जयपुर. राजस्थान में शह-मात का खेल जारी है. हर खेमा अपनी पकड़ मजबूत करने के लिए सियासी बिसात बिछाने में व्यस्त है. यहां ऊंट कभी इस करवट तो कभी उस करवट बैठता दिखाई दे रहा है. आलम यह है कि जयपुर से दिल्ली तक बैठकों का दौर जारी है. इसी बीच सीएम गहलोत (CM Ashok Gehlot) की ओर से बीते सोमवार को जारी बयान ने एक बार फिर सियासी हलकों में हलचल मचा दी.
दरअसल, अशोक गहलोत ने अपने बयान में कहा था कि कोविड-19 संक्रमित होने के बाद से उनको पोस्ट कोविड की सावधानियों को देखते हुए डॉक्टर ने उन्हें सलाह दी है कि 1-2 महीने उन्हें किसी से भी व्यक्तिगत मुलाकात करने से बचना चाहिए. इस बयान के बाद अब संकेत निकाले जा रहे हैं कि फिलहाल मंत्रिमंडल फेरबदल और विस्तार मुश्किल है, क्योंकि उसके लिए गहलोत का बाहर निकलना जरूरी है. लिहाजा माना जा रहा है कि फिलहाल कैबिनेट फेरबदल और विस्तार होना संभव नहीं है.
इन सबके बीच लंबे समय से इंतजार कर रहे कांग्रेस कार्यकर्ताओं (Congress Supporters) के लिए अच्छी खबर सामने आई है और वो है राजनीतिक नियुक्तियां, जिसकी शुरुआत राजस्थान में जयपुर से हो चुकी है. जयपुर शहर महिला कांग्रेस हेरिटेज की कार्यकारिणी घोषित हो चुकी है.
जयपुर महिला कांग्रेस हेरिटेज की जिला कांग्रेस कार्यकारिणी की घोषणा कर दी गई है. शहर महिला कांग्रेस हेरिटेज कार्यकारिणी में 63 पदाधिकारी रखे गए हैं, जिनमें 11 उपाध्यक्ष, 17 महासचिव और 24 सचिव बनाए गए हैं. साथ ही 9 ब्लॉक अध्यक्षों, एक प्रवक्ता और एक सोशल मीडिया को-ऑर्डिनेटर की भी घोषणा की गई है.
जयपुर जिला हेरिटेज महिला कांग्रेस कार्यकारिणी में तीन पार्षदों और एक पूर्व पार्षद को उपाध्यक्षबनाया गया है. इन पार्षदों में अस्मा खान, सना खान अंजलि ब्रह्मभट्ट शामिल है तो वहीं पूर्व पार्षद नाहिद नफीस को भी उपाध्यक्ष के तौर पर नियुक्त किया गया है. हालांकि, इसका असर राजस्थान कांग्रेस के सियासी संग्राम पर कैसा होने वाला है और किस गुट को क्या हासिल होगा, ये देखने वाली बात होगी.
पायलट कैंप के विधायकों ने खोला मोर्चा...
राजस्थान में राजनीतिक उफान को लेकर सचिन पायलट भले ही सामने आकर कुछ नहीं कह रहे हों, लेकिन उनके समर्थक विधायक अब सरकार पर हमलावर हो गए हैं. पायलट कैंप के विधायक वेद सोलंकी तो राजस्थान कांग्रेस में महासचिव पद पर भी हैं, जिन्होंने सचिन पायलट की सुनवाई नहीं होने के आरोप तो लगाई ही. इसके साथ ही सरकार पर फोन टैपिंग जैसे सनसनीखेज आरोप भी लगा दिए. वेद सोलंकी ही नहीं, बल्कि पायलट कैंप के विधायक मुकेश भाकर, रामनिवास गावड़िया, बृजेंद्र सिंह ओला, दीपेंद्र सिंह शेखावत पायलट की सुनवाई नहीं करने और काम नहीं होने के आरोप लगा रहे हैं. पायलट कैंप के विधायक हेमाराम ने तो अपना इस्तीफा तक विधानसभा अध्यक्ष को भेज दिया है और प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा की समझाइश के बाद भी वह अब तक इस्तीफा वापस लेने के लिए तैयार नहीं हुए हैं.
गहलोत कैंप के विधायक भी उठाते रहे हैं सरकार के मंत्रियों पर सवाल...
ऐसा नहीं है कि केवल सचिन पायलट कैंप के विधायक ही अपनी सरकार पर सवाल उठा रहे हैं, बल्कि गहलोत कैंप के भी कई विधायक मंत्रियों की कार्यशैली पर सवाल उठा चुके हैं. चाहे बाबूलाल बैरवा हों या फिर इंद्रा मीना या फिर अमीन खान. ये सभी सरकार के मंत्रियों की कार्यशैली पर सवाल उठा चुके हैं. इनमें भी सबसे महत्वपूर्ण घटनाक्रम तो गहलोत मंत्रिमंडल की पिछली बैठक में हुआ, जब मंत्री शांति धारीवाल अपनी ही पार्टी के प्रदेशअध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा से भीड़ गए. ऐसे में कांग्रेस आलाकमान भी राजस्थान में सियासी बयानबाजी को शांत करने की कोशिश करेगा, ताकि विरोधियों को घेरने का मौका नहीं मिल पाए.