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आदिबद्री और कनकांचल क्षेत्र में समस्त खनन गतिविधियों पर रोक, क्षेत्र की राजकीय भूमि वन विभाग को हस्तातंरित- CM गहलोत - कनकांचल क्षेत्र में समस्त खनन पर रोक

मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने रविवार को मुख्यमंत्री आवास पर साधु, महंत, जनप्रतिनिधि तथा ग्रामीणों के प्रतिनिधिमंडलों से मुलाकात की. उन्होंने महंत विजयदास के निधन पर संवेदना व्यक्त की और उनकी सभी मांगों को पूरा करने का (legal mining near religious places will be stopped) आश्वासन दिया.

सीएम अशोक गहलोत ने की साधू, महंत आदि से की मुलाकात
सीएम अशोक गहलोत ने की साधू, महंत आदि से की मुलाकात
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Published : Aug 1, 2022, 11:50 AM IST

जयपुर. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने रविवार को मुख्यमंत्री आवास पर भरतपुर के पसोपा और आस-पास के गांवों से आए साधु, महंत, जनप्रतिनिधि तथा ग्रामीणों के प्रतिनिधिमंडलों से मुलाकात (CM Gehlot met sage saints and mahants ) की. इस दौरान उन्होंने महंत विजयदास के निधन पर संवेदना व्यक्त करते हुए उनकी सभी मांगों को पूरा करने का आश्वासन दिया. गहलोत ने कहा कि साधुओं की मांग को ध्यान में रखते हुए धार्मिक महत्व वाले क्षेत्रों में चल रहे खनन को प्रतिबंधित करने के लिए सरकार की ओर से पहले ही सैद्धांतिक सहमति दी जा चुकी है.

वैध खनन की गतिविधियों पर रोक: गहलोत ने कहा कि प्रदेश सरकार की ओर से उक्त क्षेत्र में चल रही वैध खनन की गतिविधियों को बंद कराने के निर्देश दिए जा चुके हैं. इस भूमि को वन विभाग को हस्तातंरित कर दिया गया है. पूर्व में भी संतों की मांग पर सरकार ने क्षेत्र में चल रही वैध खानों को बंद करवाया था. वर्तमान में 46 वैध खानों को बंद कराने और अन्यत्र स्थानान्तरित करने का कार्य किया जा रहा है.साधु-संतों ने बातचीत में स्वीकार किया कि यह एक जटिल प्रक्रिया है. ऐसे में उन्होंने इसे दो महीने में पूरा करवाने की मांग की है. इस पर सरकार ने समयसीमा में सकारात्मक कार्रवाई का आश्वासन (legal mining near religious places will be stopped) दिया.

पढ़ें. Age limit Relaxation : भर्ती पारीक्षाओं में आयु सीमा में 2 साल की छूट, कोविड काल को ध्यान में रखते हुए दी राहत

कई मांगें की गईं स्वीकार: मुख्यमंत्री गहलोत ने कहा कि क्षेत्र के ग्रामीण जिनकी आजीविका खानों पर (legal mining near religious places will be stopped) निर्भर थी, उनकी समझाईश करने में भी समय लगता है. लेकिन फिर भी कार्य तेजी से आगे बढ़ा है. उन्होंने कहा कि स्थानीय लोगों की ओर से जिला प्रशासन को दी गई मांगों में से डीग-सीकरी मार्ग से पशुपति नाथ मंदिर तक सड़क निर्माण, दिवंगत महंत विजयदास के नाम से द्वार का निर्माण और पशुपति नाथ मंदिर पहाड़ के ऊपर हाईमास्ट लाईट लगाने की मांगें स्वीकार कर ली गईं हैं. ऐसें में पशुपति नाथ मंदिर के भव्य निर्माण और बिजलीघर स्वीकृत करने पर भी तेजी से कार्य किया जा रहा है.

विकास के 84 कार्यों की पहचान: इस संबंध में पर्यटन मंत्री विश्वेंद्र सिंह ने बताया कि पर्यटन व देवस्थान विभाग की टीमों ने आदिबद्री, कनकांचल आदि क्षेत्रों का दौरा कर विकास के 84 कार्यों की पहचान की है. इनमें मुख्य रूप से आदिबद्री धाम में यात्री सुविधाओं का विकास, छत्री निर्माण, गौरी कुण्ड का जीर्णोद्धार, यात्रियों के लिए आरामगृह आदि का कार्य शामिल है. इन कार्यों के लिए सर्वे किया जा चुका है और जल्द इनको पूरा करवाया जाएगा.

धरना खत्म होते ही कई कार्यों को मिली गई थी स्वीकृति: इससे पूर्व आदिबद्री धाम के महंत शिवराम दास जी और पशुपति नाथ मंदिर के नवनियुक्त महंत भूरा बाबा ने धरना समाप्ति के तुरन्त बाद खनन क्षेत्र को वन क्षेत्र में परिवर्तित करने के आदेश पारित करने के लिए मुख्यमंत्री को धन्यवाद दिया. प्रतिनिधिमंडल के सदस्यों ने बताया कि राज्य सरकार के निर्देश से धरना समाप्ति के तुरन्त बाद ही प्रशासन ने पसोपा और आस-पास के क्षेत्र में सड़क एवं स्वागत द्वार के निर्माण कार्याें हेतु स्वीकृति जारी कर दी है. प्रतिनिधिमंडल ने भरतपुर के पसोपा में बृज क्षेत्र के पर्वतों की रक्षा करने और विभिन्न विकास कार्यों के लिए अपनी मांगें मुख्यमंत्री के समक्ष रखी. इसमें मुख्य रूप से क्षेत्र में पर्यटन एवं विकास की संभावनाओं से संबंधित मांगें शामिल थीं.

जयपुर. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने रविवार को मुख्यमंत्री आवास पर भरतपुर के पसोपा और आस-पास के गांवों से आए साधु, महंत, जनप्रतिनिधि तथा ग्रामीणों के प्रतिनिधिमंडलों से मुलाकात (CM Gehlot met sage saints and mahants ) की. इस दौरान उन्होंने महंत विजयदास के निधन पर संवेदना व्यक्त करते हुए उनकी सभी मांगों को पूरा करने का आश्वासन दिया. गहलोत ने कहा कि साधुओं की मांग को ध्यान में रखते हुए धार्मिक महत्व वाले क्षेत्रों में चल रहे खनन को प्रतिबंधित करने के लिए सरकार की ओर से पहले ही सैद्धांतिक सहमति दी जा चुकी है.

वैध खनन की गतिविधियों पर रोक: गहलोत ने कहा कि प्रदेश सरकार की ओर से उक्त क्षेत्र में चल रही वैध खनन की गतिविधियों को बंद कराने के निर्देश दिए जा चुके हैं. इस भूमि को वन विभाग को हस्तातंरित कर दिया गया है. पूर्व में भी संतों की मांग पर सरकार ने क्षेत्र में चल रही वैध खानों को बंद करवाया था. वर्तमान में 46 वैध खानों को बंद कराने और अन्यत्र स्थानान्तरित करने का कार्य किया जा रहा है.साधु-संतों ने बातचीत में स्वीकार किया कि यह एक जटिल प्रक्रिया है. ऐसे में उन्होंने इसे दो महीने में पूरा करवाने की मांग की है. इस पर सरकार ने समयसीमा में सकारात्मक कार्रवाई का आश्वासन (legal mining near religious places will be stopped) दिया.

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कई मांगें की गईं स्वीकार: मुख्यमंत्री गहलोत ने कहा कि क्षेत्र के ग्रामीण जिनकी आजीविका खानों पर (legal mining near religious places will be stopped) निर्भर थी, उनकी समझाईश करने में भी समय लगता है. लेकिन फिर भी कार्य तेजी से आगे बढ़ा है. उन्होंने कहा कि स्थानीय लोगों की ओर से जिला प्रशासन को दी गई मांगों में से डीग-सीकरी मार्ग से पशुपति नाथ मंदिर तक सड़क निर्माण, दिवंगत महंत विजयदास के नाम से द्वार का निर्माण और पशुपति नाथ मंदिर पहाड़ के ऊपर हाईमास्ट लाईट लगाने की मांगें स्वीकार कर ली गईं हैं. ऐसें में पशुपति नाथ मंदिर के भव्य निर्माण और बिजलीघर स्वीकृत करने पर भी तेजी से कार्य किया जा रहा है.

विकास के 84 कार्यों की पहचान: इस संबंध में पर्यटन मंत्री विश्वेंद्र सिंह ने बताया कि पर्यटन व देवस्थान विभाग की टीमों ने आदिबद्री, कनकांचल आदि क्षेत्रों का दौरा कर विकास के 84 कार्यों की पहचान की है. इनमें मुख्य रूप से आदिबद्री धाम में यात्री सुविधाओं का विकास, छत्री निर्माण, गौरी कुण्ड का जीर्णोद्धार, यात्रियों के लिए आरामगृह आदि का कार्य शामिल है. इन कार्यों के लिए सर्वे किया जा चुका है और जल्द इनको पूरा करवाया जाएगा.

धरना खत्म होते ही कई कार्यों को मिली गई थी स्वीकृति: इससे पूर्व आदिबद्री धाम के महंत शिवराम दास जी और पशुपति नाथ मंदिर के नवनियुक्त महंत भूरा बाबा ने धरना समाप्ति के तुरन्त बाद खनन क्षेत्र को वन क्षेत्र में परिवर्तित करने के आदेश पारित करने के लिए मुख्यमंत्री को धन्यवाद दिया. प्रतिनिधिमंडल के सदस्यों ने बताया कि राज्य सरकार के निर्देश से धरना समाप्ति के तुरन्त बाद ही प्रशासन ने पसोपा और आस-पास के क्षेत्र में सड़क एवं स्वागत द्वार के निर्माण कार्याें हेतु स्वीकृति जारी कर दी है. प्रतिनिधिमंडल ने भरतपुर के पसोपा में बृज क्षेत्र के पर्वतों की रक्षा करने और विभिन्न विकास कार्यों के लिए अपनी मांगें मुख्यमंत्री के समक्ष रखी. इसमें मुख्य रूप से क्षेत्र में पर्यटन एवं विकास की संभावनाओं से संबंधित मांगें शामिल थीं.

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