जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने जेडीए में भ्रष्टाचार से जुड़े मामले में तत्कालीन जोन उपायुक्त ममता यादव को जमानत पर रिहा करने के आदेश दिए (Rajasthan High court on bail of Mamta Yadav in bribe case) हैं. इसके साथ ही अदालत ने प्रकरण के सह-आरोपी लेखाकार रामतूफान, एएओ विजय मीणा और कम्प्यूटर ऑपरेटर अखिलेश मौर्य को भी जमानत का लाभ दिया है. जस्टिस विनोद कुमार भारवानी ने यह आदेश आरोपियों की जमानत याचिकाओं को स्वीकार करते हुए दिए.
आरोपी ममता यादव की ओर से कहा गया कि याचिकाकर्ता ने न तो कोई डिमांड की है और न ही उससे कोई रिकवरी हुई है. इसके अलावा प्रकरण में आरोप पत्र भी पेश हो चुका है और मामले की ट्रायल पूरी होने में लंबा समय लगने की संभावना है. ऐसे में उसे जमानत पर रिहा किया जाए. वहीं अन्य आरोपियों की ओर से भी खुद को बेकसूर बताते हुए जमानत मांगी गई. दूसरी ओर सरकारी वकील ने कहा कि आरोपी ममता मीणा ने रिश्वत को मंदिर का प्रसाद बताया था और एसीबी कार्रवाई के दौरान कहा था कि मंदिर में चढ़ावा देने आते हैं, तो कौन मना करता है?
प्रकरण में एसीबी ने आरोपियों को गत 7 फरवरी को गिरफ्तार किया था. गौरतलब है कि सिद्धार्थ नगर निवासी अरुण चौधरी ने एसीबी में शिकायत दी थी कि उसे सिद्धार्थ नगर में एक व्यावसायिक और एक आवासीय भूखंड का जेडीए पट्टा बनवाना था. वहीं दो व्यावसायिक पट्टे परिवादी के दोस्तों के भी थे. 9 आवासीय पट्टे स्थानीय लोगों के थे. इन सभी पट्टों को जारी करने के बदले में जोन 4 कार्यालय के अधिकारी और कर्मचारियों ने 6.50 लाख रुपए में सौदा तय किया. रिपोर्ट पर कार्रवाई करते हुए एसीबी ने आरोपियों को गिरफ्तार किया था.