जयपुर. कोरोना वायरस के कारण करोड़ों लोगों की जिंदगी पर असर पड़ा है. वहीं, इस वायरस ने करोड़ों लोगों की जीविका पर प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से बुरा असर डाला है. शादी समारोह न होने से जयपुर के कपड़ा व्यापारियों की हालत खस्ताहाल हो गई है. कभी लाखों कमाने वालों की महीनों से बिक्री तक नहीं हुई है.
भारतीय शादी-विवाह समारोह तो पूरी दुनिया में प्रसिद्ध है. शादियों की चकाचौंध देखने वाली होती हैं. रंग-बिरंगी लाइटें, खाने, गाने और शादियों के विशेष कपड़े देखने लायक होते हैं. एक समान्य शादी में लाखों का खर्च होता है. ऐसे में शादी व्यवसाय से जुड़े लोगों को काफी फायदा होता है, लेकिन इस बार कोरोना ने ऐसा कहर बरपाया है कि जयपुर के कपड़ा व्यवसाय को ठप कर दिया है. हालात ऐसे हैं कि पिछले करीब 6 महीने से कारोबार ठप पड़ा है. शादियों का सीजन आने वाला है, लेकिन एक भी बुकिंग नहीं हुई है.
गुलाबीनगरी के परकोटे में छोटी चौपड़ और बड़ी चौपड़ क्षेत्र के कई छोटे-बड़े मार्केट में शादी-विवाह संबंधित कपड़े की 500 के करीब दुकानें और शोरूम हैं, जहां शादी के सीजन के समय में फैंसी डिजाइनर शेरवानी, साफा, लहंगा और अन्य कपड़ा की भारी डिमांड रहती थी. वहीं, शादी सीजन में तो कपड़ा कारोबार अपने पूरे चरम पर होता है और करोड़ों से अधिक की बिक्री होती है.
बिना बोहनी घर लौटने को मजबूर...
जयपुर में कपड़ा मंडी में अलग-अलग राज्यों से लोग और छोटे व्यापारी यहां तक पहुंचते थे. मगर इस बार कोरोना महामारी ने व्यापार बर्बाद कर दिया है. जहां दुकानदार सुबह दुकान खोलते हैं और शाम को बिना बोहनी किए ही हताश होकर घर की ओर निकल पड़ते हैं.
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बाजारों में शादी ब्याह में दूल्हे की शेरवानी बेचने और किराए पर देने वाले दुकानदारों का कहना है कि कोरोना से पहले सीजन को देखते हुए कपड़े का स्टॉक किया था. जिससे आगे उसको बेच सके, लेकिन फिर मार्च में लॉकडाउन लग गया. फिर बड़े स्तर पर शादियां भी कैंसल हो गई, जिससे कपड़े बिक नहीं पाए और नुकसान उठाना पड़ रहा है.
व्यापारियों ने कहा- ऐसी मंदी कभी नहीं देखी...
कपड़ा व्यापारी वल्लभ कहते हैं कि पीढियां गुजर गई, लेकिन ये सोचा नहीं था कि ऐसी मंदी पड़ेगी. जैसे-तैसे उधार लेकर जिंदगी चल रही है. इस साल उम्मीद ही खत्म है. अगले साल देखा जाएगा. वहीं व्यापारी रोशन कुमार कहते हैं कि महामारी से व्यापार नहीं है ग्राहक भी नहीं है. गुजारा भगवान भरोसे है, आगे क्या होगा पता नहीं होगा. व्यापारियों का कहना है कि सरकार से क्या मदद की उम्मीद रखें. सरकार से बिजली और पानी का बिल माफ करने की मांग थी, वहीं पूरी नहीं हुई.
बिजली, पानी के बिल से दोहरी मार...
इसके अलावा कई माह से ठप पड़े व्यापार में कर्मचारियों को वेतन, बिजली बिल सहित अन्य खर्चो की दोहरी मार पड़ी है. हालांकि, आगामी नवंबर में शादियों की सीजन व्यापारियों के कुछ रियायत मिलने की उम्मीद है, लेकिन ऐसा लग नहीं रहा है.
देवउठनी एकादशी 25 नवंबर से है, ऐसे में फिर से विवाह का सीजन शुरू होगा. हालांकि, अभी भी व्यापारी बुकिंग को तरस ही रहे हैं. जबकि पिछले साल अभी तक शादियों के लिए बुकिंग शुरू हो गई थी है.
बाजार में ग्राहकों की संख्या कोरोना के कारण खत्म ही हो गई है. लोगों में इसका इस कदर डर बैठा है कि वह बाजार में आने से भी कतरा रहे हैं. अगर आने वाले दिनों में यही स्थिति रही तो व्यापारियों को दुकानें बंद करनी पड़ेगी.