जयपुर. राजस्थान सिविल सेवा अपीलीय अधिकरण ने शिक्षक की सेवानिवृत्ति से सात माह पहले किए गए तबादला आदेश की क्रियान्विति पर रोक लगा दी है. इसके साथ ही अधिकरण ने प्रमुख शिक्षा सचिव और शिक्षा निदेशक सहित अन्य को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है. अधिकरण ने यह आदेश रघुवीर सिंह की अपील पर दिए.
अपील में अधिवक्ता रामप्रताप सैनी ने अधिकरण को बताया कि अपीलार्थी झुंझुनूं जिले में स्थित स्कूल में प्रधानाचार्य के पद पर तैनात है. राज्य सरकार ने गत 4 जनवरी को उसका तबादला बाडमेर में कर दिया. अपील में कहा गया कि सिविल सेवा पेंशन नियम, 1996 के नियम अस्सी के तहत सेवानिवृत्ति से दो साल की अवधि में कर्मचारी अपने सेवानिवृत्त परिलाभों के लिए दस्तावेज तैयार करता है.
ऐसे में इस दौरान उसका तबादला नहीं किया जा सकता. इसके साथ ही हाईकोर्ट भी 21 अक्टूबर 2016 को आदेश जारी कर एक साल से कम की अवधि में तबादले को गलत बता चुका है. अपीलार्थी की सेवानिवृत्ति में सिर्फ सात माह का समय ही बचा है. इसके बावजूद भी उसका विधि विरूद्ध तरीके से तबादला किया गया है. जिस पर सुनवाई करते हुए अधिकरण ने तबादला आदेश की क्रियान्विति पर रोक लगाते हुए संबंधित अधिकारियों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है.
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हाईवे कंपनी से रिश्वत का मामला
एसीबी मामलों की विशेष अदालत ने हाईवे कंपनी से रिश्वत के मामले में गवाह के 164 के बयान सार्वजनिक करने को लेकर एसीबी से 12 फरवरी तक रिपोर्ट तलब की है. अदालत ने यह आदेश न्यायिक अभिरक्षा में चल रहे दौसा के तत्कालीन एसपी मनीष अग्रवाल के प्रार्थना पत्र पर दिए.
आरोपी एसपी की ओर से अधिवक्ता विपुल शर्मा ने प्रार्थना पत्र पेश कर कहा कि पिछले 28 जनवरी को गवाह बलजीत सिंह के मजिस्ट्रेट के समक्ष बयान दर्ज हुए थे. जिन्हें लिफाफे में बंद कर एसीबी कोर्ट में भेजा गया. वहीं एक कॉपी जांच अधिकारी को दी गई थी. प्रार्थना पत्र में कहा गया कि गत दिनों एक मीडिया हाऊस ने इन लेखबद्ध बयानों के हुबहु समान बताकर इस गवाह के बयान प्रकाशित किए गए हैं.