जयपुर. ज्योतिषियों की माने तो 30 मार्च से बृहस्पति अपनी नीच राशि में प्रवेश करेंगे, जहां शनिदेव पहले से ही बैठे हैं. आठवें भाव में मंगल और केतु अंगारक दोष बना रहे हैं.
ग्रहों के प्रभाव के परिणाम स्वरूप आमजन मानस को अस्पतालों के चक्कर लगाने पड़ेंगे. दिन के बजाय रात में कोरोना वायरस का असर ज्यादा रहेगा. लेकिन जैसे-जैसे गर्मी का मौसम बढ़ेगा, इसके प्रभाव में कटौती होनी शुरू हो जाएगी.
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13 अप्रैल से सूर्य देव अपनी उच्च राशि मेष में प्रवेश करेंगे तो कोरोना वायरस का अंत शुरू होगा. इसके लिए हर व्यक्ति को अपना चंद्र और बृहस्पति शुभ स्थिति में रखने की आवश्यकता होगी. ज्योतिषी की गणना के अनुसार शनि इस महामारी का कारक है. इसके अलावा चंद्रमा इस बीमारी को फैलाने में अपनी भूमिका निभा रहा है. क्योंकि समुद्र और समुद्र से संबंधित चीजों के लिए चंद्रमा उत्तरदाई है. साथ ही मंगल और केतु भी गुरु के साथ धनु राशि में बैठे हैं. जो कि इस स्थिति को गंभीर बना रहे हैं. लेकिन 22 मार्च 2020 को जब मंगल शनि की राशि मकर में प्रवेश करेगा तो परिस्थितियों और भी गंभीर हो सकती हैं.
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देवगुरु बृहस्पति कोरोना वायरस इस महीने की 30 मार्च को राशि परिवर्तन कर रहे हैं. ज्योतिष गणना के मुताबिक गुरु का राशि परिवर्तन इस महामारी का काल बन सकता है. बृहस्पति का मकर में प्रवेश शनि मंगल के इस प्रकोप को खत्म करेगा. शनि बृहस्पति की युति इस महामारी को कमजोर कर देगी. वहीं 4 मई 2010 को जब मंगल मकर से कुंभ राशि में जाएगा. तब इस वायरस का प्रभाव बहुत ही कम हो जाएगा.