेकिन 3 साल से लंबित है.
आरपीएससी स्कूल व्याख्याता भर्ती-2018 में 689 पद कम करने को लेकर विवाद है. OBC, जनरल की सीटें कम कर दी गईं. पुलिस कांस्टेबल भर्ती-2000 में राज्य और जिला मेरिट को लेकर मामला कोर्ट में उलझा. हालांकि अब सुलझा लिया गया है. लेकिन भूतपूर्व सैनिकों के आरक्षण को लेकर मामला फिर उलझा है. कुछ जिलों में नियुक्ति बाकी है.
पटवारी भर्ती-2020 में परीक्षा पैटर्न को लेकर मामला 6 महीने उलझा रहा. CMO की दखल के बाद मामला सुलझा. 23-24 अक्टूबर को परीक्षा आयोजित होगी. स्टेनोग्राफर भर्ती-2018 में परिणाम लंबित. यह तय होना बाकी है कि कितना गुना अभ्यर्थियों को पास किया जाए. यह बोर्ड की मिटिंग में तय होगा.
आरएएस भर्ती-2018 के प्री मेंस में आरक्षण के चलते भर्ती कोर्ट में कई महीने लंबित रही. सरकार को नियमों में संशोधन करने पड़े, तब जाकर कोर्ट से भर्ती प्रकिया से रोक हटी.
जेईएन सिविल डिप्लोमा में पेपर लीक की जांच के चलते परिणाम लंबित है. पशु चिकित्सक भर्ती-2019 में कट ऑफ और नंबरों को लेकर कोर्ट से भर्ती पर रोक जारी है.
हालांकि इनमें कई भर्ती का रास्ता खुल गया, लेकिन कानूनी अड़चनों को दूर होने में दो से तीन साल का वक्त लग गया. अब भर्तियों में दिक्कत न हो, इसलिए कमेटी अपनी फाइनल रिपोर्ट तैयार कर रही है. कमेटी की इस रिपोर्ट से प्रदेश के लाखों बेरोजगारों को बड़ी उम्मीदें है.
बेरोजगार एकीकृत महासंघ के प्रदेश अध्यक्ष उपेन यादव ने कहा है कि भर्ती प्रक्रियाओं के सुदृढ़ीकरण और यूपीएससी की तर्ज पर आरपीएससी का कैलेंडर जारी हो. इसको लेकर जो कमेटी बनाई गई है, उसको भी हमने अपनी ओर से 26 बिन्दुओं का सुझाव पत्र दिया है. इसमें पेपर लीक, कैलेंडर जारी करने सहित कई महत्वपूर्ण बिंदु हैं. हमें उम्मीद है कि कमेटी उन बिंदुओं पर भी अमल करेगी. साथ ही कमेटी अपनी रिपोर्ट जल्द दे ताकि प्रदेश के बेरोजगारों को कानूनी अड़चनों से राहत मिल सके.
एमएल कुमावत की अध्यक्षता वाली इस कमेटी में पूर्व आईएएस खेमराज चौधरी, आईएएस महावीर बुरडक, डीओपी प्रमुख सचिव हेमंत गेरा, जेएस जय सिंह भी शामिल हैं. जिन्होंने भर्तियों को कैसे समयबद्ध किया जा सकता है, इसको लेकर मिले सुझावों पर लगभग रिपोर्ट तैयार कर ली है. 15 जुलाई को यह रिपोर्ट मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को सौंप दी जाएगी.
उम्मीद की जा सकती है कि अन्य कमेटियों की तरह इस रिपोर्ट को ठंडे बस्ते में डालने की बजाए सरकार रिपोर्ट में मिले सुझाव पर जल्द अमल करेगी और उन्हें लागू भी करेगी ताकि लाखों बेरोजगारों को रोजगारों के लिए सड़कों पर खून-पसीना नहीं बहाना पड़े.