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राजस्थान के इस परिवार ने लगाई गुहार, इंसाफ दो या इच्छामृत्यु

भरतपुर के परिवार को दबंगों की दबंगई के चलते गांव छोड़ना पड़ा, जिसके बाद उनको एक साल तक न्याय नहीं मिला तो पीड़ित परिवार ने अब इच्छामृत्यु की मांग की है. यहीं नहीं पीड़ित परिवार अपनी मांग को लेकर हाथों में इच्छामृत्यु की तख्तियां लेकर शासन सचिवालय के बाहर खड़ा हो गया है.

इच्छामृत्यु की मांग , जयपुर सचिवालय, Jaipur secretariat, demands euthanasia
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Published : Oct 21, 2019, 3:39 PM IST

Updated : Oct 22, 2019, 6:06 PM IST

जयपुर. राजस्थान की गहलोत सरकार भले ही सुशासन का दावा करती हो, लेकिन अभी कई जिलों में दबंगों का दबंगई इस कदर से है कि पीड़ितों को न्याय नही मिल पा रहा है और उन्हें गांव तक छोड़ना पड़ रहा है. ऐसा ही एक मामला सामने आया जयपुर सचिवालय में. जहां दबंगों की दबंगई से तंग आकर भरतपुर जिले के एक परिवार ने न्याय नहीं मिलने की आस के बाद इच्छा मृत्यु की मांग की.

राजस्थान के इस परिवार ने लगाई गुहार...इंसाफ दो या इच्छामृत्यु

पीड़ित परिवार हाथों में इच्छामृत्यु की तख्तियां लेकर शासन सचिवालय के बाहर खड़ा हो गया. जानकारी के मुताबिक गांव में दबंगों की दबंगई से तंग आकर इस परिवार को एक साल पहले गांव छोड़ना पड़ा. डेढ़ साल से न्याय की लड़ाई लड़ रहा पीड़ित अब परिवार के साथ सचिवालय के बाहर खड़ा है.

एक साल पहले छोड़ा गांव, अब इच्छा मृत्यु की मांग
बता दें कि एक साल पहले गांव के दबंगों की दबंगई से तंग आकर घर छोड़ना पड़ा था. जिसके बाद अभी तक पीड़ित परिवार को न्याय नहीं मिला. पीड़ित का आरोप है कि गांव के दबंग उनकी बेटी के साथ आये दिन छेड़खानी करते थे. इस का विरोध किया तो उनके साथ मारपीट की, न्याय की आस लेकर पुलिस के पास गए तो उन्होंने भी 5-6 दिन निकाल दिए और दबाव में कोई कर्रवाई नहीं की. आरोपियों की हिम्मत और बढ़ने लगी तो उन्हें परिवार सहित गांव छोड़ना पड़ा.

पढ़ें- गहलोत सरकार का संवेदनशील निर्णय, इलाज के लिए मुंबई जाने वालों को राजस्थान भवन में रियायती दरों पर मिलेगी आवास सुविधा

दूसरे गांव में किसी की शरण में पीड़ित परिवार
वहीं पीड़ित परिवार से मिली जानकारी के मुताबिक उनका परिवार पिछले एक साल से दूसरे गांव में किसी की मदद से रह रहा है. ऐसा नहीं है कि पीड़ित ने इसकी शिकायत उच्च अधिकारियों से नहीं. पीड़ित अपने परिवार को लेकर हर उस चौखट पर गया. जहां पर उसे न्याय की आस थी. पुलिस की छोटे से लेकर बड़े अधिकारी तक उसने गुहार लगाई. लेकिन किसी ने उसकी मदद नहीं की न्याय से आज टूटने के बाद अब पीड़ित परिवार इच्छा मृत्यु की मांग कर रहा है.

पढ़ें- स्पेशल रिपोर्ट: डेंगू जैसी जानलेवा बीमारी पर असमंजस की स्थिति, चिकित्सा मुख्यालय और SMS अस्पताल की अगल-अलग रिपोर्ट

बच्चों की पढ़ाई ठप, भूखे मरने तक की आई नौबत
इधर, गांव छुटने की स्थिति में तीनों बच्चों की पढ़ाई तक ठप हो गई है. परिवार को खाने के लाले पड़ रहे है. आलम ये है कि भूखे मरने की नौबत तक आ गई है. ऐसे में बड़ा सवाल ये कि सूबे की गहलोत सरकार पीड़ितों के न्याय के दावे करती है, लेकिन किस तरह से पीड़ितों को न्याय नहीं मिलने की स्थिति में इच्छा मृत्यु मांगनी करनी पड़ रही है.

जयपुर. राजस्थान की गहलोत सरकार भले ही सुशासन का दावा करती हो, लेकिन अभी कई जिलों में दबंगों का दबंगई इस कदर से है कि पीड़ितों को न्याय नही मिल पा रहा है और उन्हें गांव तक छोड़ना पड़ रहा है. ऐसा ही एक मामला सामने आया जयपुर सचिवालय में. जहां दबंगों की दबंगई से तंग आकर भरतपुर जिले के एक परिवार ने न्याय नहीं मिलने की आस के बाद इच्छा मृत्यु की मांग की.

राजस्थान के इस परिवार ने लगाई गुहार...इंसाफ दो या इच्छामृत्यु

पीड़ित परिवार हाथों में इच्छामृत्यु की तख्तियां लेकर शासन सचिवालय के बाहर खड़ा हो गया. जानकारी के मुताबिक गांव में दबंगों की दबंगई से तंग आकर इस परिवार को एक साल पहले गांव छोड़ना पड़ा. डेढ़ साल से न्याय की लड़ाई लड़ रहा पीड़ित अब परिवार के साथ सचिवालय के बाहर खड़ा है.

एक साल पहले छोड़ा गांव, अब इच्छा मृत्यु की मांग
बता दें कि एक साल पहले गांव के दबंगों की दबंगई से तंग आकर घर छोड़ना पड़ा था. जिसके बाद अभी तक पीड़ित परिवार को न्याय नहीं मिला. पीड़ित का आरोप है कि गांव के दबंग उनकी बेटी के साथ आये दिन छेड़खानी करते थे. इस का विरोध किया तो उनके साथ मारपीट की, न्याय की आस लेकर पुलिस के पास गए तो उन्होंने भी 5-6 दिन निकाल दिए और दबाव में कोई कर्रवाई नहीं की. आरोपियों की हिम्मत और बढ़ने लगी तो उन्हें परिवार सहित गांव छोड़ना पड़ा.

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दूसरे गांव में किसी की शरण में पीड़ित परिवार
वहीं पीड़ित परिवार से मिली जानकारी के मुताबिक उनका परिवार पिछले एक साल से दूसरे गांव में किसी की मदद से रह रहा है. ऐसा नहीं है कि पीड़ित ने इसकी शिकायत उच्च अधिकारियों से नहीं. पीड़ित अपने परिवार को लेकर हर उस चौखट पर गया. जहां पर उसे न्याय की आस थी. पुलिस की छोटे से लेकर बड़े अधिकारी तक उसने गुहार लगाई. लेकिन किसी ने उसकी मदद नहीं की न्याय से आज टूटने के बाद अब पीड़ित परिवार इच्छा मृत्यु की मांग कर रहा है.

पढ़ें- स्पेशल रिपोर्ट: डेंगू जैसी जानलेवा बीमारी पर असमंजस की स्थिति, चिकित्सा मुख्यालय और SMS अस्पताल की अगल-अलग रिपोर्ट

बच्चों की पढ़ाई ठप, भूखे मरने तक की आई नौबत
इधर, गांव छुटने की स्थिति में तीनों बच्चों की पढ़ाई तक ठप हो गई है. परिवार को खाने के लाले पड़ रहे है. आलम ये है कि भूखे मरने की नौबत तक आ गई है. ऐसे में बड़ा सवाल ये कि सूबे की गहलोत सरकार पीड़ितों के न्याय के दावे करती है, लेकिन किस तरह से पीड़ितों को न्याय नहीं मिलने की स्थिति में इच्छा मृत्यु मांगनी करनी पड़ रही है.

Intro:
जयपुर

न्याय की टूटी आस , पीड़ित परिवार ने मांगी इच्छा मृत्यु

एंकर:- राजस्थान की गहलोत सरकार भले ही सुशासन का दावा करती हो लेकिन अभी कई जिलों में दबंगों का दबंगई इस कदर से है कि पीड़ितों को न्याय नही मिल पा रहा है , और उन्हें गांव तक छोड़ना पड़ रहा है , ऐसा ही एक मामला सामने आया जयपुर सचिवाल में जहां दबंगों की दबाई से तंग आकर एक भरतपुर जिले के सेऊपुरा मजरा गांव के एक परिवार ने न्याय नही मिलने की आस के बाद इच्छा मृत्यु की मांग की ।

VO:1:- चहरे पर निराशा के भाव ... आंखों में आंसू ... और हाथों में इच्छा मृत्यु की अर्जी लिए शासन सचिवालय के बाहर खड़ा ये परिवार भरतपुर जिले के सेऊपुरा मजरा गांव का है , गांव में दबंगों की दबंगई से तंग आकर इस परिवार को एक साल गांव छोड़ना पड़ा , महाराज सिंह जाटव अपने परिवार के साथ सचिवालय के बाहर इस खड़े क्योंकि डेढ़ साल से वो न्याय की लड़ाई लड़ रहे है, एक साल पहले गांव के दबंगों की दबंगई से तंग आकर घर छोड़ना पड़ा ले अभी तक न्याय नही मिला , महाराज सिंह का आरोप है कि गांव के दबंग उनकी बेटी के साथ आये दिन छेडखानी करते , इस का विरोध किया तो उनके साथ मारपीट की , न्याय की आस लेकर पुलिस के पास गए तो उन्होंने भी 5-6 निकाल दिए और दबाव में कोई करवाई नही की , आरोपियों की हिम्मत और बढ़ने लगी तो उन्हें परिवार सहित गांव छोड़ना लड़ा ।

बाइट:-महाराजा सिंह जाटव - पीड़ित

VO:2:- महाराजा सिंह पिछले एक साल से दूसरे गांव में किसी की मदद से रह रहा है , ऐसा नही है कि महाराजा सिंह ने इसकी शिकायत उच्च अधिकारियों से नही की हो , पीड़ित अपने परिवार को लेकर हर उस चौखट पर गया जहां पर उसे न्याय की आस थी पुलिस की छोटे से लेकर बड़े अधिकारी तक उसने गुहार लगाई लेकिन किसी ने उसकी मदद नहीं की न्याय से आज टूटने के बाद अब पीड़ित परिवार इच्छा मृत्यु की मांग कर रहा है

बाइट:- महाराजा सिंह जाटव - पीड़ित

VO:3:- गांव छुटने की स्थिति में तीनों बच्चों की पढ़ाई तक ठप हो गई , खाने के लाले पड़ रहे है , आलम ये है कि बूखे मारने की नोबत आगई , ऐसे में बढ़ा सवाल ये कि सूबे की गहलोत सरकार पीड़ितों के न्याय के दावे करती है , लेकिन किस तरहं से पीड़ितों को न्याय नही मिलने की इस्थिति में इच्छा मृत्यु मांगनी पढ़ रही है ।
जयपुर से ईटीवी भारत के लिए जसवंत सिंह की रिपोर्ट


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Conclusion:
Last Updated : Oct 22, 2019, 6:06 PM IST
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