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गोंडा में पुजारी की गोली मारे जाने की घटना में यूपी सरकार को तुरंत कार्रवाई करनी चाहिएः गहलोत - गहलोत ने क्या कहा योगी आदित्यनाथ को

करौली में पुजारी की हत्या मामले में सीएम गहलोत ने CID-CB को जांच करने के निर्देश दिए हैं. इस मामले में गहलोत ने ट्विट करते हुए कहा कि हमने तुरंत कार्रवाई की और मुख्य आरोपी को गिरफ्तार किया. यूपी सरकार को चाहिए कि वो भी गोंडा में पुजारी को गोली मारे जाने की घटना में तुरंत कार्रवाई करे.

करौली मामले में गहलोत का बयान, Gehlot statement in Karauli case
गहलोत का योगी पर जुबानी हमला
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Published : Oct 12, 2020, 9:12 AM IST

जयपुर. करौली में पुजारी की हत्या मामले में सीएम गहलोत ने CID-CB को जांच करने के निर्देश दिए हैं. इस मामले में गहलोत ने ट्विट करते हुए कहा कि राजस्थान में हमारे यहां घटना हो गयी थी, जिसमें पुलिस ने तत्परता दिखाकर तुरंत मुख्य मुजरिम को गिरफ्तार भी कर लिया. यूपी सरकार को चाहिए कि वो भी गोंडा में पुजारी को गोली मारे जाने की घटना में तुरंत कार्रवाई करे.

  • राजस्थान में हमारे यहां घटना हो गयी थी जिसमें पुलिस ने तत्परता दिखाकर immediately मुख्य मुजरिम को गिरफ्तार भी कर लिया, यूपी सरकार को चाहिए कि वो भी गोंडा (उत्तर प्रदेश) में पुजारी को गोली मारे जाने की घटना में immediately कार्रवाई करें।

    — Ashok Gehlot (@ashokgehlot51) October 11, 2020 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

बता दें, गहलोत ने इस पूरे मामले की जांच सीआईडी-सीबी के पुलिस अधीक्षक विकास शर्मा की देखरेख में करवाए जाने के निर्देश दिए हैं. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने आरोप लगाया कि यह निंदनीय है कि भाजपा ने दो परिवारों के बीच भूमि विवाद से हुई सपोटरा के बुकना गांव की दुखद घटना को मीणा और वैष्णव समाज के बीच जातीय विद्वेष का रूप देने का कुत्सित प्रयास किया. इससे राजस्थान की छवि अनावश्यक रूप से धूमिल हुई है.

यह भी पढ़ेंः राजस्थान : गहलोत सरकार का सीआईडी सीबी से जांच कराने का निर्देश

भूमि को लेकर दो परिवारों के बीच का विवाद

एक बयान में मुख्यमंत्री ने कहा कि यह घटना कोई जातीय संघर्ष नहीं था, न ही कोई पूर्व नियोजित प्रकरण था. यह भूमि के टुकड़े पर कब्जे को लेकर दो परिवारों के बीच का झगड़ा था, जो इस हृदय विदारक घटना में बदल गया.

छह अक्टूबर को गांव में हुई थी पंचायत

उन्होंने कहा कि इस घटना से एक दिन पहले छह अक्टूबर को इस भूमि के विवाद को लेकर गांव के लोगों की पंचायत भी हुई थी, जिसमें मीणा समाज के लोगों का बाहुल्य था. मीणा समाज और अन्य लोग पुजारी बाबूलाल वैष्णव के साथ थे और बहुसंख्यक मीणा समाज की पंचायत ने भूमि के संबंध में बाबूलाल वैष्णव और राधागोपालजी मंदिर के हक में ही अपनी सहमति व्यक्त की थी.

यह भी पढ़ेंः बड़ी खबर : पुजारी हत्याकांड मामले में एक और आरोपी गिरफ्तार

मुख्यमंत्री ने कहा कि कांग्रेस सरकार मंदिर के अधीन आने वाली जमीनों पर पुजारियों के हितों के संरक्षण के लिए सदैव प्रयासरत रही है. वर्ष 1991 में तत्कालीन भाजपा की सरकार ने एक आदेश जारी कर मंदिर माफी की जमीनों पर पुजारियों के नाम राजस्व रिकॉर्ड से हटाने के निर्देश दिए थे. वहीं कांग्रेस चाहे सरकार में रही हो या विपक्ष में उसने सदैव मंदिर की भूमि के संबंध में पुजारियों के हितों की पैरवी की.

खेती जमीन पर कब्जा करने की कोशिश

उल्लेखनीय है कि भूमि विवाद में पुजारी वैष्णव को बुधवार को कथित तौर पर आग लगा दी गयी जिनकी बृहस्पतिवार को यहां एसएमएस अस्पताल में मौत हो गयी. आरोप है कि मंदिर के पास की खेती जमीन पर कब्जा करने की कोशिश कर रहे लोगों ने पुजारी पर पेट्रोल छिड़क कर आग लगा दी थी.

जयपुर. करौली में पुजारी की हत्या मामले में सीएम गहलोत ने CID-CB को जांच करने के निर्देश दिए हैं. इस मामले में गहलोत ने ट्विट करते हुए कहा कि राजस्थान में हमारे यहां घटना हो गयी थी, जिसमें पुलिस ने तत्परता दिखाकर तुरंत मुख्य मुजरिम को गिरफ्तार भी कर लिया. यूपी सरकार को चाहिए कि वो भी गोंडा में पुजारी को गोली मारे जाने की घटना में तुरंत कार्रवाई करे.

  • राजस्थान में हमारे यहां घटना हो गयी थी जिसमें पुलिस ने तत्परता दिखाकर immediately मुख्य मुजरिम को गिरफ्तार भी कर लिया, यूपी सरकार को चाहिए कि वो भी गोंडा (उत्तर प्रदेश) में पुजारी को गोली मारे जाने की घटना में immediately कार्रवाई करें।

    — Ashok Gehlot (@ashokgehlot51) October 11, 2020 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

बता दें, गहलोत ने इस पूरे मामले की जांच सीआईडी-सीबी के पुलिस अधीक्षक विकास शर्मा की देखरेख में करवाए जाने के निर्देश दिए हैं. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने आरोप लगाया कि यह निंदनीय है कि भाजपा ने दो परिवारों के बीच भूमि विवाद से हुई सपोटरा के बुकना गांव की दुखद घटना को मीणा और वैष्णव समाज के बीच जातीय विद्वेष का रूप देने का कुत्सित प्रयास किया. इससे राजस्थान की छवि अनावश्यक रूप से धूमिल हुई है.

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भूमि को लेकर दो परिवारों के बीच का विवाद

एक बयान में मुख्यमंत्री ने कहा कि यह घटना कोई जातीय संघर्ष नहीं था, न ही कोई पूर्व नियोजित प्रकरण था. यह भूमि के टुकड़े पर कब्जे को लेकर दो परिवारों के बीच का झगड़ा था, जो इस हृदय विदारक घटना में बदल गया.

छह अक्टूबर को गांव में हुई थी पंचायत

उन्होंने कहा कि इस घटना से एक दिन पहले छह अक्टूबर को इस भूमि के विवाद को लेकर गांव के लोगों की पंचायत भी हुई थी, जिसमें मीणा समाज के लोगों का बाहुल्य था. मीणा समाज और अन्य लोग पुजारी बाबूलाल वैष्णव के साथ थे और बहुसंख्यक मीणा समाज की पंचायत ने भूमि के संबंध में बाबूलाल वैष्णव और राधागोपालजी मंदिर के हक में ही अपनी सहमति व्यक्त की थी.

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मुख्यमंत्री ने कहा कि कांग्रेस सरकार मंदिर के अधीन आने वाली जमीनों पर पुजारियों के हितों के संरक्षण के लिए सदैव प्रयासरत रही है. वर्ष 1991 में तत्कालीन भाजपा की सरकार ने एक आदेश जारी कर मंदिर माफी की जमीनों पर पुजारियों के नाम राजस्व रिकॉर्ड से हटाने के निर्देश दिए थे. वहीं कांग्रेस चाहे सरकार में रही हो या विपक्ष में उसने सदैव मंदिर की भूमि के संबंध में पुजारियों के हितों की पैरवी की.

खेती जमीन पर कब्जा करने की कोशिश

उल्लेखनीय है कि भूमि विवाद में पुजारी वैष्णव को बुधवार को कथित तौर पर आग लगा दी गयी जिनकी बृहस्पतिवार को यहां एसएमएस अस्पताल में मौत हो गयी. आरोप है कि मंदिर के पास की खेती जमीन पर कब्जा करने की कोशिश कर रहे लोगों ने पुजारी पर पेट्रोल छिड़क कर आग लगा दी थी.

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