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हाईकोर्ट फैसला : नरेगा में तैनात संविदाकर्मियों को हटाने पर रोक, कोर्ट ने मांगा जवाब - राजस्थान हाईकोर्ट

याचिकाकर्ता पिछले 10 साल से नरेगा में संविदा पर तैनात हैं. सोकलिया ग्राम पंचायत के तहत हुए निर्माण कार्य में अनियमिता को लेकर एसीबी में शिकायत दी गई थी. जिसे एसीबी ने प्रमाणित नहीं माना.

संविदाकर्मियों को हटाने पर रोक
संविदाकर्मियों को हटाने पर रोक
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Published : Sep 3, 2021, 6:53 PM IST

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने अजमेर के सोकलिया और भिनाय ग्राम पंचायत में नरेगा के तहत जेटीए पद पर तैनात संविदा कर्मियों को हटाने पर रोक लगा दी है. इसके साथ ही अदालत ने एसीएस ग्रामीण विकास, नरेगा आयुक्त और अजमेर कलेक्टर सहित अन्य से जवाब मांगा है.

न्यायाधीश अरुण भंसाली ने यह आदेश विपिन अरोड़ा व अन्य की याचिका पर दिए. याचिका में अधिवक्ता हनुमान चौधरी और अधिवक्ता तरूण चौधरी ने अदालत को बताया कि याचिकाकर्ता पिछले 10 साल से नरेगा में संविदा पर तैनात हैं. सोकलिया ग्राम पंचायत के तहत हुए निर्माण कार्य में अनियमिता को लेकर एसीबी में शिकायत दी गई थी.

पढ़ें- सहकारिता अधिकरण में सदस्य नियुक्त करने पर लगी रोक कोर्ट ने हटाई

जिसे एसीबी ने प्रमाणित नहीं माना. वहीं समान तथ्यों के आधार पर सराना थाने में मामला दर्ज कराया गया. जिसके चलते याचिकाकर्ताओं को गिरफ्तार किया गया और स्थानीय कलेक्टर ने गत 25 अगस्त को याचिकाकर्ताओं को सेवा से हटा दिया.

याचिका में कहा गया कि एफआईआर में उनका नाम नहीं है. इसके अलावा कलेक्टर ने याचिकाकर्ताओं का पक्ष सुने बिना बर्खास्त किया है. जिस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने बर्खास्तगी आदेश पर रोक लगाते हुए संबंधित अधिकारियों से जवाब तलब किया है.

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने अजमेर के सोकलिया और भिनाय ग्राम पंचायत में नरेगा के तहत जेटीए पद पर तैनात संविदा कर्मियों को हटाने पर रोक लगा दी है. इसके साथ ही अदालत ने एसीएस ग्रामीण विकास, नरेगा आयुक्त और अजमेर कलेक्टर सहित अन्य से जवाब मांगा है.

न्यायाधीश अरुण भंसाली ने यह आदेश विपिन अरोड़ा व अन्य की याचिका पर दिए. याचिका में अधिवक्ता हनुमान चौधरी और अधिवक्ता तरूण चौधरी ने अदालत को बताया कि याचिकाकर्ता पिछले 10 साल से नरेगा में संविदा पर तैनात हैं. सोकलिया ग्राम पंचायत के तहत हुए निर्माण कार्य में अनियमिता को लेकर एसीबी में शिकायत दी गई थी.

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जिसे एसीबी ने प्रमाणित नहीं माना. वहीं समान तथ्यों के आधार पर सराना थाने में मामला दर्ज कराया गया. जिसके चलते याचिकाकर्ताओं को गिरफ्तार किया गया और स्थानीय कलेक्टर ने गत 25 अगस्त को याचिकाकर्ताओं को सेवा से हटा दिया.

याचिका में कहा गया कि एफआईआर में उनका नाम नहीं है. इसके अलावा कलेक्टर ने याचिकाकर्ताओं का पक्ष सुने बिना बर्खास्त किया है. जिस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने बर्खास्तगी आदेश पर रोक लगाते हुए संबंधित अधिकारियों से जवाब तलब किया है.

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