जयपुर. राजस्थान में विवाह का अनिवार्य रजिस्ट्रीकरण संशोधन विधेयक को लेकर चल रहे विवाद के बीच गहलोत सरकार इस बिल को लेकर यू-टर्न कर लिया है. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि अगर इस बिल को लेकर कोई आपत्ति है या नाराजगी है तो हम इस बिल पर फिर से विचार करने को तैयार है. राज्यपाल इस बिल को वापस भेज दें. हम इस पर सभी के सुझाव लेकर आवश्यकता होने पर संशोधन करेंगे.
अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस (International Girl Child) पर मुख्यमंत्री निवास पर कार्यक्रम आयोजित की गई. इस दौरान सीएम अशोक गहलोत (CM Ashok Gehlot) ने कहा कि हमारी सरकार सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों की पालना करते हुए विवाह का अनिवार्य रजिस्ट्रीकरण संशोधन विधेयक 2021 लेकर आई थी लेकिन इस बिल को लेकर अलग-अलग जगह पर नाराजगी सामने आ रही है. कई जगह पर इस बिल को लेकर यह कहा जा रहा है कि सरकार बाल विवाह को बढ़ावा देने लिए भी बिल लेकर आई है लेकिन ऐसा नहीं है. इस बिल को कानूनी रूप से जो सुप्रीम कोर्ट की राय थी, उसी के निर्देशों पर लाया गया है. फिर भी अगर इस बिल को लेकर कोई आपत्ति है या नाराजगी है तो सरकार का इसमें कोई प्रतिष्ठा का विषय नहीं है.
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मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने राज्यपाल कलराज मिश्र (Kalraj Mishra) से अपील की कि वह इस बिल को वापस भेज दें. जिससे सरकार इस बिल पर फिर से पुनर्विचार कर सके. मुख्यमंत्री ने कहा कि हम इस बिल पर कानूनी और आम जनता की राय लेंगे. आवश्यक होगा तो सरकार इस बिल में संशोधन भी करेगी. सीएम गहलोत ने कहा कि सरकार पहले भी बाल विवाह (child marriage in Rajasthan) खिलाफ सख्त थी और आज भी सख्त है.
बता दें कि हाल ही में प्रदेश की गहलोत सरकार ने विधानसभा सत्र के दौरान विवाह का अनिवार्य रजिस्ट्रीकरण संशोधन विधेयक 2021 लेकर आई थी. इस बिल के पास होने के साथ ही सामाजिक संगठनों ने इस बिल का विरोध किया था. सामाजिक संगठनों की नाराजगी इस बात से ज्यादा थी कि सरकार के इस बिल के बाद बाल विवाह कभी रजिस्ट्रीकरण होगा. जिससे कि बाल विवाह कम होने की वजह बढ़ेंगे.