जयपुर. राजस्थान में सियासत का महासंग्राम छिड़ा हुआ है. जिसमें कांग्रेस पार्टी के दो दिग्गज नेता मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और उप मुख्यमंत्री पद से बर्खास्त किए गए सचिन पायलट दो गुटों में आमने-सामने आ गए हैं और अब सत्ता को लेकर संघर्ष चल रहा है. आज जिस तरह के हालात हैं, साल 1998 में भी कांग्रेस कुछ ऐसे ही हालातों से गुजरी थी. तब कांग्रेस गहलोत और मदेरणा कैंप में बंटी थी, लेकिन अंदरूनी लड़ाई को मजबूत आलाकमान ने सुलझा लिया था.
साल 1998 के राजस्थान विधानसभा के चुनाव में राजस्थान कांग्रेस के अध्यक्ष थे वर्तमान मुख्यमंत्री अशोक गहलोत. कहा जाता है कि उस समय विधानसभा चुनाव दिग्गज जाट नेता परसराम मदेरणा के चेहरे पर लड़ा गया था, और कांग्रेस ने 156 सीटों पर रिकॉर्ड जीत कायम की थी. उस समय कहा जाता था कि पहली बार कांग्रेस पार्टी की ओर से किसी जाट को मुख्यमंत्री बनाया जाएगा, लेकिन ऐसा हो नहीं सका.
उस समय राजस्थान कांग्रेस के अध्यक्ष अशोक गहलोत ने सियासी चतुराई दिखाते हुए दिल्ली आलाकमान की मदद से मुख्यमंत्री की कुर्सी अपने कब्जे में कर ली और परसराम मदेरणा को विधानसभा अध्यक्ष की कुर्सी से ही संतोष करना पड़ा. उस समय भी दोनों गुटों में तकरार ऐसी ही थी, जो आज के सियासी संकट में दिख रही है. लेकिन उस समय कांग्रेस का दिल्ली आलाकमान मजबूत था, जिसके निर्णय के खिलाफ जाना किसी भी नेता के बस में नहीं था.
उस समय राजनीति का स्तर भी काफी ऊंचा था, लेकिन आज भी यही कहा जाता है कि जो काम मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने 1998 में परसराम मदेरणा के साथ किया वहीं साल 2008 में वर्तमान स्पीकर और तत्कालीन प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष सीपी जोशी के साथ किया. और यही हुआ साल 2018 के चुनाव में जीत के बाद सचिन पायलट के साथ. सीएम की कुर्सी को लेकर दोनों नेताओं की बीच 2018 से चली आ रही जंग अब आमने-सामने में तब्दील हो गई है.
-
"हर किसी का दमन करना बेशक तुम्हारा पेशा है,
— Ramniwas Gawriya (@RamniwasGawriya) July 14, 2020 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data="
तुम्हारे दमन को सहना अब ना हमारे बस का है"
"पुरखों के हक और अपमान का बदला लेकर "जादूगर के दमन" का अंत "राजस्थान के पायलट" के नेतृत्व में युवा पीढ़ी करेगी #जय_जवान_जय_किसान #JaiVeerTejaji
">"हर किसी का दमन करना बेशक तुम्हारा पेशा है,
— Ramniwas Gawriya (@RamniwasGawriya) July 14, 2020
तुम्हारे दमन को सहना अब ना हमारे बस का है"
"पुरखों के हक और अपमान का बदला लेकर "जादूगर के दमन" का अंत "राजस्थान के पायलट" के नेतृत्व में युवा पीढ़ी करेगी #जय_जवान_जय_किसान #JaiVeerTejaji"हर किसी का दमन करना बेशक तुम्हारा पेशा है,
— Ramniwas Gawriya (@RamniwasGawriya) July 14, 2020
तुम्हारे दमन को सहना अब ना हमारे बस का है"
"पुरखों के हक और अपमान का बदला लेकर "जादूगर के दमन" का अंत "राजस्थान के पायलट" के नेतृत्व में युवा पीढ़ी करेगी #जय_जवान_जय_किसान #JaiVeerTejaji
वहीं, पायलट कैंप में शामिल हेमाराम, विश्वेंद्र सिंह, विजेंद्र अरोड़ा, मुकेश भाकर, रामनिवास गावड़िया बार-बार कह रहे हैं कि यह लड़ाई है स्वाभिमान और जाट अस्मिता की है. पायलट कैंप में इस समय जाट नेता पहुंचे है. जिनमें हेमाराम चौधरी, विश्वेंद्र सिंह और विजेंद्र ओला जैसे तीन सीनियर जाट नेता भी शामिल है.
पढ़ें- स्पीकर सीपी जोशी की एसएलपी पर SC आज करेगा सुनवाई, पायलट गुट ने भी दाखिल की कैविएट
वहीं, हेमाराम ने तो वीडियो जारी कर यह तक कह दिया था कि साल 1998 में इसी तरीके से मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने परसराम मदेरणा की कुर्सी छीन ली थी तो वही बृजेन्द्र ओला ने अपने फेसबुक अकाउंट पर लिखा कि दिग्गज जाट नेता शीशराम ओला को सच्ची श्रद्धांजलि का समय है. इसी तरीके से मंत्री पद से बर्खास्त किए गए विश्वेंद्र सिंह लगातार गहलोत पर अटैक कर रहे हैं.
-
द्वंद कहां तक पाला जाए, युद्ध कहां तक टाला जाए|
— Mukesh Bhakar (@MukeshBhakar_) July 15, 2020 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data="
तू भी है तेजा का वंशज, फेंक जहां तक भाला जाए||
">द्वंद कहां तक पाला जाए, युद्ध कहां तक टाला जाए|
— Mukesh Bhakar (@MukeshBhakar_) July 15, 2020
तू भी है तेजा का वंशज, फेंक जहां तक भाला जाए||द्वंद कहां तक पाला जाए, युद्ध कहां तक टाला जाए|
— Mukesh Bhakar (@MukeshBhakar_) July 15, 2020
तू भी है तेजा का वंशज, फेंक जहां तक भाला जाए||
इस लिस्ट में शामिल दो नेता मुकेश भाकर और रामनिवास गावड़िया है जो चुनाव भले ही पहली बार जीत कर आए हो, लेकिन जिस आक्रामकता से वो मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पर अटैक कर रहे हैं साफ तौर पर यह मैसेज देना चाह रहे हैं कि वह परसराम मदेरणा कि उस लड़ाई को लड़ रहे हैं जो साल 1998 में हुई थी. रामनिवास गवड़िया ने तो अपने एक ट्वीट में लिखा था कि पुरखों के हक और अपमान का बदला लेकर जादूगर के दमन का अंत राजस्थान के पायलट के नेतृत्व में युवा पीढ़ी करेगी.