जयपुर. राजस्थान सरकार के मंत्री मास्टर भंवर लाल मेघवाल के निधन से कांग्रेस के विधायकों की संख्या अब घटकर 105 रह गई है, तो वहीं राजस्थान विधानसभा में सदस्यों की संख्या 198 हो गई है. साथ ही सीएम अशोक गहलोत के पास एक और मुश्किल सामने आ गई है कि उनके पास महकमे चलाने के लिए पर्याप्त मंत्री नहीं हैं.
आज के हालातों की बात की जाए तो राजस्थान में मुख्यमंत्री समेत 30 मंत्री बनाए जा सकते हैं. गहलोत मंत्रिमंडल में 25 मंत्री थे. राजस्थान में आए सियासी भूचाल के बाद 3 मंत्रियों सचिन पायलट, रमेश मीणा और विश्वेंद्र सिंह को उनके पदों से हटा दिया गया था और अब मंत्री भंवरलाल मेघवाल का निधन हो गया है. ऐसे में राजस्थान में अब मुख्यमंत्री समेत 21 मंत्री हैं. यानी कि करीब 30 फीसदी मंत्रियों की जगह खाली है. जिन मंत्रियों को हटाया गया उनके पोर्टफोलियो भी अन्य मंत्रियों को दे दिए गए थे जिससे कि उन मंत्रियों पर भी अतिरिक्त भार है.
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कमेटी की रिपोर्ट के बाद कैबिनेट विस्तार या फेरबदल
राजस्थान में जुलाई में हुई राजनीतिक उठापटक के बाद कांग्रेस का स्वरूप काफी हद तक बदल गया था. उम्मीद लगाई जा रही थी कि कभी भी राजस्थान में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत कैबिनेट फेरबदल या विस्तार कर सकते हैं, लेकिन ऐसा होता हुआ दिखाई नहीं दे रहा है. पहले राजस्थान में सचिन पायलट की री-एंट्री हुई और उनकी समस्याओं को सुनने के लिए कांग्रेस के 3 वरिष्ठ नेताओं अजय माकन, केसी वेणुगोपाल और अहमद पटेल की कमेटी बनाई गई थी, लेकिन उस कमेटी की रिपोर्ट अब तक नहीं आ सकी है.
अगले साल का करना होगा इंतजार
अब हालात यह है कि अहमद पटेल गंभीर बीमार हैं, ऐसे में आने वाले कुछ महीनों तक यह स्थिति भी नहीं बन रही है कि कमेटी रिपोर्ट दे सके. ऐसे में जब तक कमेटी की रिपोर्ट नहीं आ जाती है तब तक राजस्थान में ना तो कैबिनेट फेरबदल होगा और ना ही राजनीतिक नियुक्तियां. अब यह बिल्कुल साफ है कि प्रदेश में राजनीतिक नियुक्तियों और कैबिनेट फेरबदल को लेकर नेताओं को अगले साल का इंतजार करना होगा.
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बता दें, इन सभी बातों को लेकर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने सोमवार को करीब 4 घंटे तक प्रदेश प्रभारी महासचिव अजय माकन के साथ बैठक की है. जिसमें इन तमाम विषयों पर उनसे राय भी ली गई है. कहा जा रहा है कि यह तय किया गया है कि जब तक कमेटी की रिपोर्ट ना जाए तब तक किसी भी तरीके की राजनीतिक नियुक्तियां या कैबिनेट फेरबदल नहीं किया जाए.