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पुलिस अभिरक्षा में बंदी की मौत का मामला, राजस्थान मानवाधिकार आयोग ने गुजरात सरकार पर लगाया 10 लाख रुपए का हर्जाना - Rajasthan Human Rights Commission

राजस्थान मानवाधिकार आयोग ने राजस्थान से गुजरात ले जाते समय 2015 में पुलिस हिरासत में हुई बंदी रामपाल की मौत के मामले में गुजरात राज्य सरकार पर 10 लाख रुपए का हर्जाना लगाया है. आयोग ने हर्जाना राशि दो महीने में मृतक के परिजनों को देने का निर्देश दिया है.

Rajasthan Human Rights Commission, gujarat government
राजस्थान मानवाधिकार आयोग
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Published : Jul 29, 2021, 8:09 AM IST

जयपुर. गुजरात पुलिस अभिरक्षा में आरोपी की मौत के मामले में राजस्थान मानवाधिकार आयोग ने संज्ञान लिया है. आयोग ने कहा कि गुजरात सरकार क्षतिपूर्ति अदायगी और अनुसंधान अधिकारी के विरुद्ध अनुशासनात्मक कार्रवाई के लिए जिम्मेदार है. आयोग ने गुजरात सरकार को मृतक आरोपी के परिजनों को 10 लाख का मुआवजा देने का आदेश दिया है.

पढ़ें- रेगिस्तान में रिश्वतकांड : बाड़मेर की धोरीमन्ना पंचायत समिति का एईएन 5 लाख की रिश्वत लेते रंगे हाथ गिरफ्तार, कार्रवाई जारी

राजस्थान राज्य मानव अधिकार आयोग मे हरचन्दी ने प्रार्थना पत्र प्रस्तुत किया था कि उसके सगे भाई रामपाल पुत्र सामन्ता जाटव जिला भरतपुर को एफआईआर थाना कलोल शहर जिला गांधीनगर गुजरात के मुकदमे में अनुसंधान के लिए गिरफ्तार कर पुलिस रिमांड पर लिया गया था. पुलिस अभिरक्षा के दौरान रामपाल को 30 अगस्त 2015 को कलोल थाना के पीएसआई अनिल एस चौहान और कांस्टेबल जितेन्द्र सिंह और गाड़ी चालक इन्द्रवदन दूदू ले आए. रात को सेन्ट्रल होटल नासनौदा थाना दूदू में रुके.

रामपाल के भाई ने बताया कि उसी रात को पुलिस वालों ने मेरे भाई रामपाल को जान से मार दिया, जिसकी औपचारिक सूचना भी पीएसआई अनिल एस चौहान ने पुलिस थाना दूदू में दर्ज कराई है. मेडिकल बोर्ड से रामपाल का पोस्टमार्टम थाना पुलिस दूदू द्वारा कराया गया.

आयोग की ओर से सिविल न्यायाधीश एवं न्यायिक मजिस्ट्रेट सांभरलेक से जांच कराई गई. जांच में सामने आया कि अनुसंधान अधिकारी की इस हद तक लापरवाही स्पष्ट होती है कि उसने अभिरक्षाधीन व्यक्ति को निकटतम पुलिस थाने में अभिरक्षा के तहत रखने की किसी प्रकार की कोई कार्रवाई नहीं की और जिस प्राइवेट होटल में अनुसंधान अधिकारी आरोपी के साथ रुका वहां पर भी अभिरक्षाधीन व्यक्ति रामपाल की समुचित निगरानी नहीं की गई. यह अनुसंधान अधिकारी अनिल एस. चौहान की गंभीर लापरवाही है. आरोपी रामपाल की मृत्यु से पूर्व लटकने के कारण एसपेक्सिया श्वास नली के दम घुटने के कारण हुई है. यह मेडिकल बोर्ड की रिपोर्ट से स्पष्ट होता है.

आयोग ने आदेश दिया कि अतिरिक्त मुख्य सचिव, गृह विभाग, राजस्थान जयपुर एवं महानिदेशक पुलिस राजस्थान, जयपुर स्पष्ट करें कि अनुसंधान अधिकारी अनिल एस चौहान के विरुद्ध क्या कार्रवाई की गई है. आयोग के आदेश की पालना में रिपोर्ट प्रस्तुत की गई कि अनुसंधान अधिकारी अनिल एस चौहान के विरुद्ध कार्रवाई कर उस पर लापरवाही के कारण 34 हजार रुपए जुर्माना लगाया गया.

आयोग ने पत्रावली पर पाया कि 30 अगस्त 2015 को पीएसआई अनिल एस चौहान, कांस्टेबल जितेन्द्रसिंह, कांस्टेबल मिथनेश कुमार और वाहन चालक इन्द्रवदन नायक आरोपी रामपाल के साथ दूदू आए और पुलिस थाना दूदू को बिना सूचना दिए रात 11.15 पर खाना खाने के लिए एनएच 8 पर स्थित सेन्ट्रल होटल नासनौदा थाना दूदू में रुके. होटल की तीसरी मंजिल पर बने सीमेन्ट की चद्दरों के कमरे में मुल्जिम रामपाल को कांस्टेबल जितेन्द्रसिंह और गाड़ी चालक इन्द्रवदन नायक के साथ सुला दिया था.

पढ़ें- रिश्वतखोर रूप सिंह : रिश्वत मांग कर नहीं लिए थे 10 हजार, 7 साल बाद 50 हजार लेते हुआ ट्रैप...ACB ने पुराने मामले में किया गिरफ्तार

अनिल एस. चौहान और कांस्टेबल मिथनेश कुमार कमरे के बाहर से कुंदी लगाकर बाहर निगरानी में थे. रात लगभग सवा तीन बजे मुल्जिम को चेक किया तो मुल्जिम रामपाल अपनी शर्ट का फंदा बनाकर छत पर लगी लोहे की एंगल पर फांसी लगाकर लटका हुआ मिला. यह तथ्य गंभीर संदेह उत्पन्न करता है कि अगर आरोपी रामपाल के साथ कमरे में दो अन्य पुलिसकर्मी भी थे तो किस प्रकार आरोपी रामपाल ने अपनी शर्ट का फंदा लगाकर आत्महत्या की.

आयोग ने यह भी स्पष्ट किया कि जांच रिपोर्ट में आये तथ्यों को गुजरात पुलिस ने भी स्वीकार किया है और पुलिस अधीक्षक गांधीनगर जिला गुजरात ने न्यायिक जांच के आधार पर कार्रवाई कर अनिल एस चौहान पर 34000 रुपए जुर्माना लगाया गया है. गुजरात पुलिस की ओर से जुर्माना लगा कर इतिश्री कर ली गई और कोई क्षतिपूर्ति मृतक रामपाल के परिजनों को अदा नहीं की गई.

जस्टिस गोपाल कृष्ण व्यास, अध्यक्ष, राजस्थान राज्य मानव अधिकार आयोग ने आदेश पारित किया गया कि मृतक रामपाल के परिजन गुजरात सरकार से क्षतिपूर्ति राशि प्राप्त करने के अधिकारी हैं. इसलिए गुजरात सरकार मृतक रामपाल के परिजनों को 10 लाख रुपए की श्रतिपूर्ति आदेश की प्राप्ति से दो महीने के भीतर अदा करें और अनुसंधान अधिकारी के विरुद्ध अनुशासनात्मक कार्रवाई अमल में लाई जाए.

जयपुर. गुजरात पुलिस अभिरक्षा में आरोपी की मौत के मामले में राजस्थान मानवाधिकार आयोग ने संज्ञान लिया है. आयोग ने कहा कि गुजरात सरकार क्षतिपूर्ति अदायगी और अनुसंधान अधिकारी के विरुद्ध अनुशासनात्मक कार्रवाई के लिए जिम्मेदार है. आयोग ने गुजरात सरकार को मृतक आरोपी के परिजनों को 10 लाख का मुआवजा देने का आदेश दिया है.

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राजस्थान राज्य मानव अधिकार आयोग मे हरचन्दी ने प्रार्थना पत्र प्रस्तुत किया था कि उसके सगे भाई रामपाल पुत्र सामन्ता जाटव जिला भरतपुर को एफआईआर थाना कलोल शहर जिला गांधीनगर गुजरात के मुकदमे में अनुसंधान के लिए गिरफ्तार कर पुलिस रिमांड पर लिया गया था. पुलिस अभिरक्षा के दौरान रामपाल को 30 अगस्त 2015 को कलोल थाना के पीएसआई अनिल एस चौहान और कांस्टेबल जितेन्द्र सिंह और गाड़ी चालक इन्द्रवदन दूदू ले आए. रात को सेन्ट्रल होटल नासनौदा थाना दूदू में रुके.

रामपाल के भाई ने बताया कि उसी रात को पुलिस वालों ने मेरे भाई रामपाल को जान से मार दिया, जिसकी औपचारिक सूचना भी पीएसआई अनिल एस चौहान ने पुलिस थाना दूदू में दर्ज कराई है. मेडिकल बोर्ड से रामपाल का पोस्टमार्टम थाना पुलिस दूदू द्वारा कराया गया.

आयोग की ओर से सिविल न्यायाधीश एवं न्यायिक मजिस्ट्रेट सांभरलेक से जांच कराई गई. जांच में सामने आया कि अनुसंधान अधिकारी की इस हद तक लापरवाही स्पष्ट होती है कि उसने अभिरक्षाधीन व्यक्ति को निकटतम पुलिस थाने में अभिरक्षा के तहत रखने की किसी प्रकार की कोई कार्रवाई नहीं की और जिस प्राइवेट होटल में अनुसंधान अधिकारी आरोपी के साथ रुका वहां पर भी अभिरक्षाधीन व्यक्ति रामपाल की समुचित निगरानी नहीं की गई. यह अनुसंधान अधिकारी अनिल एस. चौहान की गंभीर लापरवाही है. आरोपी रामपाल की मृत्यु से पूर्व लटकने के कारण एसपेक्सिया श्वास नली के दम घुटने के कारण हुई है. यह मेडिकल बोर्ड की रिपोर्ट से स्पष्ट होता है.

आयोग ने आदेश दिया कि अतिरिक्त मुख्य सचिव, गृह विभाग, राजस्थान जयपुर एवं महानिदेशक पुलिस राजस्थान, जयपुर स्पष्ट करें कि अनुसंधान अधिकारी अनिल एस चौहान के विरुद्ध क्या कार्रवाई की गई है. आयोग के आदेश की पालना में रिपोर्ट प्रस्तुत की गई कि अनुसंधान अधिकारी अनिल एस चौहान के विरुद्ध कार्रवाई कर उस पर लापरवाही के कारण 34 हजार रुपए जुर्माना लगाया गया.

आयोग ने पत्रावली पर पाया कि 30 अगस्त 2015 को पीएसआई अनिल एस चौहान, कांस्टेबल जितेन्द्रसिंह, कांस्टेबल मिथनेश कुमार और वाहन चालक इन्द्रवदन नायक आरोपी रामपाल के साथ दूदू आए और पुलिस थाना दूदू को बिना सूचना दिए रात 11.15 पर खाना खाने के लिए एनएच 8 पर स्थित सेन्ट्रल होटल नासनौदा थाना दूदू में रुके. होटल की तीसरी मंजिल पर बने सीमेन्ट की चद्दरों के कमरे में मुल्जिम रामपाल को कांस्टेबल जितेन्द्रसिंह और गाड़ी चालक इन्द्रवदन नायक के साथ सुला दिया था.

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अनिल एस. चौहान और कांस्टेबल मिथनेश कुमार कमरे के बाहर से कुंदी लगाकर बाहर निगरानी में थे. रात लगभग सवा तीन बजे मुल्जिम को चेक किया तो मुल्जिम रामपाल अपनी शर्ट का फंदा बनाकर छत पर लगी लोहे की एंगल पर फांसी लगाकर लटका हुआ मिला. यह तथ्य गंभीर संदेह उत्पन्न करता है कि अगर आरोपी रामपाल के साथ कमरे में दो अन्य पुलिसकर्मी भी थे तो किस प्रकार आरोपी रामपाल ने अपनी शर्ट का फंदा लगाकर आत्महत्या की.

आयोग ने यह भी स्पष्ट किया कि जांच रिपोर्ट में आये तथ्यों को गुजरात पुलिस ने भी स्वीकार किया है और पुलिस अधीक्षक गांधीनगर जिला गुजरात ने न्यायिक जांच के आधार पर कार्रवाई कर अनिल एस चौहान पर 34000 रुपए जुर्माना लगाया गया है. गुजरात पुलिस की ओर से जुर्माना लगा कर इतिश्री कर ली गई और कोई क्षतिपूर्ति मृतक रामपाल के परिजनों को अदा नहीं की गई.

जस्टिस गोपाल कृष्ण व्यास, अध्यक्ष, राजस्थान राज्य मानव अधिकार आयोग ने आदेश पारित किया गया कि मृतक रामपाल के परिजन गुजरात सरकार से क्षतिपूर्ति राशि प्राप्त करने के अधिकारी हैं. इसलिए गुजरात सरकार मृतक रामपाल के परिजनों को 10 लाख रुपए की श्रतिपूर्ति आदेश की प्राप्ति से दो महीने के भीतर अदा करें और अनुसंधान अधिकारी के विरुद्ध अनुशासनात्मक कार्रवाई अमल में लाई जाए.

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