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Special : कोरोना काल में अनाथ हुए बच्चों को गोद लेना चाहते हैं तो पढ़ लें ये खबर - बाल कल्याण समिति

प्रदेश में ही नहीं, बल्कि विश्व मे महामारी के रूप में अपना पैर पसार कोरोना वायरस का संक्रमण बेरहमी के साथ लोगों की जिंदगियां लील रहा है. एक के बाद एक परिवार उजड़ते जा रहे हैं. किसी बच्चे के सिर से मां-बाप का साया छिन गया है तो कोई महिला मां बनने की हसरत के साथ कोख में बच्चे को लेकर इस दुनिया से रुखसत हो गई है, लेकिन इन दिनों सोशल मीडिया पर अनाथ हो रहे बच्चों को गोद लेने के मैसेज खूब वायरल हो रहे हैं. अगर किसी बच्चे को गोद लेने की सोच रहे हैं तो थोड़ा सावधान रहें, क्योंकि बच्चों को वैधानिक प्रक्रिया अपनाए बगैर गोद लेना कानून अपराध है. देखिये जयपुर से ये रिपोर्ट...

adopt orphaned children only through legal process
वैधानिक प्रक्रिया से लें गोद...
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Published : May 6, 2021, 10:58 AM IST

Updated : May 6, 2021, 11:36 AM IST

जयपुर. राजस्थान सहित देश भर में चारों तरफ कोरोना काल बन कर लोगों की जिंदगियां निगल रहा है. अस्पतालों के बाहर दिन भर मरीजों के परिजन जमा रहते हैं. किसी की मौत की खबर आने पर चीख पुकार मच जाती है. परिजन शव को श्मशान तक ले जाने की तैयारी में जुट जाते हैं. कोई पिता अपने नौजवान बेटे की खैरियत के लिए डॉक्टरों से मिन्नतें करता नजर आता है तो कोई महिला अपनी पति सलामती के लिए दुआएं मांगती नजर आती है.

वैधानिक प्रक्रिया से लें बच्चा गोद...

हर आयु वर्ग के लोग इस महामारी की चपेट में आ रहे हैं. महानगर की गली-गली में मातम पसरा हुआ है, लोग दहशत और गम के साये में अपने दिन गुजार रहे हैं. ऑक्सीजन और अस्पतालों में बेड की कमी की शिकायतें कमोबेस सभी जगह से सामने आ रही है. इस बीच इन दिनों सोशल मीडिया में कोरोना से अनाथ हुए बच्चों को सहारा देने को लेकर मैसेज वायरल हो रहे हैं. लोग अपील कर रहे हैं कि इन बच्चों को सक्षम लोग गोद ले लें. अगर आप इसी तरह के किसी बच्चे को गोद लेना चाह रहे हैं तो थोड़ा रुको, क्योंकि यह सही तरीका नही है.

antiviral massage
वायरल मैसेज...

क्या कहते हैं जानकार...

जानकारों की मानें तो किसी भी बच्चे को इस तरह से गोद लेने का तरीका सही नहीं है. पूर्व बाल संरक्षण आयोग की अध्यक्ष मनन चतुर्वेदी बताती हैं कि कोरोना महामारी के दौरान कुछ मामले ऐसे सामने आ रहे हैं, जिनमें माता-पिता की मौत के बाद उनके बच्चे लावारिस हो रहे हैं. ऐसे बच्चों को बिना किसी वैधानिक प्रक्रिया के गोद लेने के मामले भी सामने आ रहे हैं, लेकिन यह सही तरीका नहीं है. वैधानिक प्रक्रिया अपनाते हुए ही गोद लें, ना कि अपने स्तर पर कोई काम करें. बाल कल्याण समिति और अनेक संस्थाएं इस क्षेत्र में काम कर रही हैं, उनसे भी अपील है कि ऐसे बच्चों को ट्रेस कर उनको बेहतर संरक्षण प्रदान करें.

पढ़ें : SPECIAL : हैदराबाद घटना के बाद जयपुूर के जू और पार्कों में बढ़ाई मॉनीटरिंग...वन्यजीवों को दी जा रही इम्यूनिटी बढ़ाने की दवाइयां

रिश्तेदारों को भी मोटिवेट करें...

ऐसे मामलों में बच्चों के परिजन या निकटतम रिश्तेदारों को भी मोटिवेट कर बच्चों को संरक्षण देने हेतु मोटिवेट करें. ऐसा नहीं करने से बच्चे के साथ दुर्व्यवहार और वैधानिक अधिकार जाने का डर ज्यादा बन जाता है. बच्चे को कौन व्यक्ति किस इंटेंशन के साथ में लेकर जा रहा है, उसका कुछ पता नहीं होता. वैधानिक प्रक्रिया पूरी करके कोई बच्चे को गोद लेता है तो बाल संरक्षण आयोग और बाल समितियां उस बच्चे के अधिकारों को समय-समय पर शिकायत मिलने पर चेक कर सकती हैं.

adopt orphaned children only through legal process
कोरोना ने छीना साया...

दरअसल, प्रदेश में लगातार पैर पसार रहे कोरोना संक्रमण की वजह है हजारों जिंदगियां मौत के ग्रास में चली गईं. कई मासूम बच्चों के सीर से माता-पिता का साया उठ गया. इस बीच सोशल मीडिया पर इन बच्चों को अपनाने के मैसेज वायरल हो रहे हैं. ऐसे में बाल संरक्षण आयोग की भी जिम्मेदारी ज्यादा बढ़ जाती है कि वह इस तरह के वायरल हो रहे मैसेज पर कुछ एक्शन ले और आयोग के स्तर पर इस तरह का प्रोग्राम करे, जिससे कि बच्चे किसी तरह से गलत हाथों में नहीं जाए. जरूरत है कि बाल संरक्षण आयोग इस मामले को गंभीरता से लेते हुए इस दिशा में कुछ काम करे.

जयपुर. राजस्थान सहित देश भर में चारों तरफ कोरोना काल बन कर लोगों की जिंदगियां निगल रहा है. अस्पतालों के बाहर दिन भर मरीजों के परिजन जमा रहते हैं. किसी की मौत की खबर आने पर चीख पुकार मच जाती है. परिजन शव को श्मशान तक ले जाने की तैयारी में जुट जाते हैं. कोई पिता अपने नौजवान बेटे की खैरियत के लिए डॉक्टरों से मिन्नतें करता नजर आता है तो कोई महिला अपनी पति सलामती के लिए दुआएं मांगती नजर आती है.

वैधानिक प्रक्रिया से लें बच्चा गोद...

हर आयु वर्ग के लोग इस महामारी की चपेट में आ रहे हैं. महानगर की गली-गली में मातम पसरा हुआ है, लोग दहशत और गम के साये में अपने दिन गुजार रहे हैं. ऑक्सीजन और अस्पतालों में बेड की कमी की शिकायतें कमोबेस सभी जगह से सामने आ रही है. इस बीच इन दिनों सोशल मीडिया में कोरोना से अनाथ हुए बच्चों को सहारा देने को लेकर मैसेज वायरल हो रहे हैं. लोग अपील कर रहे हैं कि इन बच्चों को सक्षम लोग गोद ले लें. अगर आप इसी तरह के किसी बच्चे को गोद लेना चाह रहे हैं तो थोड़ा रुको, क्योंकि यह सही तरीका नही है.

antiviral massage
वायरल मैसेज...

क्या कहते हैं जानकार...

जानकारों की मानें तो किसी भी बच्चे को इस तरह से गोद लेने का तरीका सही नहीं है. पूर्व बाल संरक्षण आयोग की अध्यक्ष मनन चतुर्वेदी बताती हैं कि कोरोना महामारी के दौरान कुछ मामले ऐसे सामने आ रहे हैं, जिनमें माता-पिता की मौत के बाद उनके बच्चे लावारिस हो रहे हैं. ऐसे बच्चों को बिना किसी वैधानिक प्रक्रिया के गोद लेने के मामले भी सामने आ रहे हैं, लेकिन यह सही तरीका नहीं है. वैधानिक प्रक्रिया अपनाते हुए ही गोद लें, ना कि अपने स्तर पर कोई काम करें. बाल कल्याण समिति और अनेक संस्थाएं इस क्षेत्र में काम कर रही हैं, उनसे भी अपील है कि ऐसे बच्चों को ट्रेस कर उनको बेहतर संरक्षण प्रदान करें.

पढ़ें : SPECIAL : हैदराबाद घटना के बाद जयपुूर के जू और पार्कों में बढ़ाई मॉनीटरिंग...वन्यजीवों को दी जा रही इम्यूनिटी बढ़ाने की दवाइयां

रिश्तेदारों को भी मोटिवेट करें...

ऐसे मामलों में बच्चों के परिजन या निकटतम रिश्तेदारों को भी मोटिवेट कर बच्चों को संरक्षण देने हेतु मोटिवेट करें. ऐसा नहीं करने से बच्चे के साथ दुर्व्यवहार और वैधानिक अधिकार जाने का डर ज्यादा बन जाता है. बच्चे को कौन व्यक्ति किस इंटेंशन के साथ में लेकर जा रहा है, उसका कुछ पता नहीं होता. वैधानिक प्रक्रिया पूरी करके कोई बच्चे को गोद लेता है तो बाल संरक्षण आयोग और बाल समितियां उस बच्चे के अधिकारों को समय-समय पर शिकायत मिलने पर चेक कर सकती हैं.

adopt orphaned children only through legal process
कोरोना ने छीना साया...

दरअसल, प्रदेश में लगातार पैर पसार रहे कोरोना संक्रमण की वजह है हजारों जिंदगियां मौत के ग्रास में चली गईं. कई मासूम बच्चों के सीर से माता-पिता का साया उठ गया. इस बीच सोशल मीडिया पर इन बच्चों को अपनाने के मैसेज वायरल हो रहे हैं. ऐसे में बाल संरक्षण आयोग की भी जिम्मेदारी ज्यादा बढ़ जाती है कि वह इस तरह के वायरल हो रहे मैसेज पर कुछ एक्शन ले और आयोग के स्तर पर इस तरह का प्रोग्राम करे, जिससे कि बच्चे किसी तरह से गलत हाथों में नहीं जाए. जरूरत है कि बाल संरक्षण आयोग इस मामले को गंभीरता से लेते हुए इस दिशा में कुछ काम करे.

Last Updated : May 6, 2021, 11:36 AM IST
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