जयपुर. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत कोरोना संक्रमण काल के दौरान अनाथ हुए बच्चों को तत्काल सहायता देने को लेकर केंद्र सरकार पर आरोप लगाते रहे, लेकिन राज्य की गहलोत सरकार भी इन बच्चों को राहत देने में कोई ज्यादा सफल नहीं हो सकी.
पढ़ेंः RAJASTHAN CORONA UPDATE: कोरोना संक्रमण के 121 नए मामले दर्ज, 2 मरीजों की मौत
अनाथ बच्चों को आर्थिक सहायता देने के लिए 12 जून को घोषणा हुई. उसके करीब दो सप्ताह बाद यानी 25 जून को गाइडलाइन जारी हुई, लेकिन बावजूद इसके जिन बच्चों को तत्काल सहायता मिलनी चाहिए उन्हें अभी तक आर्थिक सहायता नहीं मिल सकी. बाल संरक्षण आयोग उम्मीद जाता रहा है कि जल्द ही इन बच्चों तक योजना का लाभ मिलेगा.
इसी मुद्दे पर बाल संरक्षण आयोग की अध्यक्ष संगीता बेनीवाल ने ईटीवी भारत (ETV Bharat) से खास बातचीत की. संगीता बेनीवाल ने कहा कि 800 के करीब बच्चों की सूची तैयार हो गई है. जल्द ही बच्चों को सहायता मिलेगी, लेकिन इस पर राजनीति नहीं होनी चाहिए.
राजस्थान की गहलोत सरकार ने 12 जून को कोरोना से अनाथ हुए बच्चों को तत्काल आर्थिक सहायता देने के लिए मुख्यमंत्री बाल कल्याण योजना की घोषणा की थी. करीब 2 सप्ताह बाद 25 जून को इस योजना के क्रियान्वयन को लेकर गाइडलाइन जारी हुई, लेकिन अभी तक गहलोत सरकार एक भी अनाथ बच्चों को आर्थिक सहायता उपलब्ध नहीं करा पाई है. इसी मामले को लेकर पिछले दिनों राज्यसभा सांसद किरोड़ी लाल मीणा पीड़ित बच्चों को लेकर मुख्यमंत्री आवास के बाद धरने पर बैठ गए थे.
राजस्थान में बाल अधिकारों के लिए काम करने वाले बाल संरक्षण आयोग की अध्यक्ष संगीता बेनीवाल से जब इस पूरे मामले पर बात की तो उन्होंने कहा कि राजस्थान में करीब 800 बच्चों को चिन्हित कर लिया है. जिन्होंने इस कोरोना काल में अपने माता-पिता को खोया है. उन्हें जल्द ही सरकार की ओर से जारी की गई घोषणा का लाभ मिलेगा.
पढ़ेंः गुजरात से सटे आदिवासी क्षेत्र में बाल तस्करी-बालश्रम रोकना चुनौतीपूर्ण- संगीता बेनीवाल
संगीता बेनीवाल ने कहा कि इस संकट के वक्त में हम सबको मिलकर चाहे वो जनप्रतिनिधि हो स्थानीय नेता हो कांग्रेस का हो या बीजेपी का हो इन बच्चों की मदद करनी चाहिए. उनकी सूचना 1098 या बाल संरक्षण आयोग को भी दे सकते हैं. ताकि पीड़ित बच्चों को सरकार की योजना का लाभ मिल सके.
संगीता बेनीवाल ने कहा इन बच्चों को राहत देने के लिए राज्य के पालनहार योजना से जोड़ दिया गया है. जब उनसे बच्चों को तत्काल आर्थिक सहायता दिए जाने पर सवाल किया तो उन्होंने कहा की हाल ही में सरकार की ओर से योजना के क्रियान्वयन को लेकर गाइडलाइन जारी हुई है. सभी बच्चों की सूची तैयार की जा रही है. यह देखा जा रहा है कि किसी गलत व्यक्ति को इसका लाभ नहीं मिले. जरूरतमंद और सही बच्चे तक सहायता पहुंचे इसलिए इसमें थोड़ी सी देरी हो रही है. उन्होंने यह भी स्वीकारा किया कि अभी तक किसी बच्चे को तत्काल एक लाख की आर्थिक सहायता जो मिलनी चाहिए वह नहीं मिली है. उन्होंने कहा कि जल्द ही उन्हें इसका लाभ मिलेगा.
12 जून को हुई घोषणा
प्रदेश की गहलोत सरकार ने 12 जून को कोरोना काल में अनाथ हुए बच्चों को तत्काल सहायता उपलब्ध कराने के लिए मुख्यमंत्री बाल कल्याण योजना की घोषणा की थी. जिसमें 1 लाख रुपए की तत्काल सहायता देने, 18 साल की आयु तक हर महीने 2500 रुपए देने, 18 साल की आयु पूरी होने पर 5 लाख रुपए की एकमुश्त सहायता देने के साथ छात्रावास में प्राथमिकता के साथ एडमिशन देने की घोषणा की गई थी.
इसके साथ ही कोरोना काल में विधवा महिला के लिए भी आर्थिक पैकेज की घोषणा की गई थी. जिसमें एक लाख एकमुश्त सहायात,1500 रुपए प्रतिमाह की सहायता. इसके साथ ही योजना में परिवार के बच्चों को 18 साल तक की उम्र होने तक 1 हजार रुपए प्रतिमाह बच्चों को दिए जाएंगे.
25 जून को गाइडलाइन जारी
मुख्यमंत्री की घोषणा के बाद 25 जून को सामाजिक न्याय अधिकारिता विभाग की ओर से मुख्यमंत्री बाल कल्याण योजना में किस तरह से किन नियमों के तहत सहायता दी जाएगी इसको लेकर एक विस्तृत गाइडलाइन भी जारी की गई, लेकिन इस गाइडलाइन को जारी हुए 3 दिन बीत चुके और घोषणा का ऐलान किया है. लगभग 20 दिन से ज्यादा हो गए. सरकार की ओर से अभी तक इनमें से किसी भी एक बच्चे को आर्थिक सहायता जो तत्काल देनी चाहिए थी वह नहीं दी गई है.
केंद्र सरकार पर लगाते रहे आरोप
कोरोना कालखंड में अनाथ हुए बच्चों को राहत देने के लिए केंद्र सरकार की ओर से जो गाइडलाइन जारी की गई है , उसको लेकर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत लगातार आरोप लगाते रहे की उस घोषणा में कहीं पर भी इस बात का जिक्र नहीं है कि बच्चों को तत्काल आर्थिक सहायता कितनी दी जाएगी जो भी घोषणा की गई है उसका लाभ बच्चे के 18 साल की आयु पूरी होने पर मिलेगी. जबकि अनाथ बच्चे को तत्काल आर्थिक सहायता की जरूरत है.
राज्यसभा सांसद ने दिया था सीएम हाउस के बाहर धरना
पिछले दिनों राज्यसभा सांसद किरोड़ी लाल मीणा ने अनाथ बच्चे जिनको की सरकार की ओर से सहायता मिलनी चाहिए. सहायता नहीं मिलने पर उन बच्चों को लेकर जयपुर सिविल लाइंस स्थित मुख्यमंत्री आवास के बाहर धरना दिया था. सरकार से इन बच्चों को तत्काल सहायता राशि उपलब्ध कराने की मांग की थी.