जयपुर. विश्व पर्यावरण दिवस पर महामारी के इस दौर में भी पर्यावरण को सहेजने, पौधे लगाने की बड़ी-बड़ी बातें राज्य सरकार की ओर से की गई, लेकिन पर्यावरण को बचाने के लिए जमीनी कदम उठाए नहीं जा रहे हैं. शिक्षा विभाग ने तो लक्ष्य रखा था कि हर छात्र एक पौधा लगाएगा. जयपुर के गांधी सर्किल स्थित सरकारी स्कूल के प्रांगण में बीते दो सालों में 300 पेड़ पौधे लगाकर हरा-भरा बगीचा भी तैयार हुआ, लेकिन लॉकडाउन के दौरान साज संभाल नहीं होने से 90 फीसदी पेड़ पौधे सूख गए.
5 जून का दिन हर साल विश्व पर्यावरण दिवस के रूप में मनाया जाता है. 1972 के स्टॉकहोल्म सम्मेलन में इस दिन विश्व के सभी देशों ने पर्यावरण जागरूकता की दिशा में सुचारू रूप से कार्य करने के लिए प्रतिज्ञा ली थी. आज लगभग 46 वर्षों बाद भी इस दिवस को अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है, लेकिन साल 2020 में विश्व पर्यावरण दिवस कोरोना महामारी के लिए याद रखा जाएगा क्योंकि इस बार कोई आयोजन नहीं हो सका.
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यही नहीं जिन स्कूलों में हर साल पर्यावरण दिवस पर वृक्षारोपण के कारण शानदार बगीचा तैयार हो गया था, वो भी बेजार हो गया. जयपुर का पोद्दार स्कूल जहां बीते 2 साल में करीब 300 पेड़-पौधे विद्यार्थियों की ओर से लगाए गए थे. भामाशाह और अभिभावकों ने भी इसमें मदद की थी. 21 मार्च से लगे लॉकडाउन के बाद उन पेड़-पौधों की ना तो साज संभाल हुई और ना ही कोई पानी देने वाला पहुंचा.
शिक्षकों की मानें तो जिस तरह से घर में जन हानि होती है, उसी तरह से कार्यालय और विद्यालयों में इन दिनों पेड़-पौधों की बड़ी क्षति हुई है. उनका कहना है कि इस संबंध में पत्र लिखकर शिक्षा मंत्री को भी बताया गया था. संस्था प्रधानों ने इस पर ध्यान नहीं दिया, जिसका नतीजा रहा कि आज 90 फीसदी पेड़-पौधे सूख चुके हैं.
इसी परिसर में खुद शिक्षा मंत्री की ओर से भी दो वृक्ष लगाए गए थे, लेकिन इस लॉकडाउन में उसका भी वही हाल हुआ, जो दूसरे पेड़ पौधों का हुआ. साथ ही सैकड़ों छात्रों और शिक्षकों की मेहनत पर पानी भी फिर गया. इस पर शिक्षा मंत्री ने कहा कि लक्ष्य रखा गया था कि जितने छात्र आएंगे, उतने पौधे लगाए जाएंगे. इस संबंध में अधिकारियों को भी दिशा निर्देश दिए गए थे, लेकिन वन विभाग हो चाहे शिक्षा विभाग, जो भी पेड़ पौधे लगाए जाते हैं उनमें जीवित रहने का प्रतिशत काफी कम होता है.
प्रदेश के दृष्टिकोण से यहां पेड़ पौधे ज्यादा से ज्यादा लगाना महत्वपूर्ण है, लेकिन उनकी साज संभाल नहीं होना चिंता का विषय है. फिलहाल इस विषय पर सोचने और पेड़ पौधों के संरक्षण की जरूरत है, लेकिन प्रशासन की सजगता का आंकलन सरकारी स्कूल के बगीचे को देखकर लगाया जा सकता है.