जयपुर. बीवीजी कंपनी (BVG Company) के 276 करोड़ के बिल के भुगतान की एवज में 20 करोड़ रुपए की रिश्वत मांगने पर राजस्थान एसीबी (Rajasthan ACB) ने राजाराम गुर्जर और ओमकार सप्रे को गिरफ्तार किया था. ACB ने दोनों को कोर्ट में पेश कर 2 दिन की रिमांड पर लिया है.
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बता दें, ACB की ओर से मंगलवार को पूछताछ के लिए राजाराम गुर्जर (Rajaram Gurjar) और BVG कंपनी के प्रतिनिधि ओमकार सप्रे को एसीबी मुख्यालय बुलाया गया था और पूछताछ के बाद दोनों को गिरफ्तार किया गया था. एसीबी सूत्रों की मानें तो गिरफ्तार किए जाने के बाद जब राजाराम गुर्जर से 20 करोड़ की डील को लेकर पूछताछ की गई तो उसने पूछताछ में एसीबी अधिकारियों का सहयोग नहीं किया.
एसीबी ने हैदराबाद और जयपुर एफएसएल सहित तीन जगहों से वीडियो और ऑडियो का सत्यापन कराया है. लेनदेन की बात कहां हुई थी और इसमें अन्य किन लोगों की संलिप्तता थी, इसको लेकर पूछताछ करनी है. ऐसे में आरोपियों को तीन दिन की पुलिस अभिरक्षा में भेजा जाए.
इसका विरोध करते हुए कंपनी के प्रतिनिधि आरोपी ओमकार सप्रे की ओर से कहा गया की बातचीत राममंदिर निर्माण और प्रताप फाउंडेशन को सीएसआर के तहत राशि देने को लेकर हो रही थी. एसीबी ने काल्पनिक आधारों पर निजी लोगों के विरुद्ध मामला दर्ज किया है. इसके अलावा उसके घर पर भी सर्च किया जा चुका है.
वहीं, राजाराम की ओर से कहा गया कि प्रकरण में एसीबी ने पूछताछ पूरी कर ली है. ऐसे में उन्हें पुलिस अभिरक्षा में नहीं भेजा जाए, जिस पर सुनवाई करते हुए अदालत ने दोनों आरोपियों को 2 जुलाई तक पुलिस अभिरक्षा में भेज दिया है.
ACB अधिकारियों को कहा- तुम मेरा कुछ नहीं बिगाड़ सकते
एसीबी सूत्रों ने बताया की जब निलंबित महापौर सौम्या गुर्जर (Somya Gurjar) के पति राजाराम गुर्जर को पूछताछ के लिए एसीबी मुख्यालय बुलाया गया तो वह काफी अकड़ में एसीबी के अधिकारियों से बातचीत करने लगा. साथ ही बार-बार दोहराता रहा कि तुम मेरा कुछ भी नहीं बिगाड़ सकते. गिरफ्तार किए जाने के बाद भी राजाराम गुर्जर ACB की जांच में सहयोग नहीं कर रहा है, जिसके चलते एसीबी के अधिकारियों को भी पूछताछ में कठिनाई हो रही है.
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40 महीने से नहीं दिया फ्लैट का मेंटेनेंस चार्ज
एसीबी सूत्रों ने बताया कि जब ACB की टीम राजाराम गुर्जर के आवास पर सर्च की कार्रवाई को अंजाम देने पहुंची तो अपार्टमेंट अथॉरिटी की ओर से यह बात बताई गई की राजाराम गुर्जर हमेशा अपने राजनीतिक पहुंच की धौंस देता रहता है. वहीं, अपार्टमेंट में रहने वाले लोगों को भी अनेक बार धमका चुका है. यहां तक की अपनी राजनीतिक पहुंच का हवाला देकर अपार्टमेंट अथॉरिटी को धमका पिछले 40 महीने से फ्लैट का मेंटेनेंस चार्ज तक राजाराम गुर्जर ने नहीं भरा है. इसके अलावा भी राजाराम गुर्जर से जुड़ी इस प्रकार की अनेक शिकायतें एसीबी को प्राप्त हुई है.
राजाराम गुर्जर और ओमकार सप्रे का मोबाइल उगलेगा राज
20 करोड़ रुपए की डील के प्रकरण में ACB ने प्रीवेंशन आफ करप्शन एक्ट (Prevention of Corruption Act) और धारा 120 B के तहत राजाराम गुर्जर, बीवीजी कंपनी के प्रतिनिधि ओमकार सप्रे, संदीप चौधरी और RSS के क्षेत्रीय प्रचारक निम्बाराम और अन्य लोगों के खिलाफ FIR दर्ज की है. इसके साथ ही प्रकरण में गिरफ्तार किए गए राजाराम गुर्जर और ओमकार सप्रे के मोबाइल फोन एसीबी की ओर से सीज किए गए हैं.
FSL मुख्यालय भिजवाए जाएंगे फोन
दोनों आरोपियों के मोबाइल फोन जांच के लिए FSL मुख्यालय भिजवाए जाएंगे और आरोपियों के बीच चैटिंग के माध्यम से हुई बातचीत को रिकवर कर ACB की ओर से प्रकरण के अनुसंधान में बतौर साक्ष्य काम में लिया जाएगा. इसके साथ ही एसीबी की ओर से छापेमारी के दौरान सीज किए गए दस्तावेजों की जांच कर बीवीजी कंपनी (BVG Company) के प्रतिनिधियों और राजाराम गुर्जर के बीच में चल रहे रिश्वत के खेल की बारीकी से जांच की जाएगी. इसके साथ ही प्रकरण में नामजद किए गए अन्य लोगों को भी जल्द नोटिस भेजकर पूछताछ के लिए एसीबी मुख्यालय बुलाया जाएगा.
क्या है पूरा मामला
साल 2017 में तत्कालीन महापौर अशोक लाहोटी ने राजधानी में BVG कंपनी के जरिए डोर टू डोर कचरा संग्रहण करने की योजना की शुरुआत की थी. राजधानी में करीब 527 डोर टू डोर कचरा संग्रहण करने वाली गाड़ियां संचालित हैं. इनमें से BVG की गाड़ियां महज 106 हैं, जबकि 421 गाड़ियां उन वेंडर्स की हैं जिन्हें BVG ने सबलेट किया है, जोकि नियम विरुद्ध है.
राजाराम गुर्जर का वायरल वीडियो
BVG कंपनी को नगर निगम प्रशासन ने जो काम सौंपा था, उसमें शर्तों की पालना नहीं हुई. बावजूद इसके BVG कंपनी ने अधूरे काम के 300 करोड़ से ज्यादा के बिल निगम को सौंप दिए. 100 फीसदी डोर टू डोर कचरा संग्रहण, कचरे का सेग्रीगेशन, हूपर्स में ट्रैकिंग सिस्टम, वेस्ट ट्रांसफर स्टेशन बनाकर मैकेनाइज सिस्टम से डंपिंग यार्ड तक कचरा पहुंचाने और शहर में ओपन कचरा डिपो हटाने जैसी शर्तों के साथ, BVG कंपनी को नगर निगम प्रशासन की ओर से काम सौंपा गया था, लेकिन इन शर्तों की पालना नहीं हुई. बावजूद इसके BVG कंपनी ने अधूरे काम के 300 करोड़ से ज्यादा के बिल निगम को सौंप दिए.
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बता दें, BVG कंपनी देश के 70 से ज्यादा शहरों में काम कर रही है और जिसका सालाना टर्नओवर 2000 करोड़ से ज्यादा का है. कंपनी का दावा है कि निगम पर 302 करोड़ का बकाया है, लेकिन लूप पोल ये है कि 2 वर्षों से कंपनी के काम की थर्ड पार्टी से निगरानी ही नहीं हुई. ऐसे में एक सवाल यह भी उठ रहा है कि जब बिलों का वेरिफिकेशन ही नहीं हुआ है, तो उसका भुगतान कैसे हो रहा है. बताया जा रहा है इसी बिल में से 276 करोड़ रुपए के बकाया भुगतान को लेकर कथित डील हुई. जिसके ऑडियो और वीडियो भी सोशल मीडिया पर वायरल हुए.