जयपुर. राज्य के करीब 27 हजार पंचायत सहायकों का अटका हुआ मानदेय जल्द ही उन्हें मिल सकेगा. पंचायत सहायकों के मानदेय के भुगतान को लेकर पंचायती राज विभाग और शिक्षा विभाग के बीच चल रहा असमंजस अब दूर हो गया है. इस मामले में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के हस्तक्षेप के बाद पंचायत सहायकों के मानदेय के भुगतान को लेकर चल रहा विवाद समाप्त हो गया है.
दरअसल, पिछले दो-तीन महीने से पंचायत सहायकों के मानदेय को लेकर पंचायती राज एवं शिक्षा विभाग में चल रहे असमंजस की स्थिति बनी हुई थी. दोनों विभाग एक दूसरे पर टालमटोल कर रहे थे, लेकिन मामला मुख्यमंत्री गहलोत के संज्ञान में आने पर अब मानदेय भुगतान का रास्ता साफ हो गया है.
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मिली जानकारी के मुताबिक पूर्व की भांति पंचायत सहायकों को मानदेय भुगतान पंचायत राज विभाग की ओर से ही किया जाएगा. इसके लिए करीब 100 करोड़ रुपए का बजट भी जारी कर दिया गया है. इस बजट के पंचायतों के खातों में हस्तानांरण की प्रक्रिया भी शुरू हो चुकी है. बजट हस्तांतरित होते ही पंचायत सहायकों को मानदेय मिल सकेगा. हालांकि, इस विवाद के निपटने के बाद अब राजस्थान विद्यार्थी मित्र पंचायत सहायक संघ के प्रदेशाध्यक्ष नरेन्द्र चौधरी और प्रदेश संयोजक अशोक सिहाग ने सरकार से आग्रह किया है कि एक विभाग करके पंचायत सहायकों के नियमितीकरण किया जाए.
वित्त विभाग की ओर से मानदेय जारी करने को लेकर हुए आदेश के बाद राजस्थान विद्यार्थी मित्र पंचायत सहायक संघ ने सरकार का आभार जताया. महासंघ के प्रदेश संयोजक अशोक सिहाग ने कहा कि देर से ही सही, लेकिन सरकार ने विद्यार्थी मित्रों को जो राहत दिए, उसके लिए सरकार का आभार. उन्होंने कहा कि सरकार के इस आदेश के बाद प्रदेश के 27000 विद्यार्थी मित्रों को राहत मिलेगी. अशोक सियाग ने सरकार से यह भी मांग की कि भविष्य में विद्यार्थी मित्रों का मानदेय नहीं हट, यह सरकार को सुनिश्चित करना चाहिए.