जयपुर. नौकरी से निकालने का नोटिस मिलने के बाद संविदा पर लगे चिकित्साकर्मी चिंता में हैं और अपनी नौकरी बचाने के लिए जगह-जगह गुहार लगा रहे हैं. आयुष चिकित्सा कर्मियों ने गुरुवार को पानी पेच स्थित महाराव शेखा जी क्षेत्रीय आयुर्वेद अंतः स्त्रावी ग्रंथि विकार अनुसंधान संस्थान जयपुर के मेन गेट का रास्ता रोककर विरोध प्रदर्शन किया. उनकी मांग है कि उन्हें किसी अन्य प्रोजेक्ट में समायोजित कर दिया जाए, ताकि वे कम से कम अपने घर का खर्च ही उठा सकें.
प्रदेश में करीब 161 चिकित्साकर्मी आयुष कार्यक्रम एनपीसीडीसीएस में संविदाकर्मी के रूप में काम कर रहे हैं. इन सभी चिकित्सा कर्मियों को नोटिस दिया गया है कि 31 जुलाई शुक्रवार को सब को निकाला जा रहा है, क्योंकि यह प्रोजेक्ट बंद हो रहा है. जिसके बाद चिकित्सा कर्मियों ने भाजपा प्रदेश मुख्यालय में भी अपनी गुहार लगाई थी.
सतीश पूनिया ने लिखा था पत्र...
इसके बाद बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. सतीश पुनिया ने बुधवार को केंद्रीय स्वास्थ्य परिवार कल्याण मंत्री हर्षवर्धन सिंह को आयुष कार्यक्रम NPCDCS को जारी रखते हुए चिकित्सा कर्मियों को बनाए रखने और इन सब को एक राष्ट्रीय कार्यक्रम में समायोजित करने के संबंध में पत्र भी लिखा था. गुरुवार को यह सभी चिकित्साकर्मी पानीपेच स्थित आयुर्वेद अनुसंधान संस्थान पहुंचे और मेन गेट के पर बैठ गए और नारेबाजी कर जमकर प्रदर्शन किया. इस दौरान आयुर्वेद हॉस्पिटल में आने जाने वाले कर्मचारियों को परेशानी भी हुई.
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यूनियन अध्यक्ष डॉ. शुभांगी शर्मा ने कहा कि हम लोगों ने चार महीनों तक कोरोना में क्वॉरेंटाइन और चेक पोस्ट पर भी बड़ी मेहनत से काम किया है. जब नौकरी दी गई थी, तो आश्वासन दिया गया था कि नेशनल आयुष मिशन में शामिल किया जाएगा, ताकि नौकरी नियमित रूप बनी रह सके. शुभांगी शर्मा ने बताया कि पिछले 5 दिनों से इधर-उधर गुहार लगा रहे हैं.
मांग पूरी नहीं होने पर जाएंगे दिल्ली...
उन्होंने कहा कि महाराव शेखा जी क्षेत्रीय आयुर्वेद अंतः स्त्रावी ग्रंथि विकार अनुसंधान संस्थान से ही इस संबंध में सभी आर्डर जारी किए जाते हैं, उन्ही के अंडर में यह चिकित्साकर्मी काम करते हैं. उन्होंने कहा कि यदि हमारी मांग नहीं मानी जाती है, तो धरना प्रदर्शन जारी रहेगा, अनशन भी किया जाएगा. संभव हुआ तो दिल्ली जाकर भी अपना विरोध प्रदर्शन करेंगे.
शुभांगी शर्मा ने कहा कि एक और तो नरेंद्र मोदी आयुष को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाने की कोशिश कर रहे हैं. वहीं दूसरी ओर इसमे लगे चिकित्सा कर्मियों को नौकरी से निकाला जा रहा है.
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वहीं आयुर्वेद अनुसंधान संस्थान के प्रभारी एवं सहायक निदेशक डॉ. केके शर्मा ने बताया 2015 में इस कार्यक्रम को 5 साल के लिए शुरू किया गया था और इस कार्यक्रम को बढ़ाने से आयुष मंत्रालय ने इंकार कर दिया है. जो भी निर्णय लिया जाएगा वह आयुष मंत्रालय की ओर से ही लिया जाएगा. उन्होंने कहा कि प्रदेश में 23 सेंटरों पर यह कर्मचारी काम करते थे और एक सेंटर पर 7 कर्मचारी रहते थे.