जयपुर. ग्रेटर नगर निगम की निलंबित महापौर सौम्या गुर्जर (Somya Gurjar's petition dismissed) को हाईकोर्ट से बड़ा झटका लगा है. हाईकोर्ट ने सौम्या गुर्जर की याचिका को खारिज कर दिया है और 6 महीने में न्यायिक जांच पूरी कर अवगत कराने के निर्देश दिए गए हैं. इस फैसले पर सौम्या गुर्जर ने कहा कि पार्टी के राय-मशवरा के बाद ही अंतिम फैसला लिया जाएगा.
राजस्थान हाईकोर्ट (Rajasthan High court) से आए फैसले के बाद ईटीवी भारत से बातचीत में सौम्या गुर्जर ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा पार्टी की राय से ही खटखटाया जाएगा. अभी कोर्ट के आदेशों की कॉपी आनी बाकी है. उसे पढ़ने के बाद फैसला लिया जाएगा. निलंबित महापौर ने कहा कि वो अपने विधिक अधिकारों का प्रयोग करेंगी और जहां तक पार्टी की एकजुटता का सवाल है, पार्टी के विधायक, पार्षद सब एकजुट है. हम लड़ाई करेंगे.
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जानें क्या है मामला
गौरतलब है कि निगम कार्यालय में 4 जून को सौम्या गुर्जर और आयुक्त यज्ञमित्र शहर में सफाई करने वाली कंपनी के बकाया भुगतान के संबंध में चर्चा कर रहे थे. यज्ञमित्र का आरोप है कि उन्हें कोरोना नियंत्रण की बैठक के लिए कलेक्टर ऑफिस जाना था लेकिन सौम्या गुर्जर की मौजूदगी में पारस जैन सहित अन्य पार्षदों ने उन्हें बैठक में जाने से रोका और मारपीट भी की.
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आयुक्त यज्ञमित्र की ओर से मामले में राज्य सरकार को शिकायत भेजते हुए ज्योति नगर थाने में एफआईआर भी दर्ज कराई गई. वहीं, राज्य सरकार ने प्रकरण की जांच क्षेत्रीय निदेशक स्तर के आरएएस अधिकारी को सौंपी. जिसने अपने जांच के बाद सौम्या गुर्जर और पार्षदों को दोषी माना. जांच रिपोर्ट के आधार पर राज्य सरकार ने 6 जून को इन्हें महापौर और पार्षद पद से निलंबित (Jaipur Mayor-councillors suspension) कर दिया. साथ ही प्रकरण की न्यायिक जांच के आदेश दे दिए थे. राज्य सरकार के इस निर्णय को सौम्या गुर्जर ने हाईकोर्ट में चुनौती दी थी.