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Vaccination और Lockdown के कारण रुका रक्तदान, जयपुर के अस्पतालों में ब्लड की कमी - lack of blood in rajasthan

राजधानी जयपुर के अस्पतालों में ब्लड की कमी देखने को मिल रही है. इसका सबसे प्रमुख कारण कोरोना वैक्सीनेशन (Corona vaccination) और कोरोना संक्रमण की चेन को तोड़ने के लिए लगाए गए लॉकडाउन (lockdown in rajasthan) के बाद ब्लड डोनेशन (blood donation) का बंद हो जाना है. पढ़िए ये रिपोर्ट...

blood shortage in Jaipur hospitals, Blood donation stopped due to vaccination and lockdown
वैक्सीनेशन और लॉकडाउन के कारण रुका रक्तदान
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Published : Jun 7, 2021, 5:23 PM IST

जयपुर. कोविड-19 (COVID-19) संक्रमण के चलते राजस्थान सरकार (Rajasthan Government) की ओर से लॉकडाउन (Lockdown in rajasthan) की घोषणा की गई. इस दौरान वैक्सीनेशन कार्यक्रम (vaccination program) भी चलता रहा, लेकिन इस दौरान राजधानी जयपुर के अस्पतालों में ब्लड की कमी (blood shortage in Jaipur hospitals) भी देखने को मिल रही है.

जयपुर के अस्पतालों में ब्लड की कमी

पढ़ें- आसाराम ने AIIMS में जांच और इलाज करवाने से किया मना

दरअसल, लॉकडाउन (Lockdown) के चलते रक्तदान शिविर (blood donation camp) नहीं लग पा रहे तो वहीं कोरोना वैक्सीन (Corona Vaccine) लगने के कुछ दिनों बाद तक लाभार्थी ब्लड डोनेट नहीं कर सकता. इसके कारण जयपुर के सवाई मानसिंह अस्पताल (Sawai Mansingh Hospital) समेत अन्य अस्पतालों में भी ब्लड की कमी देखने को मिल रही है.

कोरोना संक्रमण (Corona Pandemic) के दौरान भले ही अस्पतालों में सर्जरी बंद हो, लेकिन इसके बावजूद कैंसर पीड़ित मरीज और थैलेसीमिया से ग्रस्त बच्चों को ब्लड की आवश्यकता पड़ रही है. लेकिन राजस्थान में लगे लॉकडाउन (lockdown in rajasthan) के बाद ब्लड डोनेशन (blood donation) करीब बंद हो चुका है, ऐसे में अस्पतालों में ब्लड की कमी देखने को मिल रही है.

सवाई मानसिंह अस्पताल (Sawai mansingh hospital) की बात की जाए तो हर दिन 150 यूनिट ब्लड की खपत हो रही है, जबकि 100 यूनिट ही अस्पताल में ब्लड की आवक हो रही है. इसके अलावा जेके लोन अस्पताल (JK Lone hospital) में थैलेसीमिया बीमारी (Thalassemia disease) से ग्रस्त बच्चों को हर दिन 60 से 70 यूनिट ब्लड की आवश्यकता पड़ती है, जो एसएमएस अस्पताल की ओर से ही उपलब्ध करवाया जा रहा है. इसके अलावा सांगानेरी गेट महिला अस्पताल और जनाना अस्पताल में भी करीब 15 से 20 यूनिट ब्लड की खपत हर दिन हो रही है, जबकि ब्लड की आवक आधी भी नहीं है.

वैक्सीनेशन कार्यक्रम से भी पड़ा असर

इसके अलावा प्रदेश में 18 से 44 वर्ष की आयु के लाभार्थियों को कोरोना वैक्सीन (Corona Vaccine) भी लगाई जा रही है और सबसे अधिक ब्लड डोनेशन इसी आयु वर्ग के लोगों की ओर से किया जाता है. ऐसे में वैक्सीन कि दोनों डोज लगने के 14 दिन बाद ही रक्तदान किया जा सकता है.

पढ़ें- SPECIAL : पिता की मौत के बाद अवसाद का शिकार हुई बेटी...परिवार ने बेड़ियों में बांधा

सवाई मानसिंह अस्पताल के ब्लड बैंक के इंचार्ज डॉ. अमित शर्मा का कहना है कि बीते कुछ दिनों से ब्लड की कमी (Blood Shortage) देखने को मिल रही है. ऐसे में डॉक्टर शर्मा ने अपील करते हुए कहा है कि युवा वर्ग वैक्सीन लगवाने से पहले रक्तदान जरूर करें ताकि जरूरतमंद व्यक्ति को रक्त मुहैया करवाया जा सके.

सर्जरी बंद

राजधानी जयपुर में जब कोविड-19 (COVID-19) संक्रमण के मामले बढ़े तो सरकार की ओर से सरकारी और बड़े प्राइवेट अस्पतालों को डेडिकेटेड कोविड-19 अस्पतालों (Dedicated Covid-19 Hospitals) में तब्दील कर दिया गया. जिसके बाद इन अस्पतालों में सिर्फ कोविड-19 संक्रमित मरीजों का इलाज किया जा रहा है. ऐसे में सर्जरी से जुड़े इलाज पूरी तरह से अस्पतालों में रोक दिए गए हैं, जिसके चलते भी ब्लड मांग कम हुई है. लेकिन, जब सामान्य सर्जरी अस्पतालों में शुरू हो जाएगी तब एकाएक ब्लड की मांग भी बढ़नी शुरू हो जाएगी.

जयपुर. कोविड-19 (COVID-19) संक्रमण के चलते राजस्थान सरकार (Rajasthan Government) की ओर से लॉकडाउन (Lockdown in rajasthan) की घोषणा की गई. इस दौरान वैक्सीनेशन कार्यक्रम (vaccination program) भी चलता रहा, लेकिन इस दौरान राजधानी जयपुर के अस्पतालों में ब्लड की कमी (blood shortage in Jaipur hospitals) भी देखने को मिल रही है.

जयपुर के अस्पतालों में ब्लड की कमी

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दरअसल, लॉकडाउन (Lockdown) के चलते रक्तदान शिविर (blood donation camp) नहीं लग पा रहे तो वहीं कोरोना वैक्सीन (Corona Vaccine) लगने के कुछ दिनों बाद तक लाभार्थी ब्लड डोनेट नहीं कर सकता. इसके कारण जयपुर के सवाई मानसिंह अस्पताल (Sawai Mansingh Hospital) समेत अन्य अस्पतालों में भी ब्लड की कमी देखने को मिल रही है.

कोरोना संक्रमण (Corona Pandemic) के दौरान भले ही अस्पतालों में सर्जरी बंद हो, लेकिन इसके बावजूद कैंसर पीड़ित मरीज और थैलेसीमिया से ग्रस्त बच्चों को ब्लड की आवश्यकता पड़ रही है. लेकिन राजस्थान में लगे लॉकडाउन (lockdown in rajasthan) के बाद ब्लड डोनेशन (blood donation) करीब बंद हो चुका है, ऐसे में अस्पतालों में ब्लड की कमी देखने को मिल रही है.

सवाई मानसिंह अस्पताल (Sawai mansingh hospital) की बात की जाए तो हर दिन 150 यूनिट ब्लड की खपत हो रही है, जबकि 100 यूनिट ही अस्पताल में ब्लड की आवक हो रही है. इसके अलावा जेके लोन अस्पताल (JK Lone hospital) में थैलेसीमिया बीमारी (Thalassemia disease) से ग्रस्त बच्चों को हर दिन 60 से 70 यूनिट ब्लड की आवश्यकता पड़ती है, जो एसएमएस अस्पताल की ओर से ही उपलब्ध करवाया जा रहा है. इसके अलावा सांगानेरी गेट महिला अस्पताल और जनाना अस्पताल में भी करीब 15 से 20 यूनिट ब्लड की खपत हर दिन हो रही है, जबकि ब्लड की आवक आधी भी नहीं है.

वैक्सीनेशन कार्यक्रम से भी पड़ा असर

इसके अलावा प्रदेश में 18 से 44 वर्ष की आयु के लाभार्थियों को कोरोना वैक्सीन (Corona Vaccine) भी लगाई जा रही है और सबसे अधिक ब्लड डोनेशन इसी आयु वर्ग के लोगों की ओर से किया जाता है. ऐसे में वैक्सीन कि दोनों डोज लगने के 14 दिन बाद ही रक्तदान किया जा सकता है.

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सवाई मानसिंह अस्पताल के ब्लड बैंक के इंचार्ज डॉ. अमित शर्मा का कहना है कि बीते कुछ दिनों से ब्लड की कमी (Blood Shortage) देखने को मिल रही है. ऐसे में डॉक्टर शर्मा ने अपील करते हुए कहा है कि युवा वर्ग वैक्सीन लगवाने से पहले रक्तदान जरूर करें ताकि जरूरतमंद व्यक्ति को रक्त मुहैया करवाया जा सके.

सर्जरी बंद

राजधानी जयपुर में जब कोविड-19 (COVID-19) संक्रमण के मामले बढ़े तो सरकार की ओर से सरकारी और बड़े प्राइवेट अस्पतालों को डेडिकेटेड कोविड-19 अस्पतालों (Dedicated Covid-19 Hospitals) में तब्दील कर दिया गया. जिसके बाद इन अस्पतालों में सिर्फ कोविड-19 संक्रमित मरीजों का इलाज किया जा रहा है. ऐसे में सर्जरी से जुड़े इलाज पूरी तरह से अस्पतालों में रोक दिए गए हैं, जिसके चलते भी ब्लड मांग कम हुई है. लेकिन, जब सामान्य सर्जरी अस्पतालों में शुरू हो जाएगी तब एकाएक ब्लड की मांग भी बढ़नी शुरू हो जाएगी.

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