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मेडिकल ऑक्सीजन और दवाइयों की कालाबाजारी रोकने के लिए अभियान शुरू

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Published : May 5, 2021, 1:18 AM IST

कोरोना महामारी में मेडिकल ऑक्सीजन और अति आवश्यक दवाइयों की कालाबाजारी करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई होगी. ऐसे लोगों की पहचान करने और उन पर कड़ी कार्रवाई करने के लिए राज्य सरकार की ओर से एक स्पेशल टीम गठित की गई है. कालाबाजारी के खिलाफ अभियान चलाने के लिए मुख्यमंत्री के निर्देश पर स्पेशल टीम बनाई गई है.

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कालाबाजारी रोकने के लिए अभियान शुरू

जयपुर. स्पेशल टीम अभियान चलाकर मेडिकल ऑक्सीजन और दवाइयों की कालाबाजारी करने वालों के खिलाफ कार्रवाई करेगी. पुलिस की ओर से कोरोना गाइडलाइन का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ भी सख्त कार्रवाई की जा रही है. प्रदेश में सरकार की ओर से महामारी रेड अलर्ट जन अनुशासन पखवाड़ा चलाया जा रहा है.

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पुलिस महानिदेशक एमएल लाठर

पुलिस महानिदेशक एमएल लाठर के मुताबिक, इस संबंध में मुख्यमंत्री की ओर से ऐसे असामाजिक तत्वों की पहचान कर उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई के निर्देश दिए हैं. निर्देशों की पालना में सतर्कतापूर्वक पहचान की कार्रवाई शुरू कर दी गई है. इसी संदर्भ में सर्वोच्च न्यायालय की ओर से स्वप्रेरणा से दायर रिट याचिका में 30 अप्रैल को भी विस्तृत आदेश जारी किए गए हैं.

यह भी पढ़ें: बांसवाड़ा के एमजी हॉस्पिटल में जल्द शुरू होगा ऑक्सीजन प्लांट- मंत्री अर्जुन सिंह बामनिया

लाठर ने बताया, सर्वोच्च न्यायालय ने अपने इस आदेश में कोरोना के इलाज में काम आने वाली दवाइयों, इंजेक्शनों की जमाखोरी, अधिक कीमत और नकली दवाइयों के बेचने, कालाबाजारी रोकने के संबंध में कार्रवाई के निर्देश दिए हैं. इनमें आमजन का उसकी असहाय स्थिति और परेशानी में शोषण कर लाभ कमाने का घृणित प्रयास करने वालों के विरूद्ध विशेष टीम गठित कर आपराधिक अभियोग चलाने की कार्रवाई के आदेश हैं. लाठर के अनुसार, इस आदेश में भारी संख्या में जनसमूह के एकत्रिकरण को कोरोना के संक्रमण के लिए सुपर स्प्रेडर माना गया है. ऐसे व्यक्तियों के विरूद्ध कठोर कार्रवाई करने की अपेक्षा की गई है.

यह भी पढ़ें: सांसद मनोज राजोरिया ने जिला अस्पताल के कोविड सेंटर का किया निरीक्षण, बढ़ाया जाएगा ऑक्सीजन का कोटा

सर्वोच्च न्यायालय की ओर से सुपर स्प्रेडर बनने की कार्रवाई को रोकने के लिए राज्य सरकार और केंद्र सरकार को मास गैदरिंग पर पूर्णतया प्रतिबंध लगाए जाने के निर्देश भी दिए गए हैं. उन्होंने बताया, राज्य सरकार निरंतर प्रयत्नशील है. वैवाहिक समारोहों और सावों के आयोजन में अति-न्यून संख्या में एकत्रित होने के लिए लगातर अपील की जा रही है. निर्देशों का उल्लंघन करने पर राज्य के महामारी अधिनियम की धाराओं के अंतर्गत जुर्माना और अभियोग किए जाने की कार्रवाई की जा रही है.

यह भी पढ़ें: HC ने प्रदेश में खाली बेड, ऑक्सीजन सिलेंडर और रेमडेसिविर इंजेक्शन की रियल टाइम जानकारी देने के दिए आदेश

लाठर ने बताया, 3 मई को राज्य में अनावश्यक खुले में घूमकर संक्रमण फैलाने वाले 1,900 व्यक्तियों को निरूद्ध कर उन्हें संस्थागत क्वॉरेंटाइन किया गया है. पिछले 24 घंटों में बिना मास्क के घर से निकलने वाले और मास्क को मुंह और नाक पर ठीक प्रकार से नहीं लगाने वाले 2,701 व्यक्तियों के विरूद्ध महामारी अधिनियम के अन्तर्गत कार्रवाई की गई है. इसी अवधि में सार्वजनिक स्थलों पर थूकने वाले 2,120 व्यक्तियों और संक्रमण से बचने के लिए आवश्यक सामाजिक दूरी संधारित नहीं करने वाले 26,840 व्यक्तियों के विरूद्ध जुमाने की कार्रवाई की गई है.

यह भी पढ़ें: कोविड-19 के बढ़ते संक्रमण को देखते हुए 60 से ज्यादा स्थानों पर लगाए जाएंगे ऑक्सीजन प्लांट

लाठर के मुताबिक, राज्य में कोविड- 19 के बढ़ते हुए भयावह संक्रमण की श्रृंखला को प्रभावी ढंग से तोड़ने के लिए राज्य सरकार हर संभव प्रयास कर रही है. इन प्रयासों में पूर्ण सफलता तभी मिलेगी, जब प्रत्येक नागरिक द्वारा कड़ा अनुशासन रखा जाए. सर्वोच्च न्यायालय ने वैक्सीन की कीमत की असमान दरें निर्धारित करने की नीति पर जीवन जीने के मूलभूत अधिकार, जन-स्वास्थ्य के संरक्षण और समता के अधिकार के प्रकाश में पुनर्विचार करने के निर्देश भी केंन्द्र सरकार को दिए हैं.

जयपुर. स्पेशल टीम अभियान चलाकर मेडिकल ऑक्सीजन और दवाइयों की कालाबाजारी करने वालों के खिलाफ कार्रवाई करेगी. पुलिस की ओर से कोरोना गाइडलाइन का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ भी सख्त कार्रवाई की जा रही है. प्रदेश में सरकार की ओर से महामारी रेड अलर्ट जन अनुशासन पखवाड़ा चलाया जा रहा है.

ऑक्सीजन अभियान  campaign started to stop black marketing  campaign  black marketing  medical oxygen and medicines  कालाबाजारी  मेडिकल ऑक्सीजन  दवाइयों की कालाबाजारी  जयपुर पुलिस  jaipur police  पुलिस महानिदेशक एमएल लाठर  Director General of Police ML Lather
पुलिस महानिदेशक एमएल लाठर

पुलिस महानिदेशक एमएल लाठर के मुताबिक, इस संबंध में मुख्यमंत्री की ओर से ऐसे असामाजिक तत्वों की पहचान कर उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई के निर्देश दिए हैं. निर्देशों की पालना में सतर्कतापूर्वक पहचान की कार्रवाई शुरू कर दी गई है. इसी संदर्भ में सर्वोच्च न्यायालय की ओर से स्वप्रेरणा से दायर रिट याचिका में 30 अप्रैल को भी विस्तृत आदेश जारी किए गए हैं.

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लाठर ने बताया, सर्वोच्च न्यायालय ने अपने इस आदेश में कोरोना के इलाज में काम आने वाली दवाइयों, इंजेक्शनों की जमाखोरी, अधिक कीमत और नकली दवाइयों के बेचने, कालाबाजारी रोकने के संबंध में कार्रवाई के निर्देश दिए हैं. इनमें आमजन का उसकी असहाय स्थिति और परेशानी में शोषण कर लाभ कमाने का घृणित प्रयास करने वालों के विरूद्ध विशेष टीम गठित कर आपराधिक अभियोग चलाने की कार्रवाई के आदेश हैं. लाठर के अनुसार, इस आदेश में भारी संख्या में जनसमूह के एकत्रिकरण को कोरोना के संक्रमण के लिए सुपर स्प्रेडर माना गया है. ऐसे व्यक्तियों के विरूद्ध कठोर कार्रवाई करने की अपेक्षा की गई है.

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सर्वोच्च न्यायालय की ओर से सुपर स्प्रेडर बनने की कार्रवाई को रोकने के लिए राज्य सरकार और केंद्र सरकार को मास गैदरिंग पर पूर्णतया प्रतिबंध लगाए जाने के निर्देश भी दिए गए हैं. उन्होंने बताया, राज्य सरकार निरंतर प्रयत्नशील है. वैवाहिक समारोहों और सावों के आयोजन में अति-न्यून संख्या में एकत्रित होने के लिए लगातर अपील की जा रही है. निर्देशों का उल्लंघन करने पर राज्य के महामारी अधिनियम की धाराओं के अंतर्गत जुर्माना और अभियोग किए जाने की कार्रवाई की जा रही है.

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लाठर ने बताया, 3 मई को राज्य में अनावश्यक खुले में घूमकर संक्रमण फैलाने वाले 1,900 व्यक्तियों को निरूद्ध कर उन्हें संस्थागत क्वॉरेंटाइन किया गया है. पिछले 24 घंटों में बिना मास्क के घर से निकलने वाले और मास्क को मुंह और नाक पर ठीक प्रकार से नहीं लगाने वाले 2,701 व्यक्तियों के विरूद्ध महामारी अधिनियम के अन्तर्गत कार्रवाई की गई है. इसी अवधि में सार्वजनिक स्थलों पर थूकने वाले 2,120 व्यक्तियों और संक्रमण से बचने के लिए आवश्यक सामाजिक दूरी संधारित नहीं करने वाले 26,840 व्यक्तियों के विरूद्ध जुमाने की कार्रवाई की गई है.

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लाठर के मुताबिक, राज्य में कोविड- 19 के बढ़ते हुए भयावह संक्रमण की श्रृंखला को प्रभावी ढंग से तोड़ने के लिए राज्य सरकार हर संभव प्रयास कर रही है. इन प्रयासों में पूर्ण सफलता तभी मिलेगी, जब प्रत्येक नागरिक द्वारा कड़ा अनुशासन रखा जाए. सर्वोच्च न्यायालय ने वैक्सीन की कीमत की असमान दरें निर्धारित करने की नीति पर जीवन जीने के मूलभूत अधिकार, जन-स्वास्थ्य के संरक्षण और समता के अधिकार के प्रकाश में पुनर्विचार करने के निर्देश भी केंन्द्र सरकार को दिए हैं.

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