जयपुर. वैश्विक महामारी कोरोना के दौरान एंबुलेंस कर्मी भी कोरोना वॉरियर्स की भूमिका अदा कर रहे हैं. वहीं ऐसे वॉरियर्स के ड्यूटी पर रहते हुए पॉजिटिव आने के बाद भी प्रशासन ने ना तो उस एंबुलेंस कर्मी की सुध ली और ना ही उसके आसपास रहने वाले लोगों की कोई जांच की गई.
लापरवाही किसे कहते हैं इसका सबसे बड़ा उदाहरण जयपुर के एसएमएस अस्पताल प्रशासन ने पेश किया. एक तरफ कोरोना संक्रमण की रोकथाम के लाख प्रयास किए जा रहे हैं. वहीं दूसरी ओर अस्पताल प्रशासन इतना लापरवाह हो गया कि एक एंबुलेंस चालक के पॉजिटिव आने के बाद भी उसे महज फोन पर सूचना देकर अस्पताल आकर भर्ती होने के लिए कह इतिश्री कर ली.
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दरअसल, जयपुर के गांधीनगर पीएचसी में लगे एंबुलेंस चालक ने मंगलवार को अपना सैंपल एसएमएस अस्पताल में दिया था. बुधवार को उसकी रिपोर्ट पॉजिटिव आई, जिस पर एसएमएस अस्पताल की ओर से एंबुलेंस चालक को फोन पर सूचना देकर भर्ती होने को कहा गया. वहीं इस बाबत जब एंबुलेंस चालक ने जीवीकेईएमआरई अधिकारियों को जानकारी दी, तो उन्होंने एंबुलेंस से अस्पताल पहुंचकर एंबुलेंस को अस्पताल के बाहर खड़ी कर भर्ती होने के लिए कहकर पल्ला झाड़ लिया.
हालांकि, चालक ने खुद जागरूकता दिखाते हुए अकेले अस्पताल भी पहुंचा, लेकिन यहां चरक भवन के बाहर एंबुलेंस खड़ी कर खुद अपने फाइल लेकर भर्ती होने के लिए भटकता रहा. बताया जा रहा है कि जिस पीएचसी के कमरे में चालक रहता है, वहां कुछ और लोग भी निवासरत हैं. लेकिन प्रशासन ने ना तो वहां पहुंचकर अन्य लोगों की जांच की और ना ही पृथ्वी को भर्ती करने के लिए मौके पर लेने पहुंचा. ऐसे में अब कोरोना को लेकर प्रशासन की संजीदगी पर भी सवाल उठ रहे हैं.