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ऑटोमेटिक ड्राइविंग ट्रैक की योजना ठंडे बस्ते में, लाइसेंस के लिए अब भी अपनाया जा रहा पुराना ढर्रा - ऑटोमेटिक ड्राइविंग ट्रैक खत्म

जयपुर सहित प्रदेश के आरटीओ कार्यालय में लाइसेंस जारी करने में सालों पुराना ढर्रा अभी तक अपनाया जा रहा है. वहीं परिवहन विभाग द्वारा करीब 2 साल पहले चालू किया गया ऑटोमेटिक ड्राइविंग ट्रैक अब जगतपुरा एआरटीओ कार्यालय में केवल धूल फांक रहा है. ऐसे में वाहन चालकों को बिना ड्राइविंग अनुभव के ही लाइसेंस जारी किए जा रहे हैं.

ऑटोमेटिक ड्राइविंग ट्रैक योजना का नहीं हो रहा इस्तमाल, Automatic Driving Track Plan
ऑटोमेटिक ड्राइविंग ट्रैक योजना का नहीं हो रहा इस्तमाल
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Published : Oct 19, 2020, 4:08 PM IST

जयपुर. परिवहन विभाग द्वारा करीब 2 साल पहले चालू किया गया ऑटोमेटिक ड्राइविंग ट्रैक अब जगतपुरा एआरटीओ कार्यालय में केवल धूल फांक रहा है. संशोधित मोटर व्हीकल एक्ट लागू कर परिवहन विभाग ने वाहन चालकों के लिए सड़क पर नियम तो सख्त कर दिए, लेकिन अभी अनुभवी चालक तैयार करने में विभाग ही बैकफुट पर आ रहा है.

जयपुर सहित प्रदेश के आरटीओ कार्यालय में लाइसेंस जारी करने में सालों पुराना ढर्रा अभी तक अपनाया जा रहा है. ऐसे में वाहन चालकों को बिना ड्राइविंग अनुभव के ही लाइसेंस जारी किए जा रहे हैं. ड्राइविंग लाइसेंस जारी करने के लिए राजधानी जयपुर सहित प्रदेश के किसी भी आरटीओ कार्यालय के अंतर्गत ड्राइविंग ट्रैक का उपयोग नहीं किया जा रहा है.

जयपुर की बात की जाए, यहां आरटीओ कार्यालय में अलग-अलग प्रक्रिया अपनाई जा रही है. जगतपुरा आरटीओ कार्यालय में ट्रैक पर वाहन चालकों की ट्रायल कराई जाती है, लेकिन वहां पर अभी तक कंप्यूटर सिस्टम को चालू नहीं किया गया है. उसके बावजूद भी लाइसेंस जारी हो रहे हैं. विद्याधर नगर कार्यालय में बिना ट्रैक ही ट्रायल कराकर खानापूर्ति की जा रही है. ऐसे में यहां चालक की दक्षता का पता नहीं लग पा रहा है, लेकिन लाइसेंस जारी किए जा रहे हैं.

ऑटोमेटिक ट्रांसिस्टम शुरू हुआ था पारदर्शिता के लिए

बता दें कि जयपुर सहित प्रदेश के 12 आरटीओ कार्यालय में परिवहन विभाग में ऑटोमेटिक ट्रांसिस्टम शुरू किया था. इसमें से जयपुर के जगतपुरा कार्यालय सहित 12 आरटीओ कार्यालय में 2 करोड़ रुपए की लागत से ट्रैक तैयार किया गया, लेकिन निर्माण के 2 साल बाद भी ट्रैक को शुरू नहीं किया गया है. इसके पीछे का कारण यह रहा है, कि विभाग में निजी फर्म को ट्रैक अनुबंध पर दे दिया. इससे लाइसेंस की फीस में बढ़ोतरी होगी. विवादों में आने के बाद पूरी योजना को ठंडे बस्ते में डाल दिया गया. अगर यह योजना शुरू हो, तो लाइसेंस प्रक्रिया में पारदर्शिता आ सकती है.

कंप्यूटराइज सिस्टम से कैसे होगी ट्रायल

  • पहले टेस्ट में यातायात नियमों की पालना करते हुए 8 का अंक बनाना जरूरी
  • दूसरे टेस्ट में अंग्रेजी के H अक्षर की तरह गाड़ी चलानी पड़ेगी
  • तीसरे टेस्ट में गाड़ी पार्क करके दिखानी होगी
  • चौथे टेस्ट में गाड़ी चढ़ाते समय पीछे नहीं खिसकने चाहिए

ट्रैक की फाइल परिवहन मंत्री के पास

परिवहन विभाग से जुड़े सूत्र और वरिष्ठ अधिकारियों की मानें तो ट्रैक में आ रही समस्याओं को लेकर फाइल परिवहन मंत्री के पास भिजवा रखी है. ऐसे में परिवहन मंत्री के बाद फाइल को हरी झंडी मिलती है, तो जयपुर सहित प्रदेश के सभी 12 आरटीओ कार्यालय में दोबारा से ड्राइविंग ट्रक को शुरू किया जा सकता है.

जयपुर. परिवहन विभाग द्वारा करीब 2 साल पहले चालू किया गया ऑटोमेटिक ड्राइविंग ट्रैक अब जगतपुरा एआरटीओ कार्यालय में केवल धूल फांक रहा है. संशोधित मोटर व्हीकल एक्ट लागू कर परिवहन विभाग ने वाहन चालकों के लिए सड़क पर नियम तो सख्त कर दिए, लेकिन अभी अनुभवी चालक तैयार करने में विभाग ही बैकफुट पर आ रहा है.

जयपुर सहित प्रदेश के आरटीओ कार्यालय में लाइसेंस जारी करने में सालों पुराना ढर्रा अभी तक अपनाया जा रहा है. ऐसे में वाहन चालकों को बिना ड्राइविंग अनुभव के ही लाइसेंस जारी किए जा रहे हैं. ड्राइविंग लाइसेंस जारी करने के लिए राजधानी जयपुर सहित प्रदेश के किसी भी आरटीओ कार्यालय के अंतर्गत ड्राइविंग ट्रैक का उपयोग नहीं किया जा रहा है.

जयपुर की बात की जाए, यहां आरटीओ कार्यालय में अलग-अलग प्रक्रिया अपनाई जा रही है. जगतपुरा आरटीओ कार्यालय में ट्रैक पर वाहन चालकों की ट्रायल कराई जाती है, लेकिन वहां पर अभी तक कंप्यूटर सिस्टम को चालू नहीं किया गया है. उसके बावजूद भी लाइसेंस जारी हो रहे हैं. विद्याधर नगर कार्यालय में बिना ट्रैक ही ट्रायल कराकर खानापूर्ति की जा रही है. ऐसे में यहां चालक की दक्षता का पता नहीं लग पा रहा है, लेकिन लाइसेंस जारी किए जा रहे हैं.

ऑटोमेटिक ट्रांसिस्टम शुरू हुआ था पारदर्शिता के लिए

बता दें कि जयपुर सहित प्रदेश के 12 आरटीओ कार्यालय में परिवहन विभाग में ऑटोमेटिक ट्रांसिस्टम शुरू किया था. इसमें से जयपुर के जगतपुरा कार्यालय सहित 12 आरटीओ कार्यालय में 2 करोड़ रुपए की लागत से ट्रैक तैयार किया गया, लेकिन निर्माण के 2 साल बाद भी ट्रैक को शुरू नहीं किया गया है. इसके पीछे का कारण यह रहा है, कि विभाग में निजी फर्म को ट्रैक अनुबंध पर दे दिया. इससे लाइसेंस की फीस में बढ़ोतरी होगी. विवादों में आने के बाद पूरी योजना को ठंडे बस्ते में डाल दिया गया. अगर यह योजना शुरू हो, तो लाइसेंस प्रक्रिया में पारदर्शिता आ सकती है.

कंप्यूटराइज सिस्टम से कैसे होगी ट्रायल

  • पहले टेस्ट में यातायात नियमों की पालना करते हुए 8 का अंक बनाना जरूरी
  • दूसरे टेस्ट में अंग्रेजी के H अक्षर की तरह गाड़ी चलानी पड़ेगी
  • तीसरे टेस्ट में गाड़ी पार्क करके दिखानी होगी
  • चौथे टेस्ट में गाड़ी चढ़ाते समय पीछे नहीं खिसकने चाहिए

ट्रैक की फाइल परिवहन मंत्री के पास

परिवहन विभाग से जुड़े सूत्र और वरिष्ठ अधिकारियों की मानें तो ट्रैक में आ रही समस्याओं को लेकर फाइल परिवहन मंत्री के पास भिजवा रखी है. ऐसे में परिवहन मंत्री के बाद फाइल को हरी झंडी मिलती है, तो जयपुर सहित प्रदेश के सभी 12 आरटीओ कार्यालय में दोबारा से ड्राइविंग ट्रक को शुरू किया जा सकता है.

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