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राजस्थान उपचुनाव की स्थिति...Etv Bharat पर एक्सपर्ट से जानिये वल्लभनगर सीट का पूरा गणित

राजस्थान में चार विधानसभा सीटों पर उपचुनाव को लेकर सियासी सरगर्मियां परवान पर हैं. सहाड़ा, राजसमंद, वल्लभनगर और सुजानगढ़ सीट पर अप्रैल माह में दूसरे सप्ताह के पहले चुनाव हो सकते हैं. ऐसे में ईटीवी भारत पर राजनीतिक विश्लेषक और वरिष्ठ पत्रकार श्याम सुन्दर शर्मा ने वल्लभनगर सीट की मौजूदा स्थिति को साफ किया. देखिये वल्लभनगर विधानसभा सीट का पूरा गणति...

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वल्लभनगर विधानसभा उपचुनाव की स्थिति...
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Published : Mar 1, 2021, 9:52 AM IST

Updated : Mar 1, 2021, 11:06 AM IST

जयपुर. प्रदेश में चार विधानसभा सीटों पर उपचुनाव की बात करें तो इनमें तीन सीट सामान्य और एक सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है. पूरे चुनाव में दोनों दलों के लिए परिवारवाद सबसे बड़ी चुनौती रहने वाला है. मौजूदा अशोक गहलोत सरकार के लिए रिपोर्ट कार्ड के तौर पर इन सीटों के नतीजे तय करेंगे. वहीं, आंतरिक मतभेदों से जूझ रही बीजेपी के लिए मौजूदा प्रदेशाध्यक्ष सतीश पूनिया की मजबूती इन चुनावों के परिणाम तय करेंगे. तीन सीटों पर पहले कांग्रेस काबिज थी तो एक सीट राजसमंद पर बीजेपी का कब्जा था.

वल्लभनगर सीट का पूरा गणित...

वल्लभनगर सीट...

उदयपुर जिले की वल्लभनगर सीट पर इस बार होने वाला उपचुनाव राजस्थान में आकर्षण का केंद्र होगा. सचिन पायलट की कांग्रेस से बगावत के बाद उनके कैंप के साथ रहे गजेंद्र सिंह शक्तावत के निधन के बाद इस सीट पर प्रत्याशी चयन पार्टी की खेमेबाजी के बीच वर्चस्व को तय करेगा. गजेंद्र सिंह शक्तावत गहलोत सरकार के पहले कार्यकाल के दौरान गृह मंत्री रहे गुलाब सिंह शक्तावत के पुत्र थे.

यहां कांग्रेस की तरफ से शक्तावत परिवार की दावेदारी प्रमुख है. जहां सचिन पायलट खेमा शक्तावत की पत्नी को टिकट देने के पक्ष में है तो वहीं गहलोत खेमे से शक्तावत के भाई को टिकट दिए जाने की चर्चा है. जिसके पीछे विरोधी कैंप से विधायकों की संख्या को सीमित करने की मंशा को बताया जा रहा है. गजेंद्र सिंह शक्तावत का कार्यकाल बेहतर रहा. बीजेपी के लिए स्थानीय राजपरिवार निर्णय में पसोपेश ला रहा है.

vallabhnagar byelection
वल्लभनगर विधानसभा उपचुनाव की स्थिति...

जनता सेना के संस्थापक और पूर्व में भाजपा के साथ रहे रणधीर सिंह भींडर अगर यहां 'घर वापसी' करते हैं तो बीजेपी के लिए चुनाव काफी आसान हो जाएगा. बीते दिनों भींडर परिवार के लोगों ने पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे से मुलाकात भी की थी. हाल ही में जनता सेना ने निकाय चुनाव और पंचायत चुनाव में खुद को साबित किया है, लेकिन बीजेपी में नेता प्रतिपक्ष और कद्दावर नेता गुलाबचंद कटारिया उनके विरोधी माने जाते हैं.

पढ़ें : राजस्थान उपचुनाव की स्थिति...Etv Bharat पर एक्सपर्ट से जानिये राजसमंद सीट का पूरा गणित

पिछले चुनाव में बीजेपी प्रत्याशी रहे उदयलाल डांगी का प्रदर्शन निराशाजनक रहा. इस सीट पर पिछले चुनाव में हार-जीत का अंतर 3,700 के करीब रहा था, जिसमें रणधीर सिंह दूसरे स्थान पर रहे थे. यहां परिवारवाद की छाया है. यहां 10 प्रतिशत शहरी और 90 फीसदी ग्रामीण मतदाता हैं. इसी तरह 21 प्रतिशत एससी के और 9 प्रतिशत एसटी के वोटर्स हैं. वहीं, सामान्य सीट पर चुनाव दिलचस्प रहने वाला है.

जयपुर. प्रदेश में चार विधानसभा सीटों पर उपचुनाव की बात करें तो इनमें तीन सीट सामान्य और एक सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है. पूरे चुनाव में दोनों दलों के लिए परिवारवाद सबसे बड़ी चुनौती रहने वाला है. मौजूदा अशोक गहलोत सरकार के लिए रिपोर्ट कार्ड के तौर पर इन सीटों के नतीजे तय करेंगे. वहीं, आंतरिक मतभेदों से जूझ रही बीजेपी के लिए मौजूदा प्रदेशाध्यक्ष सतीश पूनिया की मजबूती इन चुनावों के परिणाम तय करेंगे. तीन सीटों पर पहले कांग्रेस काबिज थी तो एक सीट राजसमंद पर बीजेपी का कब्जा था.

वल्लभनगर सीट का पूरा गणित...

वल्लभनगर सीट...

उदयपुर जिले की वल्लभनगर सीट पर इस बार होने वाला उपचुनाव राजस्थान में आकर्षण का केंद्र होगा. सचिन पायलट की कांग्रेस से बगावत के बाद उनके कैंप के साथ रहे गजेंद्र सिंह शक्तावत के निधन के बाद इस सीट पर प्रत्याशी चयन पार्टी की खेमेबाजी के बीच वर्चस्व को तय करेगा. गजेंद्र सिंह शक्तावत गहलोत सरकार के पहले कार्यकाल के दौरान गृह मंत्री रहे गुलाब सिंह शक्तावत के पुत्र थे.

यहां कांग्रेस की तरफ से शक्तावत परिवार की दावेदारी प्रमुख है. जहां सचिन पायलट खेमा शक्तावत की पत्नी को टिकट देने के पक्ष में है तो वहीं गहलोत खेमे से शक्तावत के भाई को टिकट दिए जाने की चर्चा है. जिसके पीछे विरोधी कैंप से विधायकों की संख्या को सीमित करने की मंशा को बताया जा रहा है. गजेंद्र सिंह शक्तावत का कार्यकाल बेहतर रहा. बीजेपी के लिए स्थानीय राजपरिवार निर्णय में पसोपेश ला रहा है.

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वल्लभनगर विधानसभा उपचुनाव की स्थिति...

जनता सेना के संस्थापक और पूर्व में भाजपा के साथ रहे रणधीर सिंह भींडर अगर यहां 'घर वापसी' करते हैं तो बीजेपी के लिए चुनाव काफी आसान हो जाएगा. बीते दिनों भींडर परिवार के लोगों ने पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे से मुलाकात भी की थी. हाल ही में जनता सेना ने निकाय चुनाव और पंचायत चुनाव में खुद को साबित किया है, लेकिन बीजेपी में नेता प्रतिपक्ष और कद्दावर नेता गुलाबचंद कटारिया उनके विरोधी माने जाते हैं.

पढ़ें : राजस्थान उपचुनाव की स्थिति...Etv Bharat पर एक्सपर्ट से जानिये राजसमंद सीट का पूरा गणित

पिछले चुनाव में बीजेपी प्रत्याशी रहे उदयलाल डांगी का प्रदर्शन निराशाजनक रहा. इस सीट पर पिछले चुनाव में हार-जीत का अंतर 3,700 के करीब रहा था, जिसमें रणधीर सिंह दूसरे स्थान पर रहे थे. यहां परिवारवाद की छाया है. यहां 10 प्रतिशत शहरी और 90 फीसदी ग्रामीण मतदाता हैं. इसी तरह 21 प्रतिशत एससी के और 9 प्रतिशत एसटी के वोटर्स हैं. वहीं, सामान्य सीट पर चुनाव दिलचस्प रहने वाला है.

Last Updated : Mar 1, 2021, 11:06 AM IST
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