जयपुर. प्रदेश में लगातार बढ़ रहे मानव तस्करी और बाल श्रम के मामले की गूंज बुधवार को विधानसभा में सुनाई दी. प्रश्नकाल में लगे एक सवाल के जवाब में मंत्री ने बताया कि साल 2018 से जनवरी 2020 तक प्रदेश में 394 बाल श्रमिकों को मुक्त कराया गया है. लेकिन इस प्रकार के मामले रोकने में सबसे बड़ी दिक्कत बाल श्रमिकों के परिवार वाले ही हैं, जो इन्हें बाहरी राज्यों में झूठ बोलकर भेजते हैं.
विधानसभा में मंगलवार को भाजपा विधायक फूल सिंह मीणा ने बाल श्रम व मानव तस्करी का मामला उठाया. जवाब में मंत्री टीकाराम जूली ने बताया की जनवरी 2020 तक जिन 394 बाल श्रमिकों को मुक्त कराया गया है, उनमें सर्वाधिक राजस्थान के थे. जबकि 22 श्रमिक पश्चिमी बंगाल और उत्तराखंड के थे.
यह भी पढ़ेंः सदन में हंगामाः स्पीकर सीपी जोशी ने कहा- 'मैं खुद को प्रताड़ित महसूस कर रहा हूं...'
इन बच्चों में भी सर्वाधिक 321 बाल श्रमिक उदयपुर के थे, जिन्हें मुक्त कराया गया है. मंत्री ने बताया कि 109 एफआईआर दर्जकर 126 अभियुक्तों के खिलाफ चालान पेश किए गए हैं. जूली के अनुसार प्रदेश सरकार इस मामले में गंभीर है. लेकिन सबसे बड़ी समस्या इन बाल श्रमिकों के परिवार द्वारा ही खड़ी की जाती है. क्योंकि वही इन्हें दूसरे राज्यों में दलालों के जरिए बाहर भेजते हैं.
यह भी पढ़ेंः SMS अस्पताल ने दूसरा हार्ट ट्रांसप्लांट कर फिर रचा इतिहास, 11 घंटे तक चला ऑपरेशन
मंत्री के जवाब पर विधायक फूल सिंह मीणा ने कहा कि प्रदेश सरकार हर महीने इस प्रकार की कार्रवाई और जांच करे तो हमारे बाल श्रमिकों पर होने वाले अन्याय को रोका जा सकता है. पूरक सवाल करते हुए नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया ने कहा कि इस प्रकार के मामलों की रोकथाम के लिए मानव तस्करी विरोधी डिपार्टमेंट बनाना चाहिए. साथ ही कम से कम यह तो सुनिश्चित करना ही चाहिए कि जिस थाना अधिकारी के क्षेत्र में बाल श्रम और मानव तस्करी के मामले ज्यादा आते हैं, उसकी भी जिम्मेदारी तय हो.
यह भी पढ़ेंः विधानसभा में उठा फसली ऋण वितरण का मुद्दा, कटारिया ने सरकार से पूछा- तय लक्ष्य से कम क्यों हुआ वितरण
नेता प्रतिपक्ष के सुझाव पर मंत्री टीकाराम जूली ने अमल करने की बात कही. जूली के अनुसार इस संबंध में वे डिपार्टमेंट के जरिए तमाम जिला कलेक्टर्स निर्देश करवाएंगे. वहीं मानव तस्करी और बाल श्रम को लेकर पिछले दिनों प्रदेश के अधिकारियों द्वारा सूरत में दी गई दबिश को लेकर भी श्रम मंत्री ने सदन में जानकारी दी.