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Corona Effect: लॉकडाउन में परेशान खेतिहर मजदूर, तंगहाल हुई जिंदगी

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Published : Apr 6, 2020, 1:38 PM IST

ऑल इंडिया लॉकडाउन का सबसे अधिक प्रभाव अगर किसी पर पड़ा है तो वो है देश के अन्नदाता और दिहाड़ी मजदूर. ये मजदूर रोज कमाने और खाने का काम करते हैं. लेकिन लॉकडाउन की वजह से इनको अब काम मिलना बंद हो गया है, तो इन्होंने खेतों में काम करना शुरू कर दिया है. लेकिन अब इनकी कमाई उतनी नहीं हो पाती है, जितनी की पहले हुआ करती थी ईटीवी भारत ने जयपुर के खेतों में जाकर इन खेतिहर मजदूरों की स्थिति जानी.

farmers bad condition, किसानों की बुरी स्थिति, दिहाड़ी मजदूरों की खबर, Daily wage labours new
खेतों में लावणी का काम करती महिला

जयपुर. कोरोना वायरस महामारी से बचाव के लिए पीएम मोदी ने 25 मार्च से लॉकडाउन की घोषणा कर दी. लेकिन अचानक लगाया गए इस लॉकडाउन ने पूरे देश को उलट-पलट कर रख दिया. सबसे ज्यादा अगर किसी पर इसका असर हो रहा है तो वे हैं देश के किसान और दिहाड़ी मजदूर. इन मजदूरों को अब खाने तक के लाले पड़ गए हैं. ऐसे ही कुछ मजदूरों की स्थिति जानने ईटीवी भारत की टीम शहर से सटे श्री किशनपुरा गांव पहुंची. जहां लावणी करते हुए किसान यानी फसल काट रहे खेतिहर मजदूरों से हमने बातचीत की.

लॉकडाउन में परेशान खेतीहर मजदूर

घर का खर्च चलाना हुआ मुश्किल

दिहाड़ी मजदूरों के मुताबिक बाहर काम मिलना बंद क्या हुआ. उन्हें औने-पौने दाम पर खेतों में आकर काम करना पड़ रहा है. इन मजदूरों के मुताबिक उन्हें रोजाना 500 रुपए मिल जाया करते थे. लेकिन अब खेतों में महज 250 से 300 रुपए ही मिल पाता है. ऐसे में हर दिन घर का खर्च चलाना भी मुश्किल हो गया है. यहां पर सरकार की ओर से खाने की व्यवस्था कराने के सारे वादे झूठे साबित हो रहे हैं.

farmers bad condition, किसानों की बुरी स्थिति, दिहाड़ी मजदूरों की खबर, Daily wage labours new
खेतों में लावणी का काम करती महिला

नहीं मिल रही कोई सरकारी सुविधा

दिहाड़ी मजदूरों के मुताबिक शहर में ना जाने कितने स्कीमों की बात सरकार करती है. लेकिन हम तक ऐसी कोई भी सुविधा नहीं पहुंच रही है. ना तो यहां अभी तक कोई उनके हालात जानने पहुंचा है और ना ही उन तक कोई राशन पहुंचानें वाला आया.

यह भी पढ़ें : लॉक डाउन: जयपुर में दुकानों और मंडियों में अभी भी जनता की भीड़ उमड़ रही

इन मजदूरों के मुताबिक उन्हें यह भी पता नहीं है कि लॉकडाउन कब तक चलेगा और उन पर कब तक तंगहाली के बादल मंडराते रहेंगे. उस पर पशोपेश यह भी है इस कल को अगर फाकाकशी के हालात हुए, तो क्या किसी रहनुमा की उन पर नजर पड़ेगी. खेतिहर मजदूरों की ख्वाहिश यही है कि जल्द से जल्द सबकी बेहतर सेहत के साथ हालात पटरी पर लौट आए, तो उनके अच्छे दिनों की तस्वीर साकार होगी.

नहीं मिल रही कोई सरकारी सुविधा

कब छटेंगे संकट के बादल

लॉकडाउन की समय अवधि को लेकर कई तरह के विचारों के बीच इन किसानों के लिए यह सबसे बड़ा सवाल है कि कब बेहतर होकर तस्वीर पहले वाला रूप लेगी. कब मजदूरों को दैनिक काम मिलेगा और क्या बाजार पर कोई आर्थिक संकट के बादल होंगे या एक उजली तस्वीर भी सामने आएगी. फिलहाल सब एक होकर कोरोना के इस महा संकट से उबरने की कोशिश कर रहे हैं.

जयपुर. कोरोना वायरस महामारी से बचाव के लिए पीएम मोदी ने 25 मार्च से लॉकडाउन की घोषणा कर दी. लेकिन अचानक लगाया गए इस लॉकडाउन ने पूरे देश को उलट-पलट कर रख दिया. सबसे ज्यादा अगर किसी पर इसका असर हो रहा है तो वे हैं देश के किसान और दिहाड़ी मजदूर. इन मजदूरों को अब खाने तक के लाले पड़ गए हैं. ऐसे ही कुछ मजदूरों की स्थिति जानने ईटीवी भारत की टीम शहर से सटे श्री किशनपुरा गांव पहुंची. जहां लावणी करते हुए किसान यानी फसल काट रहे खेतिहर मजदूरों से हमने बातचीत की.

लॉकडाउन में परेशान खेतीहर मजदूर

घर का खर्च चलाना हुआ मुश्किल

दिहाड़ी मजदूरों के मुताबिक बाहर काम मिलना बंद क्या हुआ. उन्हें औने-पौने दाम पर खेतों में आकर काम करना पड़ रहा है. इन मजदूरों के मुताबिक उन्हें रोजाना 500 रुपए मिल जाया करते थे. लेकिन अब खेतों में महज 250 से 300 रुपए ही मिल पाता है. ऐसे में हर दिन घर का खर्च चलाना भी मुश्किल हो गया है. यहां पर सरकार की ओर से खाने की व्यवस्था कराने के सारे वादे झूठे साबित हो रहे हैं.

farmers bad condition, किसानों की बुरी स्थिति, दिहाड़ी मजदूरों की खबर, Daily wage labours new
खेतों में लावणी का काम करती महिला

नहीं मिल रही कोई सरकारी सुविधा

दिहाड़ी मजदूरों के मुताबिक शहर में ना जाने कितने स्कीमों की बात सरकार करती है. लेकिन हम तक ऐसी कोई भी सुविधा नहीं पहुंच रही है. ना तो यहां अभी तक कोई उनके हालात जानने पहुंचा है और ना ही उन तक कोई राशन पहुंचानें वाला आया.

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इन मजदूरों के मुताबिक उन्हें यह भी पता नहीं है कि लॉकडाउन कब तक चलेगा और उन पर कब तक तंगहाली के बादल मंडराते रहेंगे. उस पर पशोपेश यह भी है इस कल को अगर फाकाकशी के हालात हुए, तो क्या किसी रहनुमा की उन पर नजर पड़ेगी. खेतिहर मजदूरों की ख्वाहिश यही है कि जल्द से जल्द सबकी बेहतर सेहत के साथ हालात पटरी पर लौट आए, तो उनके अच्छे दिनों की तस्वीर साकार होगी.

नहीं मिल रही कोई सरकारी सुविधा

कब छटेंगे संकट के बादल

लॉकडाउन की समय अवधि को लेकर कई तरह के विचारों के बीच इन किसानों के लिए यह सबसे बड़ा सवाल है कि कब बेहतर होकर तस्वीर पहले वाला रूप लेगी. कब मजदूरों को दैनिक काम मिलेगा और क्या बाजार पर कोई आर्थिक संकट के बादल होंगे या एक उजली तस्वीर भी सामने आएगी. फिलहाल सब एक होकर कोरोना के इस महा संकट से उबरने की कोशिश कर रहे हैं.

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