जयपुर. राजस्थान की गहलोत सरकार भले ही सुशासन का दावा करती हो, लेकिन अभी कई जिलों में दबंगों का दबंगई इस कदर से है कि पीड़ितों को न्याय नही मिल पा रहा है और उन्हें गांव तक छोड़ना पड़ रहा है. ऐसा ही एक मामला सामने आया जयपुर सचिवालय में. जहां दबंगों की दबंगई से तंग आकर भरतपुर जिले के एक परिवार ने न्याय नहीं मिलने की आस के बाद इच्छा मृत्यु की मांग की.
पीड़ित परिवार हाथों में इच्छामृत्यु की तख्तियां लेकर शासन सचिवालय के बाहर खड़ा हो गया. जानकारी के मुताबिक गांव में दबंगों की दबंगई से तंग आकर इस परिवार को एक साल पहले गांव छोड़ना पड़ा. डेढ़ साल से न्याय की लड़ाई लड़ रहा पीड़ित अब परिवार के साथ सचिवालय के बाहर खड़ा है.
एक साल पहले छोड़ा गांव, अब इच्छा मृत्यु की मांग
बता दें कि एक साल पहले गांव के दबंगों की दबंगई से तंग आकर घर छोड़ना पड़ा था. जिसके बाद अभी तक पीड़ित परिवार को न्याय नहीं मिला. पीड़ित का आरोप है कि गांव के दबंग उनकी बेटी के साथ आये दिन छेड़खानी करते थे. इस का विरोध किया तो उनके साथ मारपीट की, न्याय की आस लेकर पुलिस के पास गए तो उन्होंने भी 5-6 दिन निकाल दिए और दबाव में कोई कर्रवाई नहीं की. आरोपियों की हिम्मत और बढ़ने लगी तो उन्हें परिवार सहित गांव छोड़ना पड़ा.
दूसरे गांव में किसी की शरण में पीड़ित परिवार
वहीं पीड़ित परिवार से मिली जानकारी के मुताबिक उनका परिवार पिछले एक साल से दूसरे गांव में किसी की मदद से रह रहा है. ऐसा नहीं है कि पीड़ित ने इसकी शिकायत उच्च अधिकारियों से नहीं. पीड़ित अपने परिवार को लेकर हर उस चौखट पर गया. जहां पर उसे न्याय की आस थी. पुलिस की छोटे से लेकर बड़े अधिकारी तक उसने गुहार लगाई. लेकिन किसी ने उसकी मदद नहीं की न्याय से आज टूटने के बाद अब पीड़ित परिवार इच्छा मृत्यु की मांग कर रहा है.
बच्चों की पढ़ाई ठप, भूखे मरने तक की आई नौबत
इधर, गांव छुटने की स्थिति में तीनों बच्चों की पढ़ाई तक ठप हो गई है. परिवार को खाने के लाले पड़ रहे है. आलम ये है कि भूखे मरने की नौबत तक आ गई है. ऐसे में बड़ा सवाल ये कि सूबे की गहलोत सरकार पीड़ितों के न्याय के दावे करती है, लेकिन किस तरह से पीड़ितों को न्याय नहीं मिलने की स्थिति में इच्छा मृत्यु मांगनी करनी पड़ रही है.