जयपुर. सीएम अशोक गहलोत ने गुरुवार को मुख्यमंत्री निवास से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से प्रदेश के पहले राजस्व दिवस समारोह को संबोधित किए. इस दौरान उन्होंने राजस्व विभाग की अपना खाता, ई-गिरदावरी, कृषि ऋण रहन पोर्टल, ई-पंजीयन आदि सेवाओं का ई-लोकार्पण किया.
मुख्यमंत्री ने समारोह में कहा कि आज से शुरू हो रहा राजस्व दिवस इस विभाग के कैलेण्डर में एक महत्वपूर्ण दिन होगा. अब हर साल इस मौके पर राजस्व विभाग अपनी वर्ष भर की उपलब्धियों और चुनौतियों का आकलन करेगा. साथ ही भविष्य की गतिविधियों की योजनाबद्ध रूपरेखा तैयार कर उस पर काम करेगा. उन्होंने कहा कि इंटरनेट और सूचना तकनीक के दौर में विभाग की सेवाओं का कम्प्यूटरीकरण होने से पटवारी तथा गिरदावर स्तर के अधिकारियों के राजस्व और विशेषकर खेती से जुडे़ छोटे-छोटे कार्य समय पर पूरे हो सकेंगे और इन अधिकारियों पर काम का बोझ भी घटेगा. गहलोत ने विभाग के अधिकारियों को निर्देश दिए कि जिन सेवाओं का पायलट प्रोजेक्ट के रूप में कम्प्यूटरीकरण किया गया है, उनको जल्द से जल्द से पूरे प्रदेश के लिए ऑनलाइन किया जाए.
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उन्होंने कहा कि राजस्व विभाग से जुड़े कई कानूनों को सरलीकरण करने का काम भी शुरू किया गया है. इससे किसानों और ग्रामीण क्षेत्र के भू-मालिकों को अपनी जमीनों के अधिकार प्राप्त करने और उनके बंटवारे तथा प्रबंधन में आसानी होगी. राजस्व मंत्री हरीश चौधरी ने कहा कि बीते डेढ़ साल में राजस्व विभाग की कार्यप्रणाली और निर्णयों में बदलाव से आखिरी पंक्ति में खड़े आम आदमी के कल्याण के लिए बेहतर वातावरण बना है. राजस्व के कई तरह के रिकॉर्ड की कम्प्यूटर प्रति को ही सत्यप्रति मानने तथा ई-हस्ताक्षर को कानूनी वैधता मिलने से करोड़ों किसानों को लाभ मिल रहा है. उन्होंने कहा कि राजस्व विभाग की सेवाओं के ऑनलाइन होने पर विभाग के अधिकारियों के काम में दक्षता और सटीकता आई है.
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राजस्व राज्यमंत्री भंवर सिंह भाटी ने प्रदेश में पहली बार राजस्व दिवस मनाने पर मुख्यमंत्री गहलोत का आभार व्यक्त करते हुए विभाग के अधिकारियों और कार्मिकों को इसके लिए बधाई दी. उन्होंने कहा कि राजस्थान की कुल 338 तहसीलों में से 244 तहसीलों का रिकॉर्ड ऑनलाइन हो गया है और 31 मार्च 2021 तक समस्त तहसीलों का रिकॉर्ड ऑनलाइन उपलब्ध कराने का लक्ष्य रखा गया है. इससे भू-राजस्व से जुड़े प्रकरणों के निस्तारण के काम में गति आएगी. मुख्य सचिव राजीव स्वरूप ने कहा कि भू-राजस्व का प्रबंधन जमीन से जुड़ी प्रदेश की 75 प्रतिशत जनसंख्या के जीवन से जुड़ा एक महत्वपूर्ण कार्य है. उन्होंने कहा कि राजस्व विभाग भी राज्य प्रशासन का सबसे मजबूत अंग है और इसकी पहुंच प्रदेश के अंतिम छोर तक है. राजस्व से जुड़े कार्याें में दक्षता आने से करोड़ों लोगों का जीवन सहूलियत भरा हो सकता है. भूमि रिकॉर्ड तथा सेवाओं के कम्प्यूटरीकरण के बाद भी विभाग के अधिकारियों की चुनौतियां बनी रहेंगी. अब पटवारी से लेकर तहसीलदार तथा कलेक्टर तक राजस्व अधिकारियों को प्रकरणों के निस्तारण में और अधिक तत्परता दिखानी होगी.
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राजस्व बोर्ड के अध्यक्ष डॉ. आर. वेंकटेश्वरन ने कहा कि राजस्व विभाग की विभिन्न सेवाओं के ऑनलाइन होने के बाद उच्च अधिकारी से लेकर पंचायत स्तर के पटवारी तक सभी की जिम्मेदारी अधिक बढ़ गई है. कानूनों के सरलीकरण से राज्य सरकार की मंशा स्पष्ट है कि प्रकरणों के निस्तारण में देरी न हो. उन्होंने कहा कि पटवारी स्तर तक विभाग के सभी अधिकारियों को ग्रामीण लोगों के प्रति अपनी भूमिका को अधिक प्रासंगिक और जवाबदेह बनाना होगा. समारोह के दौरान मुख्यमंत्री ने बाड़मेर, डूंगरपुर, हनुमानगढ़, उदयपुर और भरतपुर में संभागीय आयुक्त, जिला कलेक्टर, उपखण्ड अधिकारी, भू-अभिलेख निरीक्षक,पटवारी स्तर तक के अधिकारियों एवं कार्मिकों के साथ संवाद किया. उन्होंने इस अवसर पर राजस्थान राजस्व बोर्ड की पत्रिका 'राविरा' का विमोचन भी किया. कार्यक्रम में विभाग की सेवाओं के कम्प्यूटरीकरण और कार्यप्रणाली में आए बदलाव से जुड़ी लघु फिल्म दिखाई गई.
इस मौके पर प्रमुख शासन सचिव राजस्व आनन्द कुमार, भू-प्रबन्ध आयुक्त रोहित गुप्ता, निबन्धक राजस्व मण्डल नम्रता वृष्णि, संभागीय आयुक्त, जिला केलक्टर, राजस्व विभाग के अधिकारी, तहसीलदार, गिरदावर और पटवारी स्तर तक के कार्मिकों सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से कार्यक्रम में शामिल हुए.