जयपुर. मुख्य सचिव निरंजन आर्य ने कहा कि वे नेशनल इंफ्रास्ट्रक्चर पाइपलाइन योजना के तहत उपयुक्त सार्वजनिक और निजी साझेदारी (पीपीपी) के आधार पर परियोजनाओं की रूपरेखा शीघ्र तैयार करें. जल शोधन, जलापूर्ति, ठोस कचरा प्रबंधन, स्वास्थ्य और शिक्षा के क्षेत्र में परियोजनाओं के निर्माण की प्रबल संभावनाएं हैं. इन क्षेत्रों में इंफ्रास्ट्रक्चर को सुदृढ़ बनाने के लिए संबंधित विभाग शीघ्र योजनाएं बनाएं. ये निर्देश मुख्य सचिव ने सोमवार को केंद्र की नेशनल इंफ्रास्ट्रक्चर पाइपलाइन (एनआईपी) योजना के तहत विभागों की ओर से तैयार की जाने वाली परियोजनाओं की समीक्षा में दिए. साथ ही कहा कि सभी विभाग पीपीपी परियोजनाओं की रूपरेखा 31 जुलाई तक करें तैयार करें.
पीपीपी प्रोजेक्ट की प्रगति की समीक्षा करते हुए कहा कि अन्य विभाग भी प्रत्येक वर्ष के लिए प्रोजेक्ट तैयार करें. सभी विभाग प्रोजेक्ट डवलेपमेंट सेल की स्थापना और उसका सुदृढ़ीकरण सुनिश्चित करें. नेशनल इंफ्रास्ट्रक्चर पाइपलाइन की उपयोजना-1 के तहत राज्यों की सामाजिक क्षेत्र की परियोजनाएं आदि परियोजनाओं को मंजूरी दी जाती है, जिनमें परिचालन लागत की शत प्रतिशत वसूली हो. इन योजनाओं में 30 प्रतिशत तक पूंजी गत व्यय केंद्र सरकार और तीस प्रतिशत तक राज्य सरकार लगाती है.
उप योजना -2 के तहत स्वास्थ्य तथा शिक्षा की परियोजनाओं में कम से कम 50 प्रतिशत तक की परिचालन वसूली होनी चाहिए. आयोजन विभाग के शासन सचिव नवीन जैन ने प्रेजेंटेशन से विभिन्न विभागों में पीपीपी प्रोजेक्ट की प्रगति के बारे में जानकारी दी। उन्होंने बताया कि स्वायत्त शासन विभाग द्वारा केंद्र सरकार के आर्थिक कार्य विभाग को जयपुर और जोधपुर के सॉलिड वेस्ट मेनेजमेंट के प्रोजेक्ट वायबिलिटी गैप फंडिंग के तहत भेजे गए हैं. बैठक में अतिरिक्त मुख्य सचिव, जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग सुधांश पंत, प्रमुख शासन सचिव वित्त अखिल अरोड़ा, प्रमुख शासन सचिव कृषि भास्कर सावंत, प्रमुख शासन सचिव नगरीय विकास एवं आवासन विभाग कुंजी लाल मीणा आदि मौजूद रहे.