जयपुर. राजस्थान विधानसभा में मंगलवार को अलवर के प्राथमिक दुग्ध उत्पादक सहकारी समितियों के दूध में मिलावट का मामला उठाया गया. भाजपा विधायक संजय शर्मा ने प्रश्नकाल में यह मामला उठाया और सरकार से अलवर जिले में आने वाली सरस और अन्य दुग्ध उत्पादन सहकारी समितियों की दूध में होने वाली मिलावट की जानकारी मांगी.
बता दें कि विधायक ने मिलावट को गंभीर मानते हुए यह भी पूछा कि किस प्रकार की मिलावट को रोकने के लिए विभाग और सरकार क्या कदम उठा रही है और ऐसे लोगों पर कार्रवाई हुई या नहीं. जवाब में मंत्री लालचंद कटारिया ने बताया कि यह सही है कि 2664 समितियों के दूध में मिलावट पाई गई. अलवर में दो दूध के नमूने भी फेल हुए. जिस पर संबंधित अनुसार कार्रवाई की जाती है.
मंत्री के अनुसार सहकारी समिति के दूध में मिलावट की स्थिति में पहली बार पकड़े जाने पर वह दूध नष्ट कर खाली लौटा दिया जाता है, लेकिन दूसरी बार मिलावट पकड़े जाने पर उसे चेतावनी देकर छोड़ दिया जाता है. तीसरी बार यदि कोई संस्था मिलावट के मामले में पकड़ी जाती है तो फिर उस समिति का पंजीयन रद्द कर मामला एडीएम के पास पहुंचा दिया जाता है जो न्यायिक प्रक्रिया से होकर गुजरता है और उसमें सजा का भी प्रावधान है.
उन्होंने कहा कि निचले स्तर पर एडीएम स्तर पर 25000 से 5 लाख तक का जुर्माना लगाया जाता है. इस पर विधायक संजय शर्मा ने कहा कि अधिकतर कार्रवाई उन समितियों के पदाधिकारियों पर होती है जिनकी डेयरी अध्यक्ष से नहीं बनती और वो द्वेषता पूर्ण कार्रवाई की जाती है. वही संजय शर्मा ने अलवर डेयरी अध्यक्ष को बर्खास्त करने के मामले में भी जानकारी मांगी.
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इस दौरान विधायक संजय शर्मा ने कहा कि मिलावट बहुत ही गंभीर समस्या है. इसे रोकने के लिए सख्त प्रावधान होना चाहिए. जिस पर मंत्री ने कहा कि मैं सदन के सदस्यों से अनुरोध करता हूं कि उनके विषय में यदि कोई मिलावट शिकायत आती है तो मुझे इस बारे में बताएं, नियम अनुसार उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी.