जयपुर. मकर सक्रांति पर जयपुर की पतंगबाजी देश दुनिया में मशहूर है. लेकिन मकर सक्रांति पर यही पतंगबाजी बेजुबान पक्षियों के लिए जानलेवा बन जाती है. पतंगबाजी से दौर में फंसकर बेजुबान पक्षी घायल हो जाते हैं तो कई पक्षियों की मौत हो जाती है. घायल पक्षियों के इलाज के लिए वन विभाग की ओर से जयपुर में कई जगह पर पक्षी उपचार केंद्र बनाए जाएंगे. वन विभाग एनजीओ के सहयोग से पक्षियों के लिए उपचार की व्यवस्था कर रहा है.
3 दिन तक जयपुर में कई जगह पर रेस्क्यू कैंप लगाए जाएंगे. जहां पर घायल पक्षियों का इलाज किया जाएगा. 13 जनवरी से 15 जनवरी तक जयपुर शहर के विभिन्न इलाकों में एनजीओ के सहयोग से पक्षी चिकित्सा राहत शिविर लगाए जाएंगे. पशु चिकित्सकों की ओर से अपील की गई है कि किसी को भी कोई घायल पक्षी मिले तो तुरंत उसे छायादार स्थान पर रखी है और इसके बाद जहां से ब्लड लॉस हो रहा है. वह जगह पर एंटीसेप्टिक या कॉटन लगाकर उस ब्लड को रोके. घायल पक्षियों को तुरंत खाने पीने की वस्तु नहीं दें, पहले उसके ब्लड को रोके, उसके बाद तुरंत उसे नजदीकी पक्षी बचाव केंद्र यानी पक्षी उपचार केंद्र पर पहुंचाएं या वन विभाग को सूचना दें.
एनजीओ की तरफ से भी हेल्पलाइन नंबर जारी किए गए हैं. जिन पर भी लोग घायल पक्षियों की सूचना दे सकते हैं. पक्षी विशेषज्ञों की मानें तो पक्षी का जितना ब्लड कम लॉस होगा, उतनी ही बचने की संभावना ज्यादा होगी. एक पक्षी में कुल 5 एमएल ब्लड होता है. पक्षी की एक-एक बूंद ब्लड बचाने से उसकी जिंदगी बचाई जा सकती है.
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डीएफओ उपकार बोराना ने बताया कि पतंगबाजी से एक घायल होने वाले पक्षियों के लिए उपचार केंद्र बनाए जाएंगे. एनजीओ के सहयोग से हर साल की तरह इस बार भी घायल पक्षियों का इलाज किया जाएगा. कहीं पर भी कोई घायल पक्षी मिलता है तो तुरंत उसका उपचार किया जाएगा. सभी जयपुर वासियों से अपील है कि सुबह और शाम को पतंगबाजी नहीं करें. क्योंकि सुबह शाम को ही पक्षियों का स्वच्छंद विचरण रहता है.
मकर सक्रांति के अवसर पर पतंगबाजी से घायल होने वाले पक्षियों की रेस्क्यू करने वाली संस्थाओं के स्वयंसेवकों के साथ ऑनलाइन मीटिंग का भी आयोजन किया गया है. मीटिंग में जयपुर चिड़ियाघर के डीएफओ, पशु चिकित्सक समेत एनजीओ प्रतिनिधियों ने भाग लिया. वरिष्ठ पशु चिकित्सा अधिकारी डॉक्टर अरविंद माथुर ने बर्ड फ्लू के समय में मांझे से घायल होने वाले पक्षियों को रेस्क्यू करने के सुरक्षित तरीकों और सावधानियों के बारे में बताया. बर्ड फ्लू गाइडलाइन की पूर्ण पालना सुनिश्चित करने के लिए सभी को निर्देशित किया गया. एनजीओ के स्वयंसेवकों को मांझे से घायल पक्षियों को रेस्क्यू करते समय पीपीई किट, फेस शिल्ड और उचित क्वालिटी के मास्क का प्रयोग करने के लिए निर्देशित किया गया है.
वन विभाग के मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक एमएल मीणा ने अपील की है कि पतंगबाजी में कांच के मांझे का प्रयोग नहीं करे. पक्षियों की अधिक गतिविधि के समय सुबह 6:00 से 8:00 बजे तक और शाम 4:00 बजे से 6:00 बजे तक पतंग नहीं उड़ाए. इसके लिए आमजन को जागरूक करने के लिए स्वयंसेवी संस्थाओं से भी अपील की गई है. बर्ड फ्लू के चलते पतंग उड़ाने में मांझे की बजाय सादे का उपयोग करें, जिससे पक्षी भी सुरक्षित होंगे.
बर्ड्स एक्सपर्ट रोहित गंगवाल ने बताया कि कोरोना के चलते वर्क फ्रॉम होम चल रहा है. जिसकी वजह से इस बार मकर सक्रांति पर ज्यादा पतंगबाजी होने की संभावना है. पतंगबाजी से काफी संख्या में पक्षी घायल होती है. जिसको देखते हुए घायल पशुओं के इलाज के लिए तैयारियां कर ली गई हैं.