जयपुर. राजनीति में चुनाव परिणाम ही हैं जो संबंधित राजनेता को उसकी सियासी पकड़ का असली आईना दिखाते हैं. राजस्थान में 6 जिलों में हुए पंचायत राज चुनाव में भाजपा के कई दिग्गज राजनेताओं को उनकी सियासी पकड़ का आइना दिख गया है. भारतीय जनता पार्टी के कई बड़े चेहरे अपने ही घर में भाजपा का कमल नहीं खिलवा पाए.
गजेंद्र सिंह शेखावत, केंद्रीय जलशक्ति मंत्री
नरेंद्र मोदी सरकार में केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत का गृह जिला जोधपुर है. जहां से वे सांसद भी हैं. लेकिन जोधपुर जिला परिषद और यहां आने वाली पंचायत समितियों में भाजपा का प्रदर्शन दोयम दर्जे का रहा. जोधपुर जिला परिषद के 30 वार्डों में से बीजेपी महज 16 पर ही जीत पाई, जबकि 21 वार्डों में कांग्रेस ने कब्जा किया. साल 2015 में हुए चुनाव में यहां भाजपा का जोर था, लेकिन अब कांग्रेस का हाथ मजबूत हुआ है. जोधपुर जिले की 21 पंचायत समितियों में से महज 4 पर ही भाजपा को बहुमत मिल पाया है. मतलब अपने ही संसदीय क्षेत्र में शेखावत भाजपा का कमल खिलाने में नाकाम रहे. या फिर कहें कि जोधपुर में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत गजेंद्र सिंह शेखावत पर भारी पड़े हैं.
डॉ. सतीश पूनिया, प्रदेश अध्यक्ष भाजपा
सतीश पूनिया भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष होने के नाते संपूर्ण 6 जिलों के चुनाव परिणाम के लिए जिम्मेदार हैं. पूनिया जयपुर के आमेर से विधायक भी हैं, जहां दो पंचायत समितियों के चुनाव थे और दोनों में ही भाजपा को अपना बोर्ड और प्रधान बनाने के लिए पूर्ण बहुमत नहीं मिला. आमेर पंचायत समिति के 23 वार्डों में से बीजेपी और कांग्रेस दोनों को 11-11 वार्डों में जीत मिली. मतलब बोर्ड बनाने के लिए निर्दलीय का सहारा लेना होगा. वहीं जालसू पंचायत समिति के 25 वार्ड में से 12 वार्ड में भाजपा को जीत मिली, लेकिन बहुमत के लिए या तो निर्दलीय या फिर आरएलपी प्रत्याशी की मदद लेनी पड़ेगी. मतलब अपने ही गृह क्षेत्र में पूनिया भाजपा को पूर्ण बहुमत नहीं दिलवा पाए.
राज्यवर्धन सिंह राठौड़, जयपुर ग्रामीण सांसद
जयपुर ग्रामीण से सांसद और पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता राज्यवर्धन सिंह राठौड़ की प्रतिष्ठा भी चुनाव में दांव पर थी. जयपुर जिला परिषद में भाजपा अपना बहुमत नहीं ला पाई. जयपुर जिले की 22 पंचायत समितियों में से अधिकतर पर भाजपा का कमल नहीं खिला. हालांकि चुनाव प्रचार में राज्यवर्धन राठौड ने अपना खूब पसीना बहाया था, लेकिन परिणाम आशाजनक नहीं आया.
रामलाल शर्मा, भाजपा प्रदेश प्रवक्ता
चौमूं से भाजपा विधायक रामलाल शर्मा पार्टी में प्रदेश के मुख्य प्रवक्ता भी हैं. उनके विधानसभा क्षेत्र में गोविंदगढ़ पंचायत समिति आती है, जहां भाजपा ने कांग्रेस की तुलना में वार्ड तो अधिक जीते, लेकिन प्रधान और बोर्ड बनाने के लिए पूर्ण बहुमत से बीजेपी दूर रही. गोविंदगढ़ पंचायत समिति के 31 वार्डों में से 14 पर भाजपा और 11 पर कांग्रेस ने जीत हासिल की. जबकि 3 निर्दलीय और 3 आरएलपी के प्रत्याशी जीते. मतलब भाजपा को अपना बोर्ड बनाने के लिए आरएलपी या निर्दलीय का सहारा लेना पड़ेगा. रामलाल शर्मा भी अपने क्षेत्र में आशा के अनुरूप प्रदर्शन नहीं कर पाए.
निर्मल कुमावत, भाजपा विधायक
फुलेरा से भाजपा विधायक निर्मल कुमावत के विधानसभा क्षेत्र में सांभर लेक और किशनगढ़ रेनवाल पंचायत समितियां आती हैं. लेकिन यहां भी भाजपा का प्रदर्शन निराशाजनक रहा. सांभर लेक पंचायत समिति के 19 वार्डों में से महज 5 पर ही बीजेपी का कमल खिल पाया, जबकि किशनगढ़ रेनवाल पंचायत समिति के 19 वार्डों में से 9 पर बीजेपी जीती. यहां कांग्रेस ने 10 सीटों पर कब्जा किया.
पब्बाराम विश्नोई, भाजपा विधायक
जोधपुर के फलौदी से भाजपा विधायक पब्बाराम विश्नोई के विधानसभा क्षेत्र में तीन पंचायत समितियों में चुनाव हुए थे. यहां भाजपा का कमल नहीं खिल पाया. फलौदी पंचायत समिति के 17 वार्डों में से महज 2 पर ही भाजपा जीत पाई. बाप पंचायत समिति की 17 सीटों में से महज 4 पर बीजेपी का कमल खिला. इसी क्षेत्र में नई पंचायत समिति घंटियाली के 15 वार्डों में से 7 में भाजपा ने जीत जरूर दर्ज की, लेकिन बहुमत के लिए भाजपा को निर्दलीय या आरएलपी का सहयोग यहां भी लेना होगा.
समाराम गरासिया ने दिलाई जीत,जगसीराम कोली का प्रदर्शन औसत
मौजूदा चुनाव में भाजपा के सिरोही जिले से आने वाले मौजूदा विधायक समाराम गरासिया के विधानसभा क्षेत्र में आने वाली पिंडवाड़ा पंचायत समितियों में भाजपा का कमल खिला. हालांकि रेवदर से भाजपा विधायक जगसीराम कोली के क्षेत्र में आने वाली रेवदर पंचायत समिति में तो भाजपा को जीत मिली, लेकिन आबूरोड पंचायत समिति में भाजपा को हार का मुंह देखना पड़ा. मतलब जगसीराम कोली का प्रदर्शन एवरेज रहा.
4 सांसदों के क्षेत्र में हारी भाजपा, 1 में जीती, 1 में एवरेज प्रदर्शन
जिन 6 जिलों में पंचायत राज चुनाव हुए वहां भाजपा के ही मौजूदा सांसद थे. इनमें जोधपुर, जयपुर, सवाई माधोपुर और दौसा के भाजपा सांसद अपने क्षेत्रों में कमल का फूल खिलाने में नाकाम रहे. इनमें जोधपुर से गजेंद्र सिंह शेखावत, जयपुर ग्रामीण से राज्यवर्धन सिंह राठौड़, दौसा से जसकौर मीणा और टोंक-सवाई माधोपुर से सांसद सुखराम जौनापुरिया का नाम शामिल है. वही गोविंदगढ़ पंचायत समिति सीकर संसदीय क्षेत्र में आती है, जहां से भाजपा सांसद स्वामी सुमेधानंद आते हैं. सिरोही संसदीय क्षेत्र में भाजपा का प्रदर्शन बेहतर रहा, यहां से देवजी पटेल सांसद हैं. वहीं भरतपुर जिला परिषद में भाजपा सबसे बड़ी पार्टी के रूप में तो उभरी, लेकिन बहुमत नहीं मिला. ऐसे में वहां की सांसद रंजीता कोली का प्रदर्शन एवरेज माना जाएगा.
भाजपा में अब हावी होंगे इन दिग्गजों के विरोधी नेता
राजस्थान भाजपा में नेताओं के बीच के खेमेबाजी किसी से छुपी हुई नहीं है. अब इन छोटे चुनाव के परिणाम में जब बड़े दिग्गजों की सियासी जमीन हिल गई है, तब उनके विरोधी खेमे से जुड़े नेता अब इस मामले में धीरे-धीरे मुखर भी होंगे. वह इसलिए, क्योंकि अब विरोधी खेमे के नेताओं के पास मौजूदा चुनाव में भाजपा को मिली हार का मुद्दा है. इसी मुद्दे को लेकर वे इन दिग्गज नेताओं पर सियासी रूप से दबाव भी बनाने का काम करेंगे.
राजेंद्र राठौड़, उपनेता प्रतिपक्ष
प्रतिपक्ष के उपनेता राजेंद्र राठौड़ के गृह जिले या विधानसभा क्षेत्र में चुनाव नहीं थे. लेकिन राजधानी जयपुर जिले की कमान भाजपा ने उन्हें बतौर प्रभारी बनाकर सौंपी थी. उनकी रणनीति इन चुनावों में ज्यादा सफल नहीं हो पाई. आलम ये रहा कि जयपुर जिला परिषद भी हाथ से गई और अधिकतर पंचायत समितियों में भी भाजपा का कमल नहीं खिल पाया.