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निकाय चुनाव: कांग्रेस के सामने दोहरी चुनौती, 90 निकायों में भाजपा ने बीते चुनाव में जीते थे 60 निकाय - Jaipur News

निकाय चुनाव में कांग्रेस के सामने 1 महीने पहले ही भाजपा के वोट बैंक में सेंध लगाने का इतिहास दोहराने और बीते इतिहास से पार पाने की दोहरी चुनौती है. 90 निकायों में भाजपा ने बीते चुनाव में 60 निकाय जीते थे, ऐसे में भाजपा के शहरी वोटर को एक महीने के अंतराल में ही दोबारा तोड़ना कांग्रेस के लिए बड़ी चुनौती होगी.

Rajasthan civic election,  Challenge in front of Congress
कांग्रेस के सामने दोहरी चुनौती
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Published : Jan 22, 2021, 8:36 PM IST

जयपुर. राजस्थान के 20 जिलों में होने वाले 90 निकाय चुनाव के लिए रणभेरी बज चुकी है, लेकिन इन निकाय चुनाव में अगर सबसे ज्यादा साख किसी की दांव पर है तो वह कांग्रेस पार्टी की है. ऐसा इसलिए क्योंकि कांग्रेस पार्टी राजस्थान में सत्ता में है, ऐसे में सत्ताधारी दल होने के नाते उससे जीत की अपेक्षाएं बढ़ती है. इसके साथ ही दोहरी अपेक्षाएं कांग्रेस पार्टी से इसलिए भी हो गई है क्योंकि हाल ही में हुए 12 जिलों के 50 निकाय चुनाव में कांग्रेस पार्टी ने 36 निकायों पर जीत दर्ज की थी.

कांग्रेस के सामने दोहरी चुनौती

ऐसे में पहली बार शहरी वोटर पर अपना कंट्रोल दिखा चुकी कांग्रेस के सामने यह चुनौती होगी कि वह कैसे महज एक महीने के अंतराल में होने जा रहे चुनाव में दोबारा उस शहरी वोट बैंक पर पकड़ दिखा सके जो भाजपा का माना जाता है. बता दें कि कांग्रेस पार्टी के सामने इन चुनाव में चुनौती इसलिए भी बड़ी है क्योंकि कांग्रेस पार्टी का पिछले निकाय चुनाव में प्रदर्शन खराब रहा था.

पढ़ें- निकाय चुनाव 2021 : नाम वापसी के बाद सदस्य पद के लिए 9,930 उम्मीदवार चुनावी मैदान में...50 निर्विरोध निर्वाचित

इन 90 निकायों में से कांग्रेस पार्टी को महज 25 निकायों में ही जीत मिली थी, जबकि भाजपा को 60 निकायों में जीत मिली थी. वहीं क्योंकि यह कहा जाता है कि शहरी वोटर पर हमेशा भाजपा की पकड़ रहती है, तो ऐसे में कांग्रेस के सामने 1 महीने पहले बनाया गया इतिहास दोहराने की बड़ी चुनौती होगी.

बता दें कि यह पहला चुनाव होगा जब कांग्रेस पार्टी अपने पूरे संगठन के साथ चुनाव मैदान में होगी क्योंकि इससे पहले जो चुनाव हुए थे उनमें संगठन के नाम पर केवल गोविंद डोटासरा अकेले पदाधिकारी थे. लेकिन इस बार सभी पदाधिकारियों का सहयोग भी कांग्रेस पार्टी को मिल रहा है तो फिर नतीजों पर कांग्रेस पार्टी के 22 विधायकों, 6 मंत्रियों और एक उप मुख्य सचेतक के अलावा 39 पदाधिकारियों की भी साख दांव पर होगी.

इन निकायों ने इनका कब्जा...

  • अजमेर

अजमेर में 5 जगह चुनाव है. इनमें से तीन जगह कांग्रेस के विधायक हैं, एक जगह निर्दलीय और अजमेर नगर निगम पूरे अजमेर का आता है. विजयनगर को छोड़कर बाकी चार जगह भाजपा का कब्जा था. अजमेर में अजमेर नगर निगम, केकड़ी नगर पालिका, सरवाड़ नगर पालिका और किशनगढ़ नगर परिषद में भाजपा का क्ब्जा था.

  • बांसवाड़ा

कुशलगढ़ नगर पालिका- यह नगरपालिका पहले भाजपा के पास थी. यहां विधायक निर्दलीय रमिला खड़िया हैं, जो कांग्रेस समर्थित है.

  • बीकानेर

बीकानेर में 3 नगरपालिका में से एक पर कांग्रेस के विधायक भंवर सिंह भाटी हैं, जो मंत्री भी हैं. एक जगह भाजपा और एक जगह सीपीएम का कब्जा है. पहले 3 में से 2 नगर पालिका नोखा और देशनोक भाजपा और डूंगरगढ़ नगर पालिका पर कम्युनिस्ट पार्टी पर मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी का कब्जा था.

  • भीलवाड़ा

भीलवाड़ा में 7 जगह चुनाव है, जिनमें से 6 जगह अभी भाजपा के विधायक हैं. गंगापुर नगर पालिका भीलवाड़ा में आती है, जहां कांग्रेस के विधायक कैलाश त्रिवेदी थे लेकिन इनका निधन हो गया है. पिछली बार इन 7 में से भीलवाड़ा नगर परिषद, आसींद नगर पालिका और गुलाबपुरा नगर पालिका पर भाजपा का कब्जा था, तो वहीं शाहपुरा, जहाजपुर, मांडलगढ़ और गंगापुर नगर पालिका में कांग्रेस ने चुनाव जीता था.

  • बूंदी

बूंदी में 5 नगर पालिका और एक नगर परिषद है, जिनमें से 4 नगर पालिका केशोरायपाटन में आती है जहां भाजपा के विधायक चंद्रकांता मेघवाल हैं. बूंदी से भाजपा के विधायक अशोक डोगरा हैं तो एकमात्र नैनवा नगर पालिका में खेल मंत्री अशोक चांदना विधायक हैं. बूंदी नगर परिषद, इंदरगढ़ नगर पालिका, केशोरायपाटन नगर पालिका, कापरेन नगर पालिका, लाखेरी नगर पालिका और नैनवा नगरपालिका पर भाजपा का कब्जा था.

  • प्रतापगढ़

प्रतापगढ़ में एक नगर पालिका और एक नगर परिषद है, जो दोनों प्रतापगढ़ विधानसभा में आती है. जहां विधायक कांग्रेस के रामलाल मीणा हैं. बीते चुनाव में प्रतापगढ़ नगर परिषद और छोटी सादड़ी नगर पालिका में भाजपा का कब्जा था.

  • चित्तौड़गढ़

चित्तौड़गढ़ की 3 नगर पालिका में से दो में भाजपा के विधायक हैं और एक में कांग्रेस के राजेंद्र बिधूड़ी. तीनों नगर पालिका बड़ी सदरी, बेगू और कपासन पहले भाजपा के कब्जे में थी.

  • चूरू

चूरू की 8 में से 5 नगर पालिकाओं में कांग्रेस के विधायक हैं, तो तीन जगह भाजपा का कब्जा है. हालांकि 5 नगर पालिका में से 3 सुजानगढ़ में आती है, जहां मास्टर भंवरलाल मेघवाल का निधन हो चुका है. इन 8 में से बिदासर, छापर, राजलदेसर, रतनगढ़, सरदार शहर और तारानगर पर भाजपा का कब्जा था, तो वहीं सुजानगढ़ और रतन नगर में कांग्रेस का बोर्ड था.

  • डूंगरपुर

डूंगरपुर में एक नगर परिषद और एक नगर पालिका है. 2 में से एक जगह कांग्रेस के विधायक गणेश घोघरा हैं तो एक जगह बीटीपी के विधायक रामप्रसाद हैं. बीते चुनाव में डूंगरपुर नगर परिषद और सागवाड़ा नगर पालिका में भाजपा का कब्जा था.

  • हनुमानगढ़

हनुमानगढ़ में 5 जगह चुनाव है, जिनमें से एक जगह नोहर में कांग्रेस विधायक अमित चाचान हैं तो एक जगह सीपीएम विधायक बलवान पूनिया भादरा. तीन जगह भाजपा के विधायक हैं.

  • जैसलमेर

जैसलमेर की पोकरण नगर पालिका में चुनाव है, जहां से कांग्रेस के मंत्री सालेह मोहम्मद विधायक हैं. पहले पोकरण नगर पालिका कांग्रेस के कब्जे में थी.

  • जालोर

जालोर के सांचौर से कांग्रेस के विधायक मंत्री सुखराम बिश्नोई है. यह नगर पालिका पिछले चुनाव में भाजपा के कब्जे में थी.

  • झालावाड़

झालावाड़ जिले में एक नगर परिषद और 4 नगर पालिका है. सभी जगह भाजपा के विधायक हैं. पिछले चुनावों में भवानी मंडी, पिड़ावा और अकलेरा नगर पालिका भाजपा के कब्जे में थी, तो वहीं झालावाड़ नगर परिषद और झालरापाटन नगर पालिका कांग्रेस के कब्जे में थी.

  • झुंझुनू

झुंझुनू में 8 नगरपालिका में चुनाव है, जिनमें से 7 जगह कांग्रेस के विधायक हैं तो एक जगह भाजपा का. इन 8 में से चिड़ावा, बगड़, खेतड़ी, मंडावा, सूरजगढ़ और उदयपुर नगरपालिका पर भाजपा का कब्जा है तो मुकुंदगढ़ और नवलगढ़ में कांग्रेस का बोर्ड था.

  • नागौर

नागौर में 8 नगर पालिका और 1 नगर परिषद में चुनाव है. नागौर में 5 कांग्रेस के विधायक हैं. 2 जगह आरएलपी और 2 जगह भाजपा विधायक हैं. पिछले निकाय चुनाव में 5 सीट डेगाना, कुचामन सिटी, लाडनूं, मुंडवा और नावा में भाजपा और 3 सीटों मेड़ता सिटी, नागौर और परबतसर में कांग्रेस का बोर्ड था. वहीं, कुचेरा नगरपालिका पर निर्दलीयों का कब्जा था.

  • पाली

पाली में 7 नगरपालिका में से 6 पर भाजपा तो 1 पर निर्दलीय विधायक है. बीते निकाय चुनावों में पाली की 5 नगर पालिकाओं बाली, फालना, रानीखुर्द, सोजत सिटी और तखतगढ़ पर भाजपा तो बाकी 2 नगरपालिका जैतारण और सादड़ी में कांग्रेस का बोर्ड था.

  • राजसमंद

राजसमंद में एक नगर परिषद और एक नगर पालिका में चुनाव है, जिसमें से एक में कांग्रेस और एक सीट अभी रिक्त है क्योंकि राजसमंद सीट से किरण महेश्वरी का निधन हो गया है. पिछले चुनाव में राजसमंद नगर परिषद से भाजपा और देवगढ़ नगर पालिका से कांग्रेस ने बोर्ड बनाया था.

  • सीकर

सीकर में 7 नगर पालिका में से 5 पर कांग्रेस और दो नगर पालिका में निर्दलीय विधायक है. पिछले नगर पालिका चुनाव में सीकर की 2 नगर पालिका फतेहपुर और श्रीमाधोपुर पर भाजपा का कब्जा था, तो बाकी बची 5 नगरपालिका खंडेला, लक्ष्मणगढ़, लोसल, रामगढ़-शेखावटी और रींगस में कांग्रेस का बोर्ड था.

  • टोंक

टोंक में 5 नगर पालिका में चुनाव है, जिनमें से 3 जगह कांग्रेस के विधायक हैं तो दो जगह भाजपा के विधायक हैं. बीते निकाय चुनाव की बात करें तो देवली, निवाई मालपुरा और टोडाराय सिंह नगर पालिका में भाजपा का बोर्ड था. वहीं, उनियारा नगर पालिका में निर्दलीय ने बाजी मारी थी.

  • उदयपुर

उदयपुर में 3 नगरपालिका हैं, जिनमें से 2 में भाजपा के विधायक हैं तो कांग्रेस के विधायक गजेंद्र सिंह शक्तावत का निधन हो गया है. अभी भिंडर सीट पर कोई विधायक नहीं हैं. बीते निकाय चुनाव की बात की जाए तो फतहनगर और सलूंबर नगर पालिका में भाजपा का बोर्ड था, तो वहीं भिंडर में निर्दलीय ने बोर्ड बनाया.

जयपुर. राजस्थान के 20 जिलों में होने वाले 90 निकाय चुनाव के लिए रणभेरी बज चुकी है, लेकिन इन निकाय चुनाव में अगर सबसे ज्यादा साख किसी की दांव पर है तो वह कांग्रेस पार्टी की है. ऐसा इसलिए क्योंकि कांग्रेस पार्टी राजस्थान में सत्ता में है, ऐसे में सत्ताधारी दल होने के नाते उससे जीत की अपेक्षाएं बढ़ती है. इसके साथ ही दोहरी अपेक्षाएं कांग्रेस पार्टी से इसलिए भी हो गई है क्योंकि हाल ही में हुए 12 जिलों के 50 निकाय चुनाव में कांग्रेस पार्टी ने 36 निकायों पर जीत दर्ज की थी.

कांग्रेस के सामने दोहरी चुनौती

ऐसे में पहली बार शहरी वोटर पर अपना कंट्रोल दिखा चुकी कांग्रेस के सामने यह चुनौती होगी कि वह कैसे महज एक महीने के अंतराल में होने जा रहे चुनाव में दोबारा उस शहरी वोट बैंक पर पकड़ दिखा सके जो भाजपा का माना जाता है. बता दें कि कांग्रेस पार्टी के सामने इन चुनाव में चुनौती इसलिए भी बड़ी है क्योंकि कांग्रेस पार्टी का पिछले निकाय चुनाव में प्रदर्शन खराब रहा था.

पढ़ें- निकाय चुनाव 2021 : नाम वापसी के बाद सदस्य पद के लिए 9,930 उम्मीदवार चुनावी मैदान में...50 निर्विरोध निर्वाचित

इन 90 निकायों में से कांग्रेस पार्टी को महज 25 निकायों में ही जीत मिली थी, जबकि भाजपा को 60 निकायों में जीत मिली थी. वहीं क्योंकि यह कहा जाता है कि शहरी वोटर पर हमेशा भाजपा की पकड़ रहती है, तो ऐसे में कांग्रेस के सामने 1 महीने पहले बनाया गया इतिहास दोहराने की बड़ी चुनौती होगी.

बता दें कि यह पहला चुनाव होगा जब कांग्रेस पार्टी अपने पूरे संगठन के साथ चुनाव मैदान में होगी क्योंकि इससे पहले जो चुनाव हुए थे उनमें संगठन के नाम पर केवल गोविंद डोटासरा अकेले पदाधिकारी थे. लेकिन इस बार सभी पदाधिकारियों का सहयोग भी कांग्रेस पार्टी को मिल रहा है तो फिर नतीजों पर कांग्रेस पार्टी के 22 विधायकों, 6 मंत्रियों और एक उप मुख्य सचेतक के अलावा 39 पदाधिकारियों की भी साख दांव पर होगी.

इन निकायों ने इनका कब्जा...

  • अजमेर

अजमेर में 5 जगह चुनाव है. इनमें से तीन जगह कांग्रेस के विधायक हैं, एक जगह निर्दलीय और अजमेर नगर निगम पूरे अजमेर का आता है. विजयनगर को छोड़कर बाकी चार जगह भाजपा का कब्जा था. अजमेर में अजमेर नगर निगम, केकड़ी नगर पालिका, सरवाड़ नगर पालिका और किशनगढ़ नगर परिषद में भाजपा का क्ब्जा था.

  • बांसवाड़ा

कुशलगढ़ नगर पालिका- यह नगरपालिका पहले भाजपा के पास थी. यहां विधायक निर्दलीय रमिला खड़िया हैं, जो कांग्रेस समर्थित है.

  • बीकानेर

बीकानेर में 3 नगरपालिका में से एक पर कांग्रेस के विधायक भंवर सिंह भाटी हैं, जो मंत्री भी हैं. एक जगह भाजपा और एक जगह सीपीएम का कब्जा है. पहले 3 में से 2 नगर पालिका नोखा और देशनोक भाजपा और डूंगरगढ़ नगर पालिका पर कम्युनिस्ट पार्टी पर मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी का कब्जा था.

  • भीलवाड़ा

भीलवाड़ा में 7 जगह चुनाव है, जिनमें से 6 जगह अभी भाजपा के विधायक हैं. गंगापुर नगर पालिका भीलवाड़ा में आती है, जहां कांग्रेस के विधायक कैलाश त्रिवेदी थे लेकिन इनका निधन हो गया है. पिछली बार इन 7 में से भीलवाड़ा नगर परिषद, आसींद नगर पालिका और गुलाबपुरा नगर पालिका पर भाजपा का कब्जा था, तो वहीं शाहपुरा, जहाजपुर, मांडलगढ़ और गंगापुर नगर पालिका में कांग्रेस ने चुनाव जीता था.

  • बूंदी

बूंदी में 5 नगर पालिका और एक नगर परिषद है, जिनमें से 4 नगर पालिका केशोरायपाटन में आती है जहां भाजपा के विधायक चंद्रकांता मेघवाल हैं. बूंदी से भाजपा के विधायक अशोक डोगरा हैं तो एकमात्र नैनवा नगर पालिका में खेल मंत्री अशोक चांदना विधायक हैं. बूंदी नगर परिषद, इंदरगढ़ नगर पालिका, केशोरायपाटन नगर पालिका, कापरेन नगर पालिका, लाखेरी नगर पालिका और नैनवा नगरपालिका पर भाजपा का कब्जा था.

  • प्रतापगढ़

प्रतापगढ़ में एक नगर पालिका और एक नगर परिषद है, जो दोनों प्रतापगढ़ विधानसभा में आती है. जहां विधायक कांग्रेस के रामलाल मीणा हैं. बीते चुनाव में प्रतापगढ़ नगर परिषद और छोटी सादड़ी नगर पालिका में भाजपा का कब्जा था.

  • चित्तौड़गढ़

चित्तौड़गढ़ की 3 नगर पालिका में से दो में भाजपा के विधायक हैं और एक में कांग्रेस के राजेंद्र बिधूड़ी. तीनों नगर पालिका बड़ी सदरी, बेगू और कपासन पहले भाजपा के कब्जे में थी.

  • चूरू

चूरू की 8 में से 5 नगर पालिकाओं में कांग्रेस के विधायक हैं, तो तीन जगह भाजपा का कब्जा है. हालांकि 5 नगर पालिका में से 3 सुजानगढ़ में आती है, जहां मास्टर भंवरलाल मेघवाल का निधन हो चुका है. इन 8 में से बिदासर, छापर, राजलदेसर, रतनगढ़, सरदार शहर और तारानगर पर भाजपा का कब्जा था, तो वहीं सुजानगढ़ और रतन नगर में कांग्रेस का बोर्ड था.

  • डूंगरपुर

डूंगरपुर में एक नगर परिषद और एक नगर पालिका है. 2 में से एक जगह कांग्रेस के विधायक गणेश घोघरा हैं तो एक जगह बीटीपी के विधायक रामप्रसाद हैं. बीते चुनाव में डूंगरपुर नगर परिषद और सागवाड़ा नगर पालिका में भाजपा का कब्जा था.

  • हनुमानगढ़

हनुमानगढ़ में 5 जगह चुनाव है, जिनमें से एक जगह नोहर में कांग्रेस विधायक अमित चाचान हैं तो एक जगह सीपीएम विधायक बलवान पूनिया भादरा. तीन जगह भाजपा के विधायक हैं.

  • जैसलमेर

जैसलमेर की पोकरण नगर पालिका में चुनाव है, जहां से कांग्रेस के मंत्री सालेह मोहम्मद विधायक हैं. पहले पोकरण नगर पालिका कांग्रेस के कब्जे में थी.

  • जालोर

जालोर के सांचौर से कांग्रेस के विधायक मंत्री सुखराम बिश्नोई है. यह नगर पालिका पिछले चुनाव में भाजपा के कब्जे में थी.

  • झालावाड़

झालावाड़ जिले में एक नगर परिषद और 4 नगर पालिका है. सभी जगह भाजपा के विधायक हैं. पिछले चुनावों में भवानी मंडी, पिड़ावा और अकलेरा नगर पालिका भाजपा के कब्जे में थी, तो वहीं झालावाड़ नगर परिषद और झालरापाटन नगर पालिका कांग्रेस के कब्जे में थी.

  • झुंझुनू

झुंझुनू में 8 नगरपालिका में चुनाव है, जिनमें से 7 जगह कांग्रेस के विधायक हैं तो एक जगह भाजपा का. इन 8 में से चिड़ावा, बगड़, खेतड़ी, मंडावा, सूरजगढ़ और उदयपुर नगरपालिका पर भाजपा का कब्जा है तो मुकुंदगढ़ और नवलगढ़ में कांग्रेस का बोर्ड था.

  • नागौर

नागौर में 8 नगर पालिका और 1 नगर परिषद में चुनाव है. नागौर में 5 कांग्रेस के विधायक हैं. 2 जगह आरएलपी और 2 जगह भाजपा विधायक हैं. पिछले निकाय चुनाव में 5 सीट डेगाना, कुचामन सिटी, लाडनूं, मुंडवा और नावा में भाजपा और 3 सीटों मेड़ता सिटी, नागौर और परबतसर में कांग्रेस का बोर्ड था. वहीं, कुचेरा नगरपालिका पर निर्दलीयों का कब्जा था.

  • पाली

पाली में 7 नगरपालिका में से 6 पर भाजपा तो 1 पर निर्दलीय विधायक है. बीते निकाय चुनावों में पाली की 5 नगर पालिकाओं बाली, फालना, रानीखुर्द, सोजत सिटी और तखतगढ़ पर भाजपा तो बाकी 2 नगरपालिका जैतारण और सादड़ी में कांग्रेस का बोर्ड था.

  • राजसमंद

राजसमंद में एक नगर परिषद और एक नगर पालिका में चुनाव है, जिसमें से एक में कांग्रेस और एक सीट अभी रिक्त है क्योंकि राजसमंद सीट से किरण महेश्वरी का निधन हो गया है. पिछले चुनाव में राजसमंद नगर परिषद से भाजपा और देवगढ़ नगर पालिका से कांग्रेस ने बोर्ड बनाया था.

  • सीकर

सीकर में 7 नगर पालिका में से 5 पर कांग्रेस और दो नगर पालिका में निर्दलीय विधायक है. पिछले नगर पालिका चुनाव में सीकर की 2 नगर पालिका फतेहपुर और श्रीमाधोपुर पर भाजपा का कब्जा था, तो बाकी बची 5 नगरपालिका खंडेला, लक्ष्मणगढ़, लोसल, रामगढ़-शेखावटी और रींगस में कांग्रेस का बोर्ड था.

  • टोंक

टोंक में 5 नगर पालिका में चुनाव है, जिनमें से 3 जगह कांग्रेस के विधायक हैं तो दो जगह भाजपा के विधायक हैं. बीते निकाय चुनाव की बात करें तो देवली, निवाई मालपुरा और टोडाराय सिंह नगर पालिका में भाजपा का बोर्ड था. वहीं, उनियारा नगर पालिका में निर्दलीय ने बाजी मारी थी.

  • उदयपुर

उदयपुर में 3 नगरपालिका हैं, जिनमें से 2 में भाजपा के विधायक हैं तो कांग्रेस के विधायक गजेंद्र सिंह शक्तावत का निधन हो गया है. अभी भिंडर सीट पर कोई विधायक नहीं हैं. बीते निकाय चुनाव की बात की जाए तो फतहनगर और सलूंबर नगर पालिका में भाजपा का बोर्ड था, तो वहीं भिंडर में निर्दलीय ने बोर्ड बनाया.

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