जयपुर. बसपा विधायकों के कांग्रेस में विलय मामले में सुप्रीम कोर्ट की ओर से नोटिस जारी होने के बाद कांग्रेस में शामिल इन विधायकों ने दिल्ली की भाग दौड़ तेज कर दी है. वहीं, भाजपा को भी सुप्रीम कोर्ट के निर्णय का बेसब्री से इंतजार है. भाजपा प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया के अनुसार केवल 6 विधायकों के अपने हित के लिए किसी अन्य पार्टी में विलय को पार्टी का विलय नहीं माना जाता. लिहाजा यह मर्जर अंसवैधानिक है. सुप्रीम कोर्ट इस मसले को जो निर्णय देगा वो सबको मान्य होगा.
पूनिया के अनुसार भाजपा पहले से यह कहती आई है कि राजस्थान की गहलोत सरकार हॉर्स ट्रेडिंग नहीं बल्कि एलीफेंट ट्रेडिंग करती है. पूनिया ने कहा कि राजस्थान में 6 विधायकों का कांग्रेस में मर्जर हुआ, लेकिन मायावती की बहुजन समाज पार्टी का तो कांग्रेस में विलय नहीं हुआ. ऐसे में केवल विधायकों के विलय को पार्टी का विलय नहीं माना जा सकता. उन्होंने कहा कि हरियाणा जनहित कांग्रेस के मसले सहित ऐसे कई प्रसंग है, पिछले कुछ साल में सामने आए थे जिनमें व्यवस्थाएं भी दी गई है. इस मामले में सुप्रीम कोर्ट जो निर्णय देगा वो सबको मान्य रहेगा.
गौरतलब है कि राजस्थान में बसपा के सभी 6 विधायक कांग्रेस में शामिल हो गए थे. ऐसे में यह मामला पहले हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गया. हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने इस मसले पर संबंधित विधायकों को नोटिस जारी किया है, जिसके बाद ये विधायक अब दिल्ली में पहुंचकर सुप्रीम कोर्ट के सीनियर एडवोकेट और विधि विशेषज्ञों से राय ले रहे हैं.