जयपुर. बसपा से कांग्रेस में शामिल हुए सभी 6 विधायकों को दलबदल कानून के तहत इस महीने के अंत तक सुप्रीम कोर्ट में अपना जवाब पेश करना है. अगर इस बार इन विधायकों ने अपना जवाब सुप्रीम कोर्ट में पेश नहीं किया तो उनकी सदस्यता पर खतरा भी हो सकता है. ऐसे में विधायक अपनी सदस्यता बचाने के लिए दिल्ली जाकर सुप्रीम कोर्ट में पैरवी करने के लिए अपने वकील भी तय कर चुके हैं.
बसपा से कांग्रेस में शामिल हुए विधायकों के साथ दोहरा संकट यह है कि वे एक तो जिस मंत्री बनने की चाहत के साथ अपनी मूल पार्टी बसपा को छोड़ कांग्रेस में शामिल हुए वह चाहत राजस्थान में मंत्रिमंडल विस्तार नहीं होने के चलते अब तक पूरी नहीं हो सकी है. तो दूसरा दल-बदल के चलते उनकी विधानसभा की सदस्यता पर खतरा खड़ा आ हुआ है.
हमें न्यायपालिका पर भरोसा
वहीं, अब यह भी कहा जा रहा है कि 6 विधायकों में आपसी मतभेद भी हो गए हैं. यही कारण था कि चार विधायक राजेंद्र गुढ़ा, वाजिब अली, लाखन मीणा और संदीप यादव तो दिल्ली वकील करने पहुंचे, लेकिन दो विधायक जोगिंदर सिंह अवाना और दीपचंद खेरिया उनके साथ नहीं गए. सदस्यता बचाने के मामले में दिल्ली जाकर आए विधायक वाजिब अली ने कहा कि सदस्यता से जुड़े मामले में सभी 6 विधायक कोर्ट में रिप्लाई करने जा रहे हैं. इसी मामले में वकील से बात हो रही है. वाजिब ने कहा कि हमें न्यायपालिका से न्याय का भरोसा है.
CM गहलोत से कोई शिकायत नहीं
उन्होंने कहा कि यह मामला सुप्रीम कोर्ट से जुड़ा है, ऐसे में वकीलों की राय लेने वे दिल्ली गए थे और उन्हें मुख्यमंत्री से कोई शिकायत नहीं है. मुख्यमंत्री ने भी हमारे लिए बेहतरीन वकील किए हैं, लेकिन हम भी अपनी ओर से वकील करना और कानूनी राय लेना चाहते थे, इसलिए दिल्ली गए. उन्होंने कहा कि सदस्यता को लेकर विधानसभा अध्यक्ष का जो फैसला है वह न्याय और प्रक्रिया के तहत लिया गया सही निर्णय है. लेकिन आज के दौर में सरकार न्यायपालिका को कंट्रोल करने की कोशिश करती है. यही कारण था कि हम सतर्कता बरतते हुए बेहतरीन वकील रख रहे हैं.
अब हाथी नहीं रहे, हाथ का पंजा बन गए
वाजिब अली ने कहा कि इस मामले में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत भी हमारे साथ हैं. उन्होंने कहा कि यह मामला लंबा चलता है और कानून व न्यायपालिका का सिस्टम है, जो हमारे हाथ से बाहर है. लेकिन अब वहां भी पीएम नरेंद्र मोदी का पहरा है. उन्होंने कहा कि अब वे हाथी (बसपा) नहीं रहे, हाथ का पंजा (कांग्रेस) बन चुके हैं. उन्हें अलग करने के लिए अब तो उंगली ही काटनी पड़ेगी. बिना उसके बिना हम दूर जा नहीं सकते. बसपा से कांग्रेस में आए विधायकों में आपसी दूरियों को लेकर उन्होंने कहा कि एक हाथ में भी सब उंगलियां बराबर नहीं होती. कोई उंगली छोटी होती है तो कोई बड़ी, लेकिन हाथ के लिए हर उंगली आवश्यक होती है. इसी तरीके से हम सभी छह विधायक एक साथ हैं.
सदस्यता बचाना हमारा उद्देश्य, मुख्यमंत्री पर हमें भरोसा
वहीं, दिल्ली जाकर आए बसपा से कांग्रेस में शामिल हुए विधायक लाखन मीणा ने कहा कि हम वकीलों से सलाह लेने दिल्ली गए थे. हमारी सरकार से न अभी कोई डिमांड है और न ही पार्टी में शामिल होते समय हमने कोई डिमांड की थी. सदस्यता का मामला कोर्ट का है, जिसे लेकर मुख्यमंत्री ने पहले ही वकील कर रखे हैं. हम भी हमारी तरफ से अच्छे वकील रखना चाहते थे, इसी कारण दिल्ली गए थे.
मीणा ने कहा कि वैसे विधानसभा अध्यक्ष ने जो फैसला किया है वह कानून के तहत किया है. हमें नहीं लग रहा है कि सदस्यता जा सकती है क्योंकि देश मे ऐसे बहुत से प्रकरण हुए हैं और बहुत से विधायक अपनी पार्टी छोड़ दूसरी पार्टियों में गए हैं. लेकिन किसी की सदस्यता आज तक नहीं गई. ऐसे में हमारी भी सदस्यता पर कोई खतरा नहीं है. लखन मीणा ने कहा कि सदस्यता को लेकर सभी 6 विधायक एक साथ हैं. ऐसा नहीं है कि चार विधायक अलग हैं और दो विधायक अलग.
जनता के सेवक हैं...चाहते हैं कि मंत्री बने
बसपा से कांग्रेस में शामिल हुए विधायकों को लेकर कहा जाता है कि जब उन्होंने बसपा का दामन छोड़ कांग्रेस पार्टी का हाथ थामा था, उस समय उन्हें मंत्री पद देने का वादा किया गया था. लेकिन राजस्थान में सियासी घमासान मचने ओर कैबिनेट विस्तार में देरी के चलते यह काम अब तक नहीं हो सका है. ऐसे में मंत्री पद के सवाल पर विधायक वाजिद अली ने कहा कि मंत्री कौन नहीं बनना चाहता. हम तो प्रधानमंत्री बनना चाहते हैं. वाजिब ने कहा कि हम जनता की सेवा में है तो मंत्री क्यों नहीं बनेंगे, मौका मिलेगा तो बनेंगे. लेकिन मंत्री पद को लेकर उनमें कोई हड़बड़ी नहीं है. मंत्रिमंडल विस्तार मुख्यमंत्री के ऊपर निर्भर है, जब उचित समय होगा मुख्यमंत्री मंत्रिमंडल विस्तार कर देंगे. अभी विषम परिस्थितियां हैं, हमारे काम हो रहे हैं और बाकी बचे काम (मंत्रिपद) भी जल्दी हो जाएंगे.