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BVG वायरल वीडियो मामला : राजाराम की जमानत पर 30 सितंबर को होगी सुनवाई

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Published : Sep 24, 2021, 7:14 PM IST

राजस्थान हाईकोर्ट ने बीवीजी कंपनी (BVG Viral Video Case) के नगर निगम पर बकाया 276 करोड़ रुपये के भुगतान के बदले 20 करोड़ रुपये की रिश्वत मांगने से जुड़े मामले में आरोपी राजाराम गुर्जर की जमानत याचिका पर सुनवाई टाल दी. अदालत जमानत याचिका पर अब 30 सितंबर को सुनवाई करेगी.

BVG Viral Video Case
राजाराम की जमानत पर 30 सितंबर को होगी सुनवाई

जयपुर. जमानत याचिका में कहा गया कि प्रकरण में एसीबी को किसी ने शिकायत दर्ज नहीं कराई थी. एसीबी ने अपने स्तर पर ही प्रकरण में भ्रष्टाचार होने की धारणा बना रखी है. याचिकाकर्ता ने न तो किसी काम के बदले किसी व्यक्ति से रिश्वत मांगी है और न ही वह किसी को अनुचित लाभ देने की स्थिति में है.

याचिका में आगे कहा गया है कि मामला पूरी तरह राजनीति से प्रेरित है और विपक्षी पार्टी का महापौर बनने के कारण याचिकाकर्ता को बलि का बकरा बनाया जा रहा है. इसके अलावा एसीबी ने अब तक कथित वीडियो की वास्तविक क्लिप भी बरामद नहीं की है. वह गत 29 जून से न्यायिक अभिरक्षा में है और सह आरोपी ओमकार सप्रे को जमानत दी जा चुकी है. एसीबी मामले में आरोप पत्र भी पेश कर चुकी है. ऐसे में याचिकाकर्ता को जमानत दी जाए.

पढ़ें : सांसद कनकमल कटारा के फर्जी लेटर हेड पर जाली दस्तखत कर जयपुर और लखनऊ से RTI के तहत मांगी सूचना, मामला दर्ज

क्या है पूरा मामला...

साल 2017 में तत्कालीन महापौर अशोक लाहोटी ने राजधानी में BVG कंपनी के जरिए डोर टू डोर कचरा संग्रहण करने की योजना की शुरुआत की थी. राजधानी में करीब 527 डोर टू डोर कचरा संग्रहण करने वाली गाड़ियां संचालित हैं. इनमें से BVG की गाड़ियां महज 106 हैं, जबकि 421 गाड़ियां उन वेंडर्स की हैं जिन्हें BVG ने सबलेट किया है, जो कि नियम विरुद्ध है.

राजाराम गुर्जर का वायरल वीडियो...

BVG कंपनी को नगर निगम प्रशासन ने जो काम सौंपा था, उसमें शर्तों की पालना नहीं हुई. बावजूद इसके BVG कंपनी ने अधूरे काम के 300 करोड़ से ज्यादा के बिल निगम को सौंप दिए. 100 फीसदी डोर टू डोर कचरा संग्रहण, कचरे का सेग्रीगेशन, हूपर्स में ट्रैकिंग सिस्टम, वेस्ट ट्रांसफर स्टेशन बनाकर मैकेनाइज सिस्टम से डंपिंग यार्ड तक कचरा पहुंचाने और शहर में ओपन कचरा डिपो हटाने जैसी शर्तों के साथ, BVG कंपनी को नगर निगम प्रशासन की ओर से काम सौंपा गया था, लेकिन इन शर्तों की पालना नहीं हुई. बावजूद इसके BVG कंपनी ने अधूरे काम के 300 करोड़ से ज्यादा के बिल निगम को सौंप दिए.

बता दें कि BVG कंपनी देश के 70 से ज्यादा शहरों में काम कर रही है और जिसका सालाना टर्नओवर 2000 करोड़ से ज्यादा का है. कंपनी का दावा है कि निगम पर 302 करोड़ का बकाया है, लेकिन लूप पोल ये है कि 2 वर्षों से कंपनी के काम की थर्ड पार्टी से निगरानी ही नहीं हुई. ऐसे में एक सवाल यह भी उठ रहा है कि जब बिलों का वेरिफिकेशन ही नहीं हुआ है, तो उसका भुगतान कैसे हो रहा है. बताया जा रहा है इसी बिल में से 276 करोड़ रुपए के बकाया भुगतान को लेकर कथित डील हुई. जिसके ऑडियो और वीडियो भी सोशल मीडिया पर वायरल हुए. इसी मामले में राजाराम गुर्जर के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की गई थी.

जयपुर. जमानत याचिका में कहा गया कि प्रकरण में एसीबी को किसी ने शिकायत दर्ज नहीं कराई थी. एसीबी ने अपने स्तर पर ही प्रकरण में भ्रष्टाचार होने की धारणा बना रखी है. याचिकाकर्ता ने न तो किसी काम के बदले किसी व्यक्ति से रिश्वत मांगी है और न ही वह किसी को अनुचित लाभ देने की स्थिति में है.

याचिका में आगे कहा गया है कि मामला पूरी तरह राजनीति से प्रेरित है और विपक्षी पार्टी का महापौर बनने के कारण याचिकाकर्ता को बलि का बकरा बनाया जा रहा है. इसके अलावा एसीबी ने अब तक कथित वीडियो की वास्तविक क्लिप भी बरामद नहीं की है. वह गत 29 जून से न्यायिक अभिरक्षा में है और सह आरोपी ओमकार सप्रे को जमानत दी जा चुकी है. एसीबी मामले में आरोप पत्र भी पेश कर चुकी है. ऐसे में याचिकाकर्ता को जमानत दी जाए.

पढ़ें : सांसद कनकमल कटारा के फर्जी लेटर हेड पर जाली दस्तखत कर जयपुर और लखनऊ से RTI के तहत मांगी सूचना, मामला दर्ज

क्या है पूरा मामला...

साल 2017 में तत्कालीन महापौर अशोक लाहोटी ने राजधानी में BVG कंपनी के जरिए डोर टू डोर कचरा संग्रहण करने की योजना की शुरुआत की थी. राजधानी में करीब 527 डोर टू डोर कचरा संग्रहण करने वाली गाड़ियां संचालित हैं. इनमें से BVG की गाड़ियां महज 106 हैं, जबकि 421 गाड़ियां उन वेंडर्स की हैं जिन्हें BVG ने सबलेट किया है, जो कि नियम विरुद्ध है.

राजाराम गुर्जर का वायरल वीडियो...

BVG कंपनी को नगर निगम प्रशासन ने जो काम सौंपा था, उसमें शर्तों की पालना नहीं हुई. बावजूद इसके BVG कंपनी ने अधूरे काम के 300 करोड़ से ज्यादा के बिल निगम को सौंप दिए. 100 फीसदी डोर टू डोर कचरा संग्रहण, कचरे का सेग्रीगेशन, हूपर्स में ट्रैकिंग सिस्टम, वेस्ट ट्रांसफर स्टेशन बनाकर मैकेनाइज सिस्टम से डंपिंग यार्ड तक कचरा पहुंचाने और शहर में ओपन कचरा डिपो हटाने जैसी शर्तों के साथ, BVG कंपनी को नगर निगम प्रशासन की ओर से काम सौंपा गया था, लेकिन इन शर्तों की पालना नहीं हुई. बावजूद इसके BVG कंपनी ने अधूरे काम के 300 करोड़ से ज्यादा के बिल निगम को सौंप दिए.

बता दें कि BVG कंपनी देश के 70 से ज्यादा शहरों में काम कर रही है और जिसका सालाना टर्नओवर 2000 करोड़ से ज्यादा का है. कंपनी का दावा है कि निगम पर 302 करोड़ का बकाया है, लेकिन लूप पोल ये है कि 2 वर्षों से कंपनी के काम की थर्ड पार्टी से निगरानी ही नहीं हुई. ऐसे में एक सवाल यह भी उठ रहा है कि जब बिलों का वेरिफिकेशन ही नहीं हुआ है, तो उसका भुगतान कैसे हो रहा है. बताया जा रहा है इसी बिल में से 276 करोड़ रुपए के बकाया भुगतान को लेकर कथित डील हुई. जिसके ऑडियो और वीडियो भी सोशल मीडिया पर वायरल हुए. इसी मामले में राजाराम गुर्जर के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की गई थी.

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