जयपुर. पहलू खां मॉब लिंचिंग मामले में राज्य सरकार और पीड़ित पक्ष की ओर से हाईकोर्ट में आपराधिक अपील पेश कर दी गई है. हाईकोर्ट संभवत: मामले में अगले सप्ताह सुनवाई करेगा. दोनों अपीलों में अलवर एडीजे क्रम-1 के उस आदेश को चुनौती दी गई है, जिसमें निचली अदालत ने प्रकरण में छह आरोपियों को बरी कर दिया था.
मामले के अनुसार एक अप्रैल 2017 को पहलु खां और उसके बेटे गायों को लेकर जा रहे थे. बहरोड़ थाना इलाके में कुछ लोगों ने गौ तस्करी का आरोप लगाते हुए उसके साथ मारपीट की. वहीं चार अप्रैल को इलाज के दौरान पहलु खां की मौत हो गई थी. मामले में पुलिस ने तीन नाबालिगों सहित छह अन्य विपिन यादव, रविन्द्र कुमार, कालूराम, दयानंद, भीम राठी और योगेश कुमार को आरोपी माना था. पुलिस की ओर से पेश आरोप पत्र पर सुनवाई करते हुए गत दिनों अदालत ने सभी आरोपियों को दोषमुक्त कर दिया था.
दारा सिंह एनकाउंटर प्रकरण में दो गवाह को नोटिस जारी
राजस्थान हाईकोर्ट ने दारा सिंह एनकाउंटर प्रकरण में निचली अदालत से दोष मुक्त हुए पुलिसकर्मियों और प्रकरण के दो गवाह सुशीला देवी और विजेन्द्र को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है. न्यायाधीश सबीना और न्यायाधीश इन्द्रजीत सिंह की खंडपीठ ने यह आदेश सीबीआई की ओर से पेश अपीलों पर सुनवाई करते हुए दिए. सीबीआई की ओर से अपील दायर कर निचली अदालत के 13 मार्च 2018 के आदेश को चुनौती दी गई है. निचली अदालत ने प्रकरण पर लंबी सुनवाई करते हुए सभी आरोपियों को बरी कर दिया था.
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वहीं प्रकरण में पक्षाद्रोही हुई सुशीला देवी और विजेन्द्र पर कार्रवाई के लिए सीबीआई की ओर से अलग से दो अपील दायर की गई है. मामले के अनुसार अजमेर रोड पर 23 अक्टूबर 2006 को एसओजी ने दारा सिंह का एनकाउंटर किया था. घटना को लेकर दारा की विधवा सुशीला देवी ने फर्जी एनकाउंटर का मामला दर्ज कराया था. अप्रैल 2010 में सुप्रीम कोर्ट ने मामले की जांच सीबीआई को सौंपी थी. सीबीआई ने राजेन्द्र राठौड़, एडीजी एके जैन और ए. पोन्नुचामी सहित कुल 17 लोगों के खिलाफ आरोप पत्र पेश किया था.
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कोर्ट ने 31 मई 2012 को राजेन्द्र राठौड़ को मामले से डिस्चार्ज कर दिया था. वहीं हाईकोर्ट ने एके जैन को 13 फरवरी 2015 को डिस्चार्ज किया था. निचली अदालत ने 13 मार्च 2018 को पुलिसकर्मी पोन्नुचामी, अरशद अली, निसार खां, नरेश शर्मा, सत्यनारायण गोदारा, बद्रीप्रसाद, जगराम, जुल्फीकार सहित अन्य सभी को बरी कर दिया था. आरोपियों को बरी करने के आधार पर ही सुप्रीम कोर्ट ने राजेन्द्र राठौड़ की याचिका का निस्तारण कर दिया था. मामले में दारा सिंह की विधवा सुशीला देवी और भाई सहित अन्य कई गवाह पक्षद्रोही हो गए थे.