जयपुर. कोविड-19 संक्रमण के बाद बच्चों में भी पोस्ट कोविड (Post COVID) के मामले देखने को मिल रहे हैं. खासकर मल्टी सिस्टम इन्फ्लेमेंटरी सिंड्रोम यानी MIS-C के केस सबसे अधिक देखने को मिले हैं. हालांकि, राहत भरी खबर यह है कि एमआईएस-सी के मामले काफी हद तक घट चुके हैं.
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कोविड-19 (COVID-19) संक्रमण की दूसरी लहर (Second Wave of Corona) में बच्चे भी बड़ी संख्या में संक्रमित हुए थे और कुछ बच्चों में कोरोना (Corona) के पोस्ट कोविड मामले भी देखने को मिले. बच्चों में सबसे अधिक MIS-C के मामले देखने को मिले थे. इस बीमारी में बच्चों में बनने वाली एंटीबॉडीज ही बच्चों के अंग खराब कर रही थी. जयपुर के जेके लोन अस्पताल (JK Lone Hospital) में इस बीमारी से पीड़ित करीब 150 बच्चों का इलाज किया गया. वहीं, मौजूदा समय की बात की जाए तो इस बीमारी से जुड़ी एक राहत की खबर यह है कि अब धीरे-धीरे इस बीमारी से पीड़ित बच्चों की संख्या में कमी हो रही है.
बता दें, बच्चों में भी पोस्ट कोविड (Post COVID) लक्षण नजर आ रहे हैं. करीब 150 बच्चे MIS-C के शिकार हुए हैं. इनमें से 15 बच्चों की इस बीमारी से मौत हो चुकी है. वर्तमान समय की बात करें तो अभी जेके लोन अस्पताल (JK Lone Hospital) में 4 बच्चे इस बीमारी से पीड़ित हैं और अस्पताल में उनका उपचार जारी है.
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चिकित्सा विभाग की रिपोर्ट के अनुसार 15 साल से कम उम्र के बच्चों में MIS-C के सबसे अधिक मामले देखने को मिले हैं. वहीं, कोविड (Corona Pandemic) होने के करीब 20 दिन बाद इसके लक्षण देखने को मिलते हैं. प्रदेश में अब तक 200 से अधिक मामले देखने को मिले हैं.
जेके लोन अस्पताल के अधीक्षक डॉ. अरविंद शुक्ला का कहना है कि एक समय अस्पताल में बड़ी संख्या में MIS-C से पीड़ित बच्चे देखने को मिल रहे थे, लेकिन अब धीरे-धीरे इनकी संख्या में कमी होने लगी है. इस बीमारी से पीड़ित बच्चों के इलाज में काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ा. अधिकतर बच्चे बीमारी फैलने के बाद अस्पताल में लाए गए, जिसके बाद इस तरह के बच्चों का इलाज करने में काफी परेशानी हुई. बीमारी के मुख्य लक्षण लगातार बुखार बने रहना, पेट में दर्द, उल्टी और लगातार सिर दर्द होना है.
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कोविड-19 (COVID-19) संक्रमण की दूसरी लहर में बड़ी संख्या में मरीज देखने को मिले. इस दौरान बच्चे भी काफी संख्या में पॉजिटिव पाए गए. चिकित्सकों का कहना है कि करीब 50 फीसदी से अधिक बच्चे एसिंप्टोमेटिक (Asymptomatic) लक्षण से पीड़ित थे, यानी कोविड-19 संक्रमण होने के बावजूद उनमें लक्षण दिखाई नहीं दिए. लेकिन, बच्चों में एंटीबॉडी (Antibodies) तैयार हो गई और इसी एंटीबॉडी के चलते बच्चों में MIS-C के लक्षण दिखाई देने लगे. हालांकि, अब राजस्थान (Rajasthan) में कोविड-19 संक्रमण के मामले कम हो रहे हैं तो MIS-C से पीड़ित बच्चों की संख्या में भी लगातार कमी आ रही है.
बता दें, कोरोना संक्रमण से ठीक होने के दो से छह सप्ताह के बाद मुख्य रूप से 20 वर्ष से कम उम्र के लोगों में यह बीमारी (MIS-C) होती है. बच्चों को तेज बुखार आ जाता है. बच्चों के शरीर का तापमान 101 डिग्री फारेनहाइट से ऊपर होता है. इस बीमारी में आंखें लाल हो जाती हैं. शरीर पर दाने आना, पेट दर्द, उल्टी, हाथ पैर में सूजन और डायरिया इस बीमारी के मुख्य लक्षण हैं.
MIS-C एक इम्यूनो रिएक्शन डिजीज है. जब शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता आउट ऑफ कंट्रोल हो जाती है, तब यह बीमारी शरीर के अंगों को खतरनाक रूप से प्रभावित करने लगती है. यह बीमारी इसलिए खतरनाक है क्योंकि यह बच्चों के हार्ट, लीवर, किडनी, त्वचा, आंख, फेफड़ा और आंतों को प्रभावित करती है. कई बार तो बच्चों के हार्ट की कोरोनरी आर्टरी को खराब कर देता है और पूरी जिंदगी के लिए बीमारी दे देता है.
इस बीमारी से पीड़ित बच्चे को तत्काल हॉस्पिटल में भर्ती कराना जरूरी है. जिन बच्चों में इस बीमारी के लक्षण हैं, उनके पैरेंट्स डॉक्टर को यह बताएं कि क्या बच्चा पहले कोरोना से पीड़ित रहा है. अगर बच्चे को तीन दिन से अधिक बुखार रहे तो सचेत होने की जरूरत है. कई बार बच्चों को कोरोना हो जाता है और इसका पता नहीं चलता. ऐसे में ये बीमारी और ज्यादा खतरनाक रूप ले सकती है.