जयपुर. केंद्रीय वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय की ओर से 15 मई को गजट नोटिफिकेशन के जरिए दलहन के आयात पर लगे प्रतिबंधों को हटाने का निर्णय लिया गया, जिसका अब भारतीय किसान संघ ने भी पुरजोर विरोध किया है. संघ के महामंत्री बद्रीनारायण ने केंद्र सरकार के इस निर्णय को दलहन उत्पादक किसानों के खिलाफ बताया और यह भी कहा कि सभी जिम्मेदार लोग दलहन और तिलहन में देश को आत्मनिर्भर बनाने की घोषणा तो करते हैं लेकिन समय आने पर उचित निर्णय लेते नहीं दिखते.
भारतीय किसान संघ के महामंत्री बद्रीनारायण बुधवार को वर्चुअल रूप से पत्रकारों से मुखातिब हुए और इस दौरान उन्होंने कहा कि जिस तरह वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय ने मूंग, उड़द और तूर के आयात पर लगे प्रतिबंध हटाए उसके बाद खरीफ की फसल में देश का किसान इन दलहनों की बुवाई नहीं करेगा, क्योंकि आयातित दालों के कारण उन्हें इसका पूरा मूल्य नहीं मिलेगा. संघ ने केंद्र सरकार से इस निर्णय पर पुनर्विचार करने का आग्रह किया है.
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संघ महामंत्री ने पत्रकार वार्ता के दौरान रसायनिक खाद की दरों में डेढ़ गुना वृद्धि का मामला भी उठाया और कहा कि इफको की ओर से साल 2021 में बारिश के लगते ही डीएपी की दर ₹1200 प्रति 50 किलो से 1900 रुपए की जा चुकी है. वहीं, मई महीने में नई दरों के साथ बिक्री शुरू हो चुकी है. बद्रीनारायण ने कहा कि किसानों में भांति पैदा हुई है क्योंकि उर्वरक मंत्रालय ने घोषणा की है. अभी ऐसे समय में निर्माता कंपनियां बढ़ी दरों पर नहीं बेच सकतीं, जबकि बाजार में नई दरों पर ही डीलर बेचने के लिए बैठे हैं.
संघ ने केंद्र सरकार से इस मामले में स्पष्ट घोषणा कर आवश्यक दिशा निर्देश जारी करने की भी मांग की है. वहीं, केसीसी कार्ड धारक किसानों को समय पर पुनर भुगतान करने पर मिलने वाले 3% ब्याज अनुदान की छूट को लेकर संघ महामंत्री ने कहा कि वर्तमान में अप्रैल 2020 से ही देश में असामान्य स्थिति कोरोना के कारण उत्पन्न हो गई है, ऐसे में किसानों के पुनर भुगतान की अवधि बढ़ाने के लिए भी दिशा निर्देश प्रदान किए जाएं. केसीसी कार्ड धारक किसान की कोरोना से मृत्यु होने की स्थिति में उसे केसीसी ऋण से मुक्त करने के निर्देश भी सरकार जारी करे.