जयपुर. कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक (Congress working committee meeting) में एक बार फिर कांग्रेस नेताओं की आपसी तकरार सामने आ गई. लेकिन इस बार खास बात यह रही कि जहां अब तक कांग्रेस पार्टी के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी नेताओं को खरी-खरी सुनाते थे, इस बार यह जिम्मा राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने अपने कंधों पर लिया.
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने लेटर बम फोड़ने वाले 23 नेताओं के नाम लिए बगैर कहा कि संगठन चुनाव और कांग्रेस पार्टी में आमूलचूल परिवर्तन की जो नेता मांग कर रहे हैं, वह यह बताएं कि वह कांग्रेस पार्टी में सीडब्ल्यूसी महासचिव या अन्य पदों पर बैठे हैं क्या वह चुनाव जीत कर बैठे हैं. उन्होंने कहा कि जब नेता बड़े पदों पर बिना चुनाव के बैठे हैं तो फिर ऐसा क्या है कि अभी जब देश में कोविड-19 और किसानों की समस्या सामने खड़ी है तो पार्टी में चुनाव की बात चल रही है.
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गहलोत ने साफ कहा कि अभी जो समय चल रहा है उसमें चुनाव की कोई आवश्यकता नहीं है और जो नेता ऐसी बात बोल रहे हैं वह यह बता दें कि अमित शाह और जेपी नड्डा क्या चुनाव जीतकर भाजपा के अध्यक्ष बने हैं. वहीं, राजस्थान के कांग्रेस प्रभारी अजय माकन ने भी चुनाव को लेकर कहा कि अभी कोविड का समय है और देश में कई राज्यों में विधानसभा चुनाव भी है, ऐसे में अभी कांग्रेस पार्टी के सम्मेलन का यह समय सही नहीं है और चुनाव को टाला जाए. कांग्रेस कार्यसमिति के सदस्य रघुवीर मीणा ने भी यही बात सामने रखी.
बैठक में एक बात साफ है कि जिस तरीके से अब तक किसी बात पर सवाल खड़ा होता था तो उसे खुद राहुल गांधी कह देते थे लेकिन इस बार राहुल गांधी की जगह राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने यह जिम्मा अपने कंधों पर लिया है. इससे एक बात साफ है कि आने वाले समय में गांधी परिवार की सबसे बड़ी डाल गहलोत ही बनेंगे.
CWC में दिखी गहलोत की जादूगरी
कार्यसमिति की बैठक में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने जिस तरीके से तल्ख तेवर दिखाएं उससे कहा जा रहा है कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने एक तीर से कई निशाने लगा लिए हैं. कहा जा रहा है कि राहुल गांधी अब भी कांग्रेस पार्टी की कमान संभालने के लिए तैयार नहीं है. ऐसे में राहुल गांधी के मना करने पर अध्यक्ष पद के लिए सबसे बेहतर उम्मीदवार राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को माना जा रहा है.
हर कोई जानता है कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत अभी राजस्थान छोड़ने की इच्छा नहीं रखते हैं. आज इस तरीके से अशोक गहलोत ने तल्ख तेवर दिखाए हैं, उससे एक तो उन्होंने खुद पर आ रही संभावित अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी को टाल दिया है तो वहीं उन्होंने अपने आपको गांधी परिवार का सबसे ज्यादा नजदीकी भी साबित कर दिया है.