जयपुर. देवी भगवती की उपासना के पर्व चैत्र नवरात्रि (Chaitra navratri 2022) का आज शुक्रवार को सातवां दिन है. सातवें दिन मां भगवती के कालरात्रि स्वरूप की पूजा (Maa Kalratri worshiped) और उपासना की जाती है. ज्योतिषीय दृष्टिकोण से देवी के इस स्वरूप को शनि ग्रह से जोड़ा जाता है और शनि न्याय व कर्म के देवता माने जाते हैं.
ज्योतिर्विद श्रीराम गुर्जर बताते हैं कि देवी भगवती के कालरात्रि स्वरूप को ज्योतिषीय दृष्टिकोण से शनि ग्रह से जोड़ा जाता है और शनि को जीवन में कष्ट और दुःख से जोड़ा जाता है. जिस जातक की कुंडली में शनि मारकेश है या किसी पर शनि की ढैया अथवा साढ़े साती, दशा, महादशा या अंतर्दशा चल रही है. ऐसे जातकों को नवरात्रि के सातवें दिन देवी कालरात्रि की खास तौर पर उपासना करनी चाहिए.
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ऐसे करें देवी कात्यायनी की उपासना
सूर्योदय से पूर्व उठने के बाद नित्यकर्मों से निवृत्त होकर मां दुर्गा की प्रतिमा के सामने देवी कालरात्रि का ध्यान करें और शुद्ध घी का दीपक प्रज्ज्वलित करें. चंदन, कुमकुम के साथ देवी को पुष्प अर्पित करें. देवी कालरात्रि को शहद का भोग अर्पित कर देवी उनके बीज मंत्र का ज्यादा से ज्यादा जाप करना चाहिए.
यह है मंत्र
या देवी सर्वभूतेषु कालरात्रि रूपेण संस्थिता
नमस्तस्ये नमस्तस्ये नमस्तस्ये नमो नमः
इस महा उपाय से पूरी होती हैं सभी मनोकामनाएं
नवरात्रि के सातवें दिन देवी कालरात्रि की पूजा होती है जिनका संबंध शनि ग्रह से है. आज अपने आसपास के जरूरतमंद या दिव्यांग लोगों को भोजन करवाएं या फिर उनकी जरूरत से जुड़ी चीज का उन्हें दान दें. इसके अलावा जरूरतमंद लोगों को भी दान दिया जा सकता है. इससे शनि ग्रह से संबंधी पीड़ाएं शांत होंगी और आने वाले समय में शनि की ऊर्जा फिल्टर होकर सकारात्मक परिणाम देगी.