ETV Bharat / city

छठ पर्व : आज दिया जाएगा डूबते सूर्य को अर्घ्य, जानें अर्घ्य देने की विधि और पूजन का महत्व - छठ पर्व 2019

छठ पर्व के तीसरे दिन प्रसाद बनाया जाता है. प्रसाद के रूप में ठेकुआ, चावल के लड्डू और चढ़ावे के रूप में फल को भी शामिल किया जाता है. शाम को बांस की टोकरी में अर्घ्य का सूप सजाया जाता है और तालाब या नदी किनारे सामूहिक रूप से सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है.

Chhath Puja in Jaipur, chhath puja 2019, छठ पुजा
author img

By

Published : Nov 2, 2019, 10:00 AM IST

पटना/जयपुर: छठ पर्व के तीसरे दिन कार्तिक शुक्ल षष्ठी को संध्या के समय सूर्य देव को अर्घ्य दिया जाता है. शाम को बांस की टोकरी में फलों, ठेकुआ, चावल के लड्डू आदि से अर्घ्य का सूप सजाया जाता है, जिसके बाद व्रती अपने परिवार के साथ सूर्य को अर्घ्य देती हैं.

आज दिया जाएगा डूबते सूर्य को अर्घ्य

तीसरे दिन कार्तिक शुक्ल पष्ठी को दिन में छठ का प्रसाद बनाया जाता है. इस दिन प्रसाद के रूप में ठेकुआ और चावल के लड्डू बनाए जाते है. इसके अलावा चढ़ावे के रूप में लाया गया सांचा और फल भी छठ प्रसाद के रूप में शामिल होता है.

यह भी पढ़ें : कार्तिक में कैसा ये मौसम : जैसलमेर में गिरे चने के आकार के ओले और बाड़मेर-बीकानेर में बूंदाबांदी

शाम को पूरी तैयारी के साथ बांस की टोकरी में अर्घ्य का सूप सजाया जाता है और व्रती के साथ परिवार और पड़ोसी अस्तांचलगामी सूर्य को अर्घ्य देने घाट पर जाते हैं. सभी छठव्रती एक साथ तलाब या नदी के किनारे एकत्रित होकर सामूहिक रूप से अर्घ्य दान संपन्न करते हैं. सूर्य को दूध और जल का अर्घ्य दिया जाता है. इसके बाद छठ मैया की सूप से पूजा की जाती है.

छठ पूजा तिथि व मुहूर्त

2 नवंबर (संध्या अर्घ्य) सूर्यास्त का समय-17:35:42

अर्घ्य देने की विधि

बांस की टोकरी में सभी सामान रखें. सूर्य को अर्घ्य देते समय सारा प्रसाद सूप में रखें और सूप में ही दीपक जलाएं. फिर नदी में उतरकर सूर्य देव को अर्घ्य दें.

छठ पूजा का महत्व

शाम को अर्घ्य देने के पीछे मान्यता है कि सुबह के समय अर्घ्य देने से स्वास्थ्य ठीक रहता है. दोपहर के समय अर्ध्य देने से नाम और यश होता है और वहीं शाम के समय अर्घ्य देने से आपकी हर मनोकामना पूर्ण होती है. इसके अलावा माना जाता है कि भगवान सूर्य शाम के समय अपनी प्रत्युषा के साथ होते हैं. जिसका फल हर भक्त को मिलता है.

क्यों करते हैं छठ पूजा ?

छठ पूजा की कई कथाएं हैं. जिनमें से मुख्य कथा के रूप में महर्षि कश्यप और राजा की कथा सुनाई जाती है. इस कथा के अनुसार एक राजा और रानी के कोई संतान नहीं थी. राजा और रानी काफी दुखी थे. एक दिन महर्षि कश्यप के आशीर्वाद से राजा और रानी के घर संतान उत्पन्न हुई. दुर्भाग्य से राजा और रानी के यहां जो संतान पैदा हुई थी वो मृत अवस्था में थी और इस घटना से राजा और रानी बहुत दुखी हुए.

इसके बाद राजा और रानी आत्महत्या करने के लिए एक घाट पर पहुंचे और जब वो आत्महत्या करने जा रहे थे तभी वहां ब्रह्मा की मानस पुत्री ने उन्हें दर्शन दिए. राजा और रानी को अपना परिचय देते हुए उस देवी ने अपना नाम छठी बताया और उनकी पूजा अर्चना करने की बात कही. राजा ने वैसा ही किया और उसको संतान का सुख प्राप्त हुआ. कार्तिक मास के शुक्ला पक्ष को यह घटना घटी थी.

पटना/जयपुर: छठ पर्व के तीसरे दिन कार्तिक शुक्ल षष्ठी को संध्या के समय सूर्य देव को अर्घ्य दिया जाता है. शाम को बांस की टोकरी में फलों, ठेकुआ, चावल के लड्डू आदि से अर्घ्य का सूप सजाया जाता है, जिसके बाद व्रती अपने परिवार के साथ सूर्य को अर्घ्य देती हैं.

आज दिया जाएगा डूबते सूर्य को अर्घ्य

तीसरे दिन कार्तिक शुक्ल पष्ठी को दिन में छठ का प्रसाद बनाया जाता है. इस दिन प्रसाद के रूप में ठेकुआ और चावल के लड्डू बनाए जाते है. इसके अलावा चढ़ावे के रूप में लाया गया सांचा और फल भी छठ प्रसाद के रूप में शामिल होता है.

यह भी पढ़ें : कार्तिक में कैसा ये मौसम : जैसलमेर में गिरे चने के आकार के ओले और बाड़मेर-बीकानेर में बूंदाबांदी

शाम को पूरी तैयारी के साथ बांस की टोकरी में अर्घ्य का सूप सजाया जाता है और व्रती के साथ परिवार और पड़ोसी अस्तांचलगामी सूर्य को अर्घ्य देने घाट पर जाते हैं. सभी छठव्रती एक साथ तलाब या नदी के किनारे एकत्रित होकर सामूहिक रूप से अर्घ्य दान संपन्न करते हैं. सूर्य को दूध और जल का अर्घ्य दिया जाता है. इसके बाद छठ मैया की सूप से पूजा की जाती है.

छठ पूजा तिथि व मुहूर्त

2 नवंबर (संध्या अर्घ्य) सूर्यास्त का समय-17:35:42

अर्घ्य देने की विधि

बांस की टोकरी में सभी सामान रखें. सूर्य को अर्घ्य देते समय सारा प्रसाद सूप में रखें और सूप में ही दीपक जलाएं. फिर नदी में उतरकर सूर्य देव को अर्घ्य दें.

छठ पूजा का महत्व

शाम को अर्घ्य देने के पीछे मान्यता है कि सुबह के समय अर्घ्य देने से स्वास्थ्य ठीक रहता है. दोपहर के समय अर्ध्य देने से नाम और यश होता है और वहीं शाम के समय अर्घ्य देने से आपकी हर मनोकामना पूर्ण होती है. इसके अलावा माना जाता है कि भगवान सूर्य शाम के समय अपनी प्रत्युषा के साथ होते हैं. जिसका फल हर भक्त को मिलता है.

क्यों करते हैं छठ पूजा ?

छठ पूजा की कई कथाएं हैं. जिनमें से मुख्य कथा के रूप में महर्षि कश्यप और राजा की कथा सुनाई जाती है. इस कथा के अनुसार एक राजा और रानी के कोई संतान नहीं थी. राजा और रानी काफी दुखी थे. एक दिन महर्षि कश्यप के आशीर्वाद से राजा और रानी के घर संतान उत्पन्न हुई. दुर्भाग्य से राजा और रानी के यहां जो संतान पैदा हुई थी वो मृत अवस्था में थी और इस घटना से राजा और रानी बहुत दुखी हुए.

इसके बाद राजा और रानी आत्महत्या करने के लिए एक घाट पर पहुंचे और जब वो आत्महत्या करने जा रहे थे तभी वहां ब्रह्मा की मानस पुत्री ने उन्हें दर्शन दिए. राजा और रानी को अपना परिचय देते हुए उस देवी ने अपना नाम छठी बताया और उनकी पूजा अर्चना करने की बात कही. राजा ने वैसा ही किया और उसको संतान का सुख प्राप्त हुआ. कार्तिक मास के शुक्ला पक्ष को यह घटना घटी थी.

Intro:Body:

chhath third day


Conclusion:
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.