जयपुर. प्रदेश का आगामी बजट जल्द ही विधानसभा में पेश होने वाला है. आने वाले बजट से प्रदेश की जनता को कई उम्मीदें हैं, लेकिन पिछले प्रदेश बजट में जो घोषणा गहलोत सरकार ने की थी, उसमें से कितनी घोषणाएं पूरी हो पाईं, यह देखना भी लाजमी होगा.
महिला एवं बाल विकास विभाग के अंतर्गत आने वाली आंगनबाड़ी कार्यकर्ताएं, आशा सहयोगिनी, ग्राम साथिन और सहायिकाओं के लिए की गई घोषणाओं में से कई घोषणाएं अबतक धरातल पर पूरी नहीं हो पाई हैं. ईटीवी भारत ने जब आशा सहयोगिनी से बातचीत की तो सरकार की पोल खुलती नजर आयी.
पढ़ेंः राजस्थान में शुरू होगी नवजात सुरक्षा योजना, चिकित्सा मंत्री रघु शर्मा ने की घोषणा
कांग्रेस सरकार ने अपने पहले बजट घोषणा में सभी आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं, आशा सहयोगिनी, सहायिका और ग्राम साथिन को राज्य कर्मचारी बनाने का वादा किया था, लेकिन वो अबतक अधूरा है. जिससे सभी कार्यकर्ताओं में आक्रोश है. जहां आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को महीने का 7500 रुपये वेतन मिलता है तो वहीं आशा सहयोगिनी को 2,700 रुपए का वेतन मिलता है. आशा सहयोगिनी कम वेतन में दो विभागों का काम कर रही हैं, जिससे सभी में आक्रोश है.
पढ़ेंः यहां जानें विधानसभा सत्र में आज क्या होगा खास....
उन्होंने राजस्थान सरकार के आने वाले बजट से उम्मीद जताई है, कि उनको एक विभाग में किया जाए. इसी के साथ उन्होंने कहा, कि एक तरफ राजस्थान सरकार बेरोजगारी भत्ता 3500 रुपए दे रही है, लेकिन दूसरी तरफ प्रदेश भर की आशाएं न्यूनतम वेतन 2700 रुपये में काम कर रहीं हैं, जो नाइंसाफी है.
ये है उम्मीद
आशा कार्यकर्ताओं ने राजस्थान सरकार से उम्मीद जताई है, कि उनको फील्ड में काम का रिकॉर्ड रखने के लिए मोबाइल उपलब्ध करवाया जाए, साथ ही वेतन बढ़ाया जाए और आशाओं को एक विभाग में किया जाए.
अखिल राजस्थान महिला एवं बाल विकास संयुक्त कर्मचारी संघ के प्रदेशाध्यक्ष छोटेलाल बुनकर ने बताया, कि अगर सरकार को इन कार्यकर्ताओं को नियमित करने में देरी हो रही है तो इनकी वेतन वृद्धि की जाए. उन्होंने कहा, कि आशाओं के लिए सेवा नियम बनाए जाएं, साथ ही एएनएम की भर्ती में 25 प्रतिशत कोटा दिया जाए. बुनकर ने बताया, कि अगर सरकार बजट में मानदेय नहीं बढ़ाती है तो आंदोलन किया जाएगा.