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लॉकडाउन के दौरान मिलावट की जांच पर भी लगा रहा 'लॉक', नहीं चला मिलावटखोरी के खिलाफ कोई अभियान - medical Department

कोरोना महामारी के दौरान सारी व्यवस्थाएं और सेवाएं लगभग ठप सी हो गई थीं. सरकारी कामकाज भी ठीक से नहीं हो पा रहा था. ऐसे में लॉकडाउन के दौरा फूड सेफ्टी को लेकर मिलावटखोरों के खिलाफ भी कोई अभियान नहीं चल सका. इस दौरान मिलावटी पदार्थों की बिक्री भी खूब हुई है. फूड सेफ्टी ऑफिसर्स की कमी के कारण भी अभियान चलाने में दिक्कत रही.

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मिलावट के खिलाफ नहीं चला अभियान
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Published : Jul 3, 2021, 3:41 PM IST

जयपुर. कोविड-19 संक्रमण के दौरान विभाग की ओर से चलाई जा रहीं योजनाओं के साथ ही कई अभियान भी ठप पड़ गए. चिकित्सा विभाग की ओर से मिलावट को रोकने को लेकर भी कोई अभियान नहीं चलाया जा सका. यहां तक कि फूड सेफ्टी ऑफिसर्स को सैंपल उठाने को लेकर जो टारगेट दिया गया था वह भी पूरा नहीं हो पाया. ऐसे में कोरोना के दौरान कितना मिलावटी खाद्य पदार्थ बेचा गया इसका कोई रिकॉर्ड नहीं है, यहां तक कि तकरीबन 90 से अधिक फूड सेफ्टी ऑफिसर के पद भी खाली चल रहे हैं जिन पर अभी तक नियुक्ति नहीं की जा सकी है.

तीन माह से नहीं चला 'शुद्ध के लिए युद्ध' अभियान

चिकित्सा विभाग की ओर से समय-समय पर मिलावट की रोकथाम के लिए 'शुद्ध के लिए युद्ध' अभियान चलाया जाता है लेकिन कोविड-19 संक्रमण के दौरान बीते 3 महीने से अभियान नहीं चल पाया है. प्रदेशभर के अलग-अलग जिलों से हर महीने लगभग 500 से अधिक सैंपल उठाने के निर्देश फूड सेफ्टी ऑफिसर को दिए गए हैं लेकिन यह टारगेट भी कोविड-19 के दौरान पूरा नहीं हो पाया.

पढ़ें: पधारो म्हारे देस : पर्यटन विभाग ने जारी की नई हेरिटेज गाइड लाइन...पर्यटन और हेरिटेज संपत्तियों को जीवनदान देने की कवायद

यानी चिकित्सा विभाग की ओर से बीते 3 महीने में 1500 सैंपल खाद्य पदार्थों के उठाने का टारगेट फूड सेफ्टी ऑफिसर को दिया गया था, जिसमें से तकरीबन 200 से 300 तक सैंपल ही खाद्य पदार्थों के उठ पाए हैं. मौजूदा समय की बात की जाए तो प्रदेश भर में 51 फूड सेफ्टी ऑफिसर मिलावट की रोकथाम के लिए तैनात किए गए हैं और हर महीने 10 सैंपल उठाने के निर्देश सभी फूड सेफ्टी ऑफिसर को दिए गए हैं.

पढ़ें: ब्यूरोक्रेसी में बड़े फेरबदल की तैयारी, आज कल में आ सकती है IAS, IPS और RAS की जम्बो सूची

महामारी में नहीं चला अभियान

  • कोविड-19 संक्रमण के दौरान मिलावट को लेकर चलने वाला अभियान रुका.
  • सभी फूड सेफ्टी ऑफिसर को हर महीने 10 सैंपल लेने के निर्देश.
  • लेकिन बीते 3 महीने में टारगेट नहीं हो सका पूरा.
  • प्रदेश में मौजूदा समय में 51 फूड सेफ्टी ऑफिसर कार्यरत.
  • हालांकि इस दौरान कोई ऑफिसर कोविड-19 संक्रमण की चपेट में भी आए.
  • जिसके चलते मिलावट से जुड़े अभियान पर पड़ा असर.
  • प्रदेश में तकरीबन 50 लाख कारोबारी खाद्य सामग्री के विक्रय और निर्माण से जुड़े हुए हैं.

फूड सेफ्टी ऑफिसर्स के पद खाली

प्रदेश में लंबे समय से फूड सेफ्टी ऑफिसर यानी एफएसओ के पद खाली चल रहे हैं. हालांकि कोविड-19 संक्रमण से पहले इन पदों को भरने की कवायद शुरू की गई थी और आरपीएससी की ओर से परीक्षा भी आयोजित की गई थी लेकिन साक्षात्कार के अभाव में अभी तक इन पदों पर नियुक्तियां नहीं हो पाईं हैं. ऐसे में मिलावट को लेकर चलने वाले अभियान के दौरान फूड सेफ्टी ऑफिसर की कमी हमेशा बनी रहती है. तकरीबन 98 फूड सेफ्टी ऑफिसर की नियुक्ति को लेकर परीक्षा हो चुकी है, ऐसे में सिर्फ साक्षात्कार का इंतजार बाकी है.

जयपुर. कोविड-19 संक्रमण के दौरान विभाग की ओर से चलाई जा रहीं योजनाओं के साथ ही कई अभियान भी ठप पड़ गए. चिकित्सा विभाग की ओर से मिलावट को रोकने को लेकर भी कोई अभियान नहीं चलाया जा सका. यहां तक कि फूड सेफ्टी ऑफिसर्स को सैंपल उठाने को लेकर जो टारगेट दिया गया था वह भी पूरा नहीं हो पाया. ऐसे में कोरोना के दौरान कितना मिलावटी खाद्य पदार्थ बेचा गया इसका कोई रिकॉर्ड नहीं है, यहां तक कि तकरीबन 90 से अधिक फूड सेफ्टी ऑफिसर के पद भी खाली चल रहे हैं जिन पर अभी तक नियुक्ति नहीं की जा सकी है.

तीन माह से नहीं चला 'शुद्ध के लिए युद्ध' अभियान

चिकित्सा विभाग की ओर से समय-समय पर मिलावट की रोकथाम के लिए 'शुद्ध के लिए युद्ध' अभियान चलाया जाता है लेकिन कोविड-19 संक्रमण के दौरान बीते 3 महीने से अभियान नहीं चल पाया है. प्रदेशभर के अलग-अलग जिलों से हर महीने लगभग 500 से अधिक सैंपल उठाने के निर्देश फूड सेफ्टी ऑफिसर को दिए गए हैं लेकिन यह टारगेट भी कोविड-19 के दौरान पूरा नहीं हो पाया.

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यानी चिकित्सा विभाग की ओर से बीते 3 महीने में 1500 सैंपल खाद्य पदार्थों के उठाने का टारगेट फूड सेफ्टी ऑफिसर को दिया गया था, जिसमें से तकरीबन 200 से 300 तक सैंपल ही खाद्य पदार्थों के उठ पाए हैं. मौजूदा समय की बात की जाए तो प्रदेश भर में 51 फूड सेफ्टी ऑफिसर मिलावट की रोकथाम के लिए तैनात किए गए हैं और हर महीने 10 सैंपल उठाने के निर्देश सभी फूड सेफ्टी ऑफिसर को दिए गए हैं.

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महामारी में नहीं चला अभियान

  • कोविड-19 संक्रमण के दौरान मिलावट को लेकर चलने वाला अभियान रुका.
  • सभी फूड सेफ्टी ऑफिसर को हर महीने 10 सैंपल लेने के निर्देश.
  • लेकिन बीते 3 महीने में टारगेट नहीं हो सका पूरा.
  • प्रदेश में मौजूदा समय में 51 फूड सेफ्टी ऑफिसर कार्यरत.
  • हालांकि इस दौरान कोई ऑफिसर कोविड-19 संक्रमण की चपेट में भी आए.
  • जिसके चलते मिलावट से जुड़े अभियान पर पड़ा असर.
  • प्रदेश में तकरीबन 50 लाख कारोबारी खाद्य सामग्री के विक्रय और निर्माण से जुड़े हुए हैं.

फूड सेफ्टी ऑफिसर्स के पद खाली

प्रदेश में लंबे समय से फूड सेफ्टी ऑफिसर यानी एफएसओ के पद खाली चल रहे हैं. हालांकि कोविड-19 संक्रमण से पहले इन पदों को भरने की कवायद शुरू की गई थी और आरपीएससी की ओर से परीक्षा भी आयोजित की गई थी लेकिन साक्षात्कार के अभाव में अभी तक इन पदों पर नियुक्तियां नहीं हो पाईं हैं. ऐसे में मिलावट को लेकर चलने वाले अभियान के दौरान फूड सेफ्टी ऑफिसर की कमी हमेशा बनी रहती है. तकरीबन 98 फूड सेफ्टी ऑफिसर की नियुक्ति को लेकर परीक्षा हो चुकी है, ऐसे में सिर्फ साक्षात्कार का इंतजार बाकी है.

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