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खुद ने वसूला 81 करोड़ तो 10 फीसदी कमीशन पर 80 करोड़ की वसूली का ठेका क्यों? HC - नगरीय विकास कर की वसूली का काम

राजस्थान हाईकोर्ट ने नगरीय विकास कर की वसूली का काम निजी फर्म को करीब 10 फीसदी कमीशन पर सौंपने के मामले में संबंधित अधिकारियों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है.

Urban development tax,  Rajasthan High Court Order
राजस्थान हाईकोर्ट
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Published : Oct 13, 2020, 7:54 PM IST

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने नगरीय विकास कर की वसूली का काम निजी फर्म को करीब 10 फीसदी कमीशन पर सौंपने के मामले में मुख्य सचिव, प्रमुख स्वायत्त शासन सचिव, स्वायत्त शासन निदेशक और निगम आयुक्त सहित स्पैरो प्राइवेट लिमिटेड को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है. मुख्य न्यायाधीश इंद्रजीत महांती और न्यायाधीश सतीश शर्मा की खंडपीठ ने यह आदेश प्रीतम सिंह की जनहित याचिका पर दिए.

याचिका में अधिवक्ता नयाना सराफ ने अदालत को बताया कि नगर निगम ने वर्ष 2019-20 में अपने स्तर पर 81 करोड़ का यूडी टैक्स वसूला. वहीं, अब वर्ष 2020-21 में 80 करोड़ रुपए का यूडी टैक्स की वसूली के लिए निजी फर्म को 9.95 फीसदी कमीशन पर काम सौंप दिया. ऐसे में यदि तय राशि वसूल भी कर ली गई तो कमीशन देने के बाद निगम को करीब 72 करोड़ रुपए ही मिलेंगे.

पढ़ें- पुजारी परिवार ने पुलिस पर लगाए आरोप, सुरक्षा के लिए हाईकोर्ट में याचिका दायर

याचिका में कहा गया कि निगम की राजस्व शाखा में 86 कर्मचारी काम करते हैं, जिन्हें सालाना 4 करोड़ रुपए का वेतन टैक्स वसूली के लिए ही दिया जाता है. ऐसे में ठेका देने से निगम को राजस्व का नुकसान ही होगा. इसके अलावा फर्म को कमीशन का भुगतान मासिक आधार पर होगा, लेकिन फर्म की परफॉर्मेंस 6 महीने के बाद देखी जाएगी.

याचिका में यह भी कहा गया कि टैक्स वसूली का काम किसी निजी फर्म को नहीं दिया जा सकता, जिस पर सुनवाई करते हुए खंडपीठ ने संबंधित अधिकारियों को नोटिस जारी कर जवाब-तलब किया है.

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने नगरीय विकास कर की वसूली का काम निजी फर्म को करीब 10 फीसदी कमीशन पर सौंपने के मामले में मुख्य सचिव, प्रमुख स्वायत्त शासन सचिव, स्वायत्त शासन निदेशक और निगम आयुक्त सहित स्पैरो प्राइवेट लिमिटेड को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है. मुख्य न्यायाधीश इंद्रजीत महांती और न्यायाधीश सतीश शर्मा की खंडपीठ ने यह आदेश प्रीतम सिंह की जनहित याचिका पर दिए.

याचिका में अधिवक्ता नयाना सराफ ने अदालत को बताया कि नगर निगम ने वर्ष 2019-20 में अपने स्तर पर 81 करोड़ का यूडी टैक्स वसूला. वहीं, अब वर्ष 2020-21 में 80 करोड़ रुपए का यूडी टैक्स की वसूली के लिए निजी फर्म को 9.95 फीसदी कमीशन पर काम सौंप दिया. ऐसे में यदि तय राशि वसूल भी कर ली गई तो कमीशन देने के बाद निगम को करीब 72 करोड़ रुपए ही मिलेंगे.

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याचिका में कहा गया कि निगम की राजस्व शाखा में 86 कर्मचारी काम करते हैं, जिन्हें सालाना 4 करोड़ रुपए का वेतन टैक्स वसूली के लिए ही दिया जाता है. ऐसे में ठेका देने से निगम को राजस्व का नुकसान ही होगा. इसके अलावा फर्म को कमीशन का भुगतान मासिक आधार पर होगा, लेकिन फर्म की परफॉर्मेंस 6 महीने के बाद देखी जाएगी.

याचिका में यह भी कहा गया कि टैक्स वसूली का काम किसी निजी फर्म को नहीं दिया जा सकता, जिस पर सुनवाई करते हुए खंडपीठ ने संबंधित अधिकारियों को नोटिस जारी कर जवाब-तलब किया है.

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