जयपुर. राजस्थान में निकाय चुनाव संपन्न हो चुके हैं. 90 निकायों में से कांग्रेस ने 48 और बीजेपी ने 37 निकायों में अपना बोर्ड बनाया है. अब कांग्रेस और भाजपा की नजरें उपचुनावों पर हैं. 4 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होने हैं. जिनमें से 3 सीटें पहले कांग्रेस के पास थी. ऐसे में कांग्रेस के सामने उन तीनों सीटों को बचाने की चुनौती होगी. निकाय चुनाव में उपचुनाव वाली चार विधानसभाओं के 5 निकायों पर सबकी नजर थी. इन 5 निकायों में कांग्रेस को 2 में भाजपा को एक और 2 में निर्दलीय ने जीत दर्ज की है.
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ऐसे में अगर निकाय चुनावों के रूझानों को ध्यान में रखकर बात करें तो कांग्रेस का पलड़ा भाजपा से भारी नजर आ रहा है. सहाड़ा विधानसभा की गंगापुर नगर परिषद में कांग्रेस ने अपनी रणनीति से भाजपा को बड़ा झटका दिया है. क्योंकि गंगापुर में भाजपा को पूर्ण बहुमत मिला था. बावजूद इसके कांग्रेस ने निर्दलीय को साथ लेकर भाजपा के खेमे में सेंध लगा दी और निर्दलीय उम्मीदवार को निकाय प्रमुख बनवा दिया. ऐसे में जहां भाजपा उपचुनाव वाले क्षेत्रों में दो निकाय प्रमुख बना सकती थी वहां उसे एक से ही संतुष्ट होना पड़ा.
सुजानगढ़ विधानसभा में कांटे की टक्कर
पूर्व कांग्रेसी मंत्री मास्टर भंवरलाल मेघवाल के निधन के चलते सुजानगढ़ सीट खाली हुई है. सुजानगढ़ में सुजानगढ़ नगर नगर परिषद और बिदासर नगर पालिका में चुनाव थे. सुजानगढ़ नगर परिषद में तो कांग्रेस ने अपना सभापति बना लिया. लेकिन बिदासर नगर पालिका में भाजपा ने बाजी मारी. सुजानगढ़ और बिदासर दोनों ही जगह भाजपा और कांग्रेस को स्पष्ट बहुमत नहीं मिला. यहां दोनों पार्टियों को निर्दलीय की तरफ देखना पड़ा. ऐसे में सुजानगढ़ विधानसभा उपचुनाव में दोनों पार्टियों के बीच कांटे की टक्कर है.
सहाड़ा विधानसभा का क्या है मिजाज
सहाड़ा से कांग्रेस विधायक कैलाश त्रिवेदी के निधन के बाद ये सीट खाली हुई थी. निकाय चुनाव में सहाड़ा विधानसभा के अंतर्गत गंगापुर नगर पालिका में चुनाव थे. यहां भाजपा को पूर्ण बहुमत मिला. लेकिन कांग्रेस ने रणनीतिक सूझबूझ दिखाते हुए भाजपा के खेमे में सेंध लगा दी और कांग्रेस समर्थित निर्दलीय प्रत्याशी को चुनाव में जीत मिल गई. गंगापुर में जिस तरीके से भाजपा को पूर्ण बहुमत मिलने के बाद भी हार का सामना करना पड़ा है यह भाजपा के लिए किसी झटके से कम नहीं है. लेकिन जनता ने वोट ना देकर कांग्रेस को नकारा है जो पार्टी के लिए अच्छी खबर नहीं है.
वल्लभनगर विधानसभा में कांग्रेस-भाजपा को थर्ड फ्रंड की चुनौती
सचिन पायलट के करीबी विधायक गजेंद्र सिंह शक्तावत के निधन के बाद यह सीट खाली हुई थी. वल्लभनगर विधानसभा सीट के अंतर्गत निकाय चुनावों में भिंडर नगर पालिका में चुनाव थे. जिनमें जनता ने कांग्रेस और भाजपा दोनों को नकार दिया और निर्दलीय को सत्ता की चाबी सौंप दी. अब कांग्रेस और भाजपा दोनों ही पार्टियों के लिए वल्लभनगर का उपचुनाव टेढ़ी खीर साबित होता दिखाई दे रहा है, क्योंकि वल्लभनगर में जनता सेना का जो प्रभाव है वह किसी से अछूता नहीं है. दोनों पार्टियों का मुकाबला जनता सेना से ही होगा.
राजसमंद विधानसभा में भाजपा के गढ़ को चुनौती
राजसमंद विधानसभा सीट पर भाजपा विधायक किरण माहेश्वरी के निधन के चलते उपचुनाव हो रहे हैं. यहां निकाय चुनावों में राजसमंद नगर परिषद में भाजपा के पक्ष में माहौल बताया जा रहा था लेकिन यहां कांग्रेस ने पूर्ण बहुमत लाकर सभी को चौंका दिया है. राजसमंद सीट को भाजपा का गढ़ माना जाता है. ऐसे में यहां भाजपा के लिए अपना गढ़ बचाना बड़ी चुनौती होगी. लेकिन कांग्रेस के लिए ये सीट भाजपा से छिनना उतना भी आसान नजर नहीं आ रहा है.
जिन चार विधानसभाओं में उपचुनाव होने वाले हैं. उनके अंतर्गत आने वाली निकायो में चौंकाने वाले परिणाम आए हैं. जनता ने 4 विधानसभाओं के 5 निकायों में से 4 निकायों में निर्दलीय को सत्ता की चाबी सौंपी है. हालांकि निकाय अध्यक्ष के चुनाव में सुजानगढ़ विधानसभा में कांग्रेस और भाजपा ने एक-एक जगह निर्दलीय के सहारे अपना प्रमुख बना लिया. लेकिन वल्लभनगर की भिंडर और सहाड़ा की गंगापुर नगर पालिका में बोर्ड निर्दलीय का ही बना. ऐसे में निर्दलीय दोनों ही पार्टियों के लिए चुनौती बन कर उभरे हैं.