जयपुर. कोरोना महामारी के बीच श्मशान घाटों के आसपास पीपीई किट, ग्लव्ज और मास्क फेंके जाने पर प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड नाराजगी जता चुका है. इसके बावजूद निगम प्रशासन की ओर से इसकी सुध नहीं ली जा रही है. जयपुर में निगम की बड़ी लापरवाही सामने आ रही है. श्मशान घाटों से बायो मेडिकल वेस्ट खुले कचरा डिपो में निस्तारित किया जा रहा है. ईटीवी भारत ने जयपुर के आदर्श नगर स्थित कोविड से मरने वालों के लिए डेडिकेटेड आदर्श नगर श्मशान घाट की ग्राउंड रिपोर्ट की तो चौंकाने वाली तस्वीरें सामने आई. कंपनियों को ठेका देने के बावजूद मेडिकल बायो वेस्ट को खुले में जलाया जा रहा था.
जयपुर निगम ने लोगों की सुविधा के लिए कोरोना मृतकों की अंतिम यात्रा के लिए निशुल्क ट्रांसपोर्टेशन और अंतिम संस्कार भी निशुल्क करने की सुविधा दी है. यही नहीं यहां लोगों के लिए छांव और पानी की व्यवस्था की गई है लेकिन इसे निगम की लापरवाही ही कहेंगे कि श्मशान घाटों से बायो मेडिकल वेस्ट कलेक्ट करने और उसे निस्तारित करने का कोई प्लान तैयार नहीं किया गया. यही वजह है कि श्मशान घाट के सफाई कर्मचारी इसे खुले कचरा डिपो पर जाकर निस्तारित कर रहे हैं.
बायो मेडिकल वेस्ट कलेक्ट करने का प्लान ही नहीं
जयपुर ग्रेटर और हेरिटेज नगर निगम प्रशासन ने कोविड केयर सेंटर और अस्पतालों से निकलने वाले बायोमेडिकल वेस्ट को कलेक्ट कर डिस्पोज करने का ठेका इंस्ट्रोमेडिक्स इंडिया प्राइवेट लिमिटेड कंपनी को दे रखा है.
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वहीं यदि घरों से कोई बायो मेडिकल वेस्ट (bio medical waste) जनरेट होता है तो उसके लिए डोर-टू-डोर कचरा संग्रहण करने वाले हूपर में अलग से लाल रंग का डिब्बा लगाए जाने के निर्देश दिए गए हैं लेकिन नगर निगम प्रशासन उस केंद्र से बायोमेडिकल वेस्ट कलेक्ट करने का प्लान बनाना भूल गई, जहां हर दिन कोरोना मृतकों के शवों का अंतिम संस्कार किया जा रहा है.
श्मशान घाट के कर्मचारियों पर खतरा
शहर के आदर्श नगर मोक्ष धाम को कोरोना मृतकों के लिए समर्पित किया गया है, जहां हर दिन तकरीबन 15 से 20 शवों का अंतिम संस्कार किया जाता है. ऐसे में यहां पीपीई किट, ग्लव्ज और मास्क का कचरा इकट्ठा होना भी लाजमी है लेकिन निगम या संबंधित ठेका फर्म यहां से इस बायो मेडिकल वेस्ट को कलेक्ट नहीं कर रही. नतीजन श्मशान घाट के सफाई कर्मचारियों को अपनी जान जोखिम में डालकर इसे कलेक्ट करना पड़ रहा है. इसे लापरवाही ही कहेंगे कि इस दौरान कर्मचारी ग्लव्स तक का इस्तेमाल नहीं किया जा रहा. यही नहीं कर्मचारी बायो मेडिकल वेस्ट को खुले कचरा डिपो पर डालते हैं और यहीं इसे जलाकर निस्तारित करते हैं.
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हालांकि, विशेषज्ञों के अनुसार खुले में बायो मेडिकल वेस्ट फेंके जाने से न केवल संक्रमण का खतरा रहता है बल्कि पर्यावरण को भी नुकसान पहुंचता है. प्रयोग किए हुए पीपीई किट, ग्लव्ज और मास्क आदि से जानवरों में भी संक्रमण का खतरा रहता है और कचरा बीनने वालों में भी संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है.