जयपुर. राजस्थान में कांग्रेस पार्टी सुजानगढ़ से मास्टर भंवर लाल मेघवाल और सहाड़ा से कैलाश त्रिवेदी के निधन के बाद और भाजपा राजसमंद से किरण महेश्वरी के निधन के बाद, इन सीटों पर उपचुनाव की तैयारियों में जुटी थी कि आज बुधवार को एक और बुरी खबर सामने आ गई. पूर्व संसदीय सचिव और कांग्रेस विधायक गजेंद्र शक्तावत का भी निधन हो गया और जिन बुरी यादों के साथ साल 2020 का अंत हुआ था, साल 2021 का आगाज भी कुछ वैसा ही रहा है.
जहां 5 अक्टूबर को कैलाश त्रिवेदी का कोरोना के चलते निधन हुआ था तो 16 नवंबर को मास्टर भंवरलाल मेघवाल का लंबी बीमारी के बाद निधन हुआ. वहीं, 30 नवंबर को भाजपा विधायक किरण माहेश्वरी का भी कोरोना से निधन हो गया, लेकिन अब साल 2021 में कांग्रेस विधायक गजेंद्र शक्तावत का निधन राजस्थान विधान सभा के सदस्यों की संख्या घटाकर 200 से 196 कर गया है.
अब चार विधानसभा सीटों पर होंगे उपचुनाव...
जहां कांग्रेस और भाजपा तीन विधानसभा सीटों पर उपचुनाव की तैयारी में जुटी थी तो वहीं अब दोनों ही पार्टियों को गजेंद्र सिंह शक्तावत के निधन के बाद खाली हुई वल्लभनगर विधानसभा सीट पर भी चुनाव की तैयारी में जुटना होगा. इन सभी चारों सीटों पर चुनाव एक साथ होगा और नियम यह कहता है कि किसी सीट के खाली होने पर उस पर अधिकतम 6 महीने में चुनाव कराना होता है. ऐसे में 5 अक्टूबर को सहाड़ा से विधायक कैलाश त्रिवेदी का निधन हुआ था, जिसके 6 महीने 5 अप्रैल को पूरे हो जाएंगे. ऐसे में 5 अप्रैल से पहले ही इन सभी सीटों पर चुनाव होना है.
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राजस्थान विधानसभा ने खोए अपने चार सदस्य, लेकिन ज्यादा नुकसान कांग्रेस को...
वैसे तो 4 विधायकों का निधन राजस्थान के लिए एक बड़ा आघात है. चाहे भाजपा हो या कांग्रेस, राजस्थान विधानसभा में अपने चारों सदस्यों को हमेशा याद रखेंगी. लेकिन इन 4 सीटों में भी सबसे ज्यादा नुकसान कांग्रेस पार्टी को हुआ है, जिसने महज चार महीने से कम अंतराल में अपने तीन विधायक खो दिए हैं. जिसकी अब विधायकों की संख्या 107 से घटकर 104 रह गई है. दरअसल, सुजानगढ़ से मास्टर भंवरलाल मेघवाल, सहाड़ा से कैलाश त्रिवेदी और वल्लभनगर से गजेंद्र सिंह शक्तावत कांग्रेस के ही विधायक थे तो वहीं भाजपा की विधायक किरण महेश्वरी का भी निधन हुआ है.
राजस्थान विधानसभा में कभी नहीं बैठे एक साथ 200 विधायक...
राजस्थान विधानसभा में ऐसा पहली बार नहीं है कि विधानसभा के किसी सदस्य का निधन हुआ है और विधानसभा में सदस्य संख्या 200 से कम रह गई है. राजस्थान की वर्तमान विधानसभा का निर्माण होने के बाद उसमें सदन के संचालन का काम 2001 से शुरू हुआ. तब से लगातार विधानसभा में यह बात प्रचलित है कि यहां 200 विधायक एक साथ नहीं बैठते हैं. नए विधानसभा भवन में शिफ्ट होने के साथ ही दो तत्कालीन विधायकों भीमसेन चौधरी और भीखा भाई की मौत हुई. साल 2002 में कांग्रेस विधायक किशन मोटवानी और जगत सिंह दायमा का निधन हुआ. इसके बाद साल 2004 में गहलोत सरकार के तत्कालीन मंत्री रामसिंह विश्नोई की मौत हुई. साल 2005 में विधायक अरुण सिंह, वहीं साल 2006 में नाथूराम अहारी का निधन हो गया. साल 2008 से साल 2013 के कार्यकाल के दौरान भी विधानसभा में 200 विधायक एक साथ नहीं बैठे. जिसमें महिपाल मदेरणा और महिपाल विश्नोई को भंवरी देवी हत्याकांड में जेल हो गई और वह विधानसभा में नहीं आ सके.
4 महीनों में कभी नहीं हुआ 4 विधायकों का निधन...
वहीं, 2014 में आम चुनाव में 4 विधायकों के सांसद बन जाने पर फिर 200 विधायक सदन में एक साथ नहीं बैठे. उपचुनाव हुआ और सीटें भरीं तो विधायक बाबूलाल कुशवाहा जेल चले गए. जिसके बाद भाजपा विधायक कीर्ति कुमारी धर्मपाल चौधरी और कल्याण सिंह का निधन हुआ, लेकिन प्रदेश में ऐसा कभी नहीं हुआ कि 4 महीनों में ही विधानसभा के 4 विधायकों का निधन हुआ हो.
विधानसभा निर्माण में ली गई थी मोक्ष धाम की कुछ जमीन...
राजस्थान विधानसभा का निर्माण साल 2000 में किया गया था और पुराने लोगों की मानें तो इस विधानसभा भवन के निर्माण के लिए पास ही मौजूद मोक्ष धाम की कुछ जमीन ली गई थी. विधानसभा से महज कुछ मीटर की दूरी पर मोक्षधाम है तो वहीं विधानसभा के अंदर एक मजार भी है. पिछली बार जब भाजपा की सरकार थी तो सदन में विधायक भूत और जादू-टोना टोटके की बातें कह चुके हैं. तत्कालीन मुख्य सचेतक रहे कालू लाल गुर्जर विधानसभा में इस अपशकुन के चलते यज्ञ, हवन करवा कर गंगाजल से शुद्धिकरण की मांग भी कर चुके थे.